Exclusive: ज्ञानवापी सर्वे रिपोर्ट में तस्वीरों में दिखा 'शिवलिंग', टूटी हुई देव प्रतिमाएं भी दिखीं
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि रिपोर्ट में टूटी हुई मूर्तियों की स्थिति और माप का विवरण दिया गया है, जो उनके दावे को मजबूत करता है. उन्होंने आगे कहा कि मस्जिद के निर्माण में हिंदू देवताओं के मलबे और पुराने मंदिर के स्तंभों के अवशेषों को शामिल किया गया था.
Gyanvapi survey Exclusive report photos show shivling: ज्ञानवापी सर्वे रिपोर्ट में शिवलिंग समेत अन्य देवी-देवताओं की तस्वीरें सामने आई हैं. इनमें कुछ देवताओं की मूर्तियां टूटी हुईं दिख रहीं हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) रिपोर्ट में कथित तौर पर हिंदू देवताओं की खंडित मूर्तियां और फारसी में शिलालेख दिखाए गए हैं जो बताते हैं कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण एक हिंदू मंदिर के खंडहरों के ऊपर किया गया था.
वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की सर्वेक्षण रिपोर्ट से विवाद बड़ा रूप ले सकता है, क्योंकि तस्वीरों में मस्जिद परिसर के भीतर हिंदू देवताओं की मूर्तियों और अन्य प्रतिमाओं के टुकड़े दिखाई देने वाली तस्वीरें सामने आई हैं.
सर्वेक्षण रिपोर्ट में कई तस्वीरें शामिल हैं जिनमें भगवान हनुमान, गणेश और नंदी जैसे हिंदू देवताओं की टूटी हुई मूर्तियां दिखाई देती हैं. तस्वीरों में कई तस्वीरें ऐसी हैं, जो शिवलिंग का आधार प्रतीत हो रहीं हैं. इसके साथ-साथ एक शिवलिंग का भी पता चलता है, जिसका निचला हिस्सा या आधार गायब है.
इसके अलावा, तस्वीरों में सिक्के, फ़ारसी में खुदा हुआ बलुआ पत्थर का स्लैब, एक मूसल और अलग-अलग अवस्था में क्षतिग्रस्त मूर्तियां भी मिली हैं. हिंदू पक्ष का दावा है कि रिपोर्ट में आई तस्वीरों के जरिए ये सबूत मिलता है कि ज्ञानवापी मस्जिद पहले से मौजूद हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी.
क्या बोले हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन?
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि रिपोर्ट में टूटी हुई मूर्तियों की स्थिति और माप का विवरण दिया गया है, जो उनके दावे को मजबूत करता है. उन्होंने आगे कहा कि मस्जिद के निर्माण में हिंदू देवताओं के मलबे और पुराने मंदिर के स्तंभों के अवशेषों को शामिल किया गया था.
जैन के दावे रिपोर्ट के भीतर के विवरणों की ओर इशारा करते हैं, जिसमें पत्थर के स्लैब पर फ़ारसी में शिलालेख भी शामिल हैं जो 17 वीं शताब्दी में मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल के दौरान मंदिर के विध्वंस का विवरण प्रदान करते हैं.
17वीं सदी में आदिविश्वारा मंदिर को तोड़कर बनाया गया मस्जिद
जैन के अनुसार, ये निष्कर्ष ज्ञानवापी मस्जिद के स्थान पर एक भव्य हिंदू मंदिर के अस्तित्व का प्रमाण देते हैं. उन्होंने दावा किया कि ये सबूत बताते हैं कि जब 17वीं सदी में औरंगजेब ने आदिविश्वारा मंदिर को ध्वस्त किया था, तब वहां एक भव्य मंदिर पहले से मौजूद था.
उधर, अंजुमन अंजमिया मस्जिद कमेटी का प्रतिनिधित्व कर रहे अखलाक अहमद ने हिंदू पक्ष के दावों को सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि हिंदू पक्ष के दावे निराधार हैं. ASI रिपोर्ट की तस्वीरों में हिंदू देवी-देवताओं के उल्लेख के बारे में अहमद ने कहा कि जो मूर्तियां मिली हैं, वे प्रामाणिक नहीं हैं. बता दें कि पिछले साल 21 जुलाई को जिला अदालत के एक आदेश के बाद, ASI ने ये निर्धारित करने के लिए ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया कि क्या मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था? ASI ने 18 दिसंबर को सीलबंद लिफाफे में अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट जिला अदालत को सौंपी थी.