Gyanvapi Case: ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यासजी तहखाने में हिंदुओं के पूजा पाठ करने को लेकर मुस्लिम पक्ष का विरोध जारी है. तहखाने में पूजा-पाठ पर रोक लगाने के लिए मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया है लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली है. इसके बाद प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक तरफ वाराणसी जिला कोर्ट के फैसले पर हैरानी जताई है तो वहीं, मौलाना अरशद मदनी तो कानून की किताबों को आग लगा देने की बात कही है.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ज्ञानवापी मामले में वाराणसी के जिला कोर्ट के फैसले पर हैरानी जताई है. AIMPLB ने कहा कि कोर्ट ने पूजा की व्यवस्था के लिए प्रशासन को 7 दिन का समय दिया, लेकिन रात को ही सब व्यवस्था कर ली गई और पूजा भी हो गई. AIMPLB प्रवक्ता डॉ सैय्यद कासिम रसूल इलियास ने यह दावा किया है कि यह सब प्लानिंग के साथ हो रहा है. उन्होंने आगे कहा कि अयोध्या मामले में भी इसी तरह से हुआ था उस समय भी वहां पूजा-अर्चना शुरू कर दी गई थी, जबकि मामला कोर्ट में पेंडिंग था.
AIMPLB प्रवक्ता डॉ सैय्यद कासिम रसूल इलियास ने आगे कहा कि बाबरी मस्जिद मामले में कोर्ट का फैसला स्वीकार नहीं था इसलिए हमने पुनर्विचार याचिका दाखिल की, लेकिन वह खारिज हो गई. उसके बाद हमारे पास क्या विकल्प बचा. सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला दिया, लेकिन बाबरी मस्जिद मामले में इंसाफ नहीं हुआ. ऐसा ही फैसला ज्ञानवापी में हम कैसे स्वीकार कर सकते हैं, जहां आपने पूजा शुरू कर दी, जबकि इसका कोई सबूत नहीं. जब तक यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचेगा, पानी सिर से ऊपर निकल चुका होगा. तहखाना में पूजा जारी रहेगी, जिससे मामला प्रभावित होगा. यह एक सोची समझी प्लानिंग है.
ज्ञानवापी मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए मौलाना अरशद मदनी ने 1991 में बने कानून का जिक्र करते हुए कहा कि हमने इस पर भी ऐतराज जताया था कि इस कानून से बाबरी मस्जिद को क्यों हटाया जा रहा है. जहां बाबरी मस्जिद वहां राम जन्मभूमि नहीं है. उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद मामले में कोर्ट के फैसले ने बताया कि ऐसा किसी भी मस्जिद के साथ हो सकता है. अरशद मदनी ने कहा कि कानून की किताबों को आग लगा दो. अगर यही चलेगी किसी भी धर्म को फैसला नहीं मिलेगा. लॉ आप क्यों पढ़ाते हैं.