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Gujarat University Row: नमाज, मांस के टुकड़े और एग्रेसिव सोच; किसने कहां की गलती, VC ने बताई मामले की असल सच्चाई!

Gujarat University Row: गुजरात यूनिवर्सिटी इस वक्त पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई है. विदेशी छात्रों पर हमले को लेकर विदेश मंत्रालय भी सख्त है. अब इस मामले में यूनिवर्सिटी वीसी की ओर से बड़ा खुलासा किया गया है.

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Edited By: India Daily Live
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Gujarat University Row: गुजरात यूनिवर्सिटी आजकल काफी चर्चाओं में है. यहां दो दिन पहले कथित तौर पर नमाज पढ़ रहे विदेशी छात्रों पर हमला हुआ. घायल विदेशी छात्रों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. मामला देश की सुर्खियों में आ गया. विदेश मंत्रालय को हस्तक्षेप करना पड़ा. पुलिस ने इस मामले में अब तक कुल पांच लोगों को गिरफ्तार किया है. घटना को लेकर तरह-तरह के अपडेट सामने आ रहे हैं. इन्हीं सब के बीच गुजरात यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर नीरजा गुप्ता ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. 

वाइस चांसलर डॉ. नीरजा गुप्ता ने कहा है कि यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों को राज्य की शाकाहारी समाज की भावनाओं को ध्यान रखना चाहिए था. साथ ही उनकी इन्हीं भावनाओं को देखकर अपना व्यवहार रखना था. वीसी ने कहा कि विदेशी छात्रों को हमारी सांस्कृति के हिसाब से संवेदनशील बनाने की जरूरत है. 

इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में डॉ. नीरजा गुप्ता ने कहा कि वर्तमान पद संभालने से पहले 16 वर्षों तक फॉरेन स्टडी प्रोग्राम के साथ काम किया है. उन्होंने कहा कि मुस्लिम छात्रों द्वारा नमाज की जा सकती है, लेकिन शनिवार रात को हुई घटना सिर्फ नमाज को लेकर नहीं है, बल्कि इसके और भी कई कारण हैं. 

सवाल-जवाब में समझिए मुख्य बातें

सवालः शनिवार रात यूनिवर्सिटी में हिंसा किस कारण भड़की?
जवाबः यूनिवर्सिटी कैंपस में नमाज अदा करना, इतनी बड़ी घटना का कारण नहीं बन सकता है.

सवालः फिर टकराव का कारण क्या हो सकता है?
जवाबः ये किसी धार्मिक प्रथा का सवाल नहीं है. हां ये एक सांस्कृतिक प्रथा हो सकती है. सांस्कृतिक बदलाव होने पर विदेशी छात्रों को बेहतर तरीके से मार्गदर्शन दिया जाना चाहिए था. उदाहरण के लिए वे (विदेशी) मांसाहारी भोजन खाते हैं, लेकिन गुजरात ज्यादातर शाकाहारी समाज है. इतना ही नहीं, अगर वे मांसाहार खाते हैं तो बचे हुए मांसाहार भोजन को सही से डंप करना चाहिए. अगर वे मांसाहार को खुले में फेंकेंगे तो कुत्तों का खतरा बढ़ जाएगा. 

विदेशी छात्रों पर हर किसी की नजर रहती है. वे अलग से पहचान में आ जाते हैं. ऐसे में उनको अपने व्यवहार में बदलाव करना होगा. हम सिर्फ नमाज पढ़ने को लेकर असंवेदनशील नहीं हो सकते हैं. विदेशी छात्रों को प्रशिक्षित करने की जरूरत है. उन्हें हमारे रीति-रिवाजों और धार्मिक भावनाओं के बारे में जानना चाहिए.

दूसरी बड़ी बात ये है कि उन्हें बातचीत की जरूरत है. किसी भी समाज में हिंसा बड़ी समस्या को जन्म देती है. इसलिए मेरा मानना है कि उनसे इस बारे में बात करनी चाहिए. वे हमारी संस्कृति को पूरी दुनिया में फैलाते हैं. 

सवालः क्या घटना के बाद आपने विदेशी छात्रों से बात की?
जवाबः इस घटना को सुलझाना हमारी प्राथमिकता है. इसके लिए हमें कई पहलुओं पर काम करना होगा. मैं कल से तीन बात विदेशी छात्रों से मिल चुकी हूं. करीब एक घंटे तक मैं उनके साथ रही. मुझे लगता है कि वे काफी समझदार हैं. छात्रों को हमारे यहां करीब एक साल हो गया है. कई बातों को वे समझने भी लगे हैं. 

छात्रों पर गुजरात में हमला हुआ... इसका मतलब है कि विदेशी छात्रों पर भारत में हमला हुआ है. ये सिर्फ एक राज्य की बात नहीं बल्कि पूरे देश की बात है. इसलिए मैंने खुद इस मामले को सुलझाने के लिए प्रयास शुरू किए हैं.  पूर्व में भी कई विवादों को संभाला है. 

सवालः क्या पहले से तूल पकड़ने वाले मुद्दे शनिवार के बाद सामने आए हैं? 
जवाबः हां, केवल तभी जब हमने पूछताछ करने की कोशिश की. और ये कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जिनके कारण हमें अपना रुख बदलना पड़ा. हमने देखा कि विदेशी विभाग के पूर्व प्रभारी पर अत्यधिक काम था और उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी थीं. फिलहाल वह दबाव झेलने की स्थिति में नहीं हैं. हमारे लिए हमारा हर स्टाफ खास है. 

विदेशी छात्रों की एक आम चिंता यह है कि उन्हें बात करने या अपनी समस्याओं का समाधान करने वाला कोई नहीं मिलता. इसे मुद्दे को गंभीरता से लिया गया है. दो दशक पहले मैंने एक (विदेशी छात्र) के साथ बातचीत करने की शुरुआत की थी, जो अब 400 तक पहुंच गई है. इसका एक फायदा हमें एडमिशन के रूप में भी देखने को मिला है. 

सवालः हम किस तरह की सांस्कृतिक संवेदनशीलता की बात कर रहे हैं? 
जवाबः पहले हम विदेशी छात्रों को एक मैनुअल (निर्देशिका पुस्तिका) देते थे, जिसमें बताया जाता था कि हमारी संस्कृति में क्या-क्या है? बताया जाता था कि आपको क्या-क्या करना है? इसके अलावा, अपेक्षाओं और वास्तविकता में हमेशा अंतर होता है. वे बहुत सारी उम्मीदों के साथ यहां आते हैं. उन्हें एक अलग माहौल मिल सकता है. लेकिन पिछले कुछ समय से मुझे पता चला कि इन विदेशी छात्रों को कोई प्रैक्टिस या हैंडबुक नहीं दी गई थी. 

सवालः क्या विदेशी और स्थानीय छात्रों में अंतर को खत्म करने के लिए कोई कदम उठाया गया है? 
जवाबः पहले 10 दिनों के लिए (स्थानीय) भाषा में ओरिएंटेशन सेशन थे. विदेशी छात्रों को स्थानीय लोगों के साथ बातचीत करने या यहां के बारे में जानकारी देने के लिए एक गुजराती हैंड बुक दी गई. हमने आपस में बातचीत, सार्वजनिक समारोहों की व्यवस्था और विभिन्न देशों के लिए विशेष दिन मनाने के बारे में बताया गया. 

उन्हें होली और दिवाली जैसे स्थानीय सांस्कृतिक त्योहारों के बारे में भी बताया गया. हम सभी विभागों के निदेशकों, प्राचार्यों और विभागाध्यक्षों से भी बातचीत करते हैं.