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India Daily

Pahalgam Terror Attack: पहलगाम आतंकी हमले के पीछे हाफिज सईद का 'डर्टी माइंड', नापाक रोल का हुआ खुलासा

पहलगाम में हाल में हुआ हमला आर्टिकल 370 को खत्म किए जाने के बाद से सबसे घातक हमलों में से एक है. यह हमला प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) आतंकी संगठन से जुड़े एक कट्टर समूह TRF द्वारा किया गया था. ऐसे में हमें यह समझना होगा कि पूरी प्लानिंग कैसे की गई.

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Edited By: Shanu Sharma
Hafiz Saeed
Courtesy: Social Media

Pahalgam Terror Attack: जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले के बाद भारत की ओर से आतंकवाद को खत्म करने की दिशा में सख्त कदम उठाए जा रहे हैं. इसी क्रम में पाकिस्तान के खिलाफ सरकार की ओर से उच्च स्तरीय कूटनीतिक और सुरक्षा प्रतिक्रियाएं शुरू की है. जिनपर आतंकवादी संगठनों को संरक्षण देने का आरोप है.

पहलगाम में हाल में हुआ हमला 2019 में अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने के बाद से सबसे घातक हमलों में से एक है. यह हमला प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) आतंकी संगठन से जुड़े एक कट्टर समूह TRF द्वारा किया गया था. हमला करने वाले आतंकियों की मदद स्थानीय आतंकवादियों, घाटी के ओवरग्राउंड वर्करों और लश्कर प्रमुख हाफिज सईद का समर्थन प्राप्त बताया जा रहा है.

हाफिज सईद के आदेश पर काम करता है मॉड्यूल

सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक यह हमला कोई अचानक नहीं था. इस कई सालों से प्लान किया जा रहा है. इसके लिए एक विशेष मॉड्यूल लंबे समय से घाटी में सक्रिय है. सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि यह मॉड्यूल सोनमर्ग, बूटा पथरी और गंदेरबल सहित कई हाई-प्रोफाइल हमलों में शामिल है. कुछ दिनों पहले हुए एक दूसरे आतंकी हमले में चार लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें सेना के जवान भी शामिल थे. उससे पहले छह मजदूरों और एक डॉक्टरों की भी हत्या कर दी गई थी. रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि एक आतंकवादी आमतौर पर एक हमले के बाद उस ठिकानों को छोड़कर कहीं दूर घने जंगलों में छीप जाते हैं. जिसके बाद जब तक उन्हें पाकिस्तान से उनके आकाओं का आदेश नहीं मिलता वो 
तब तक वहीं छीपे होते हैं.

सुरक्षा एजेंसियों ने दी जानकारी

लश्कर नेतृत्व से संबंध माना जाता है कि माड्यूल को कथित तौर पर सीधे लश्कर प्रमुख हाफिज सईद और उसके डिप्टी सैफुल्लाह द्वारा नियंत्रित किया जाता है, भारतीय खुफिया एजेंसियों का कहना है कि मॉड्यूल को न केवल वैचारिक बल्कि पाकिस्तान की सेना और उसकी खुफिया एजेंसी, इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) से रसद और सामरिक मार्गदर्शन भी मिलता है. इस समूह में अधिकांश विदेशी लड़ाके शामिल होते हैं. साथ ही कश्मीर के कई स्थानीय और ओवरग्राउंड कार्यकर्ओं को भी इसमें शामिल किया जाता है. जो समर्थन और कवर प्रदान करते हैं.