menu-icon
India Daily

'मंदिर बचा लो बेटा', सुसाइड नोट लिख पुजारी ने मंदिर में की आत्महत्या, बेटा बोला- पूजा स्थल को की गई गिराने की कोशिश

Ahmedabad News: कुबेरनगर के एक मंदिर के पुजारी ने परिसर के अंदर आत्महत्या कर ली. पुजारी के बेटे ने आरोप लगाया है कि कुछ लोगों ने मंदिर को गिराने की योजना बनाई थी.

auth-image
Edited By: Gyanendra Tiwari
Gujarat priest Mahendra Mineka suicide at temple in Kubernagar Ahmedabad
Courtesy: Social Media

Ahmedabad News: गुजरात के अहमदाबाद को कुबेरनगर से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां स्थित एक मंदिर के पुजारी ने परिसर के अंदर ही आत्महत्या कर ली. पुजारी का नाम महेन्द्र मिनेकर था. आत्महत्या करने से पहले लिखे सुसाइड नोट में उन्होंने कहा- बेटा मंदिर बचा लो. पुजारी के बेटे बृजेश ने अपने पिता की आत्महत्या को लेकर दावा किया कि पिता जिस मंदिर के पुजारी थे उसे तोड़ने की योजना बनाई जा रही थी, जिससे उनके पिता को मानसिक यातना झेलनी पड़ी. और अंत: उन्होंने इतना बड़ा कदम उठा लिया. 

पुजारी महेंद्र मिनेकर के बेटे बृजेश ने एक वीडियो संदेश में आरोप लगाते हुए कहा- "मेरे पिता को निगम, बिल्डरों और कुछ पुलिस अधिकारियों ने मानसिक रूप से प्रताड़ित किया. प्राशासन के लोग इस मंदिर को ढहाना चाहते हैं. इस मंदिर को मेरे दादा जी ने साल 1972 में स्थापित किया था.संतोषिनगर का क्षेत्र इसी मंदिर के कारण अस्तित्व में आया."

बेटे ने प्रशासन पर लगाया आरोप

पुलिस और नगर निगम ने मंदिर को तोड़ने के आरोपों का खंडन किया. पुलिस विभाग के अतिरिक्त आयुक्त वी. एन. यादव ने कहा कि पुलिस को नगर निगम के अनुरोध पर तैनात किया गया था. उन्होंने कहा, "बेटे द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच की जाएगी. हादसे का मामला दर्ज किया गया है."

एक सुसाइड नोट में महेन्द्र ने अपने बेटे से मंदिर को बचाने की अपील की थी. उन्होंने कहा कि यह भूमि उनका जन्मस्थान है और यह उनके परिवार और समुदाय के लिए पवित्र स्थान है.

प्रशासन ने क्या कहा?

नगर निगम ने एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि संतोषिनगर अहमदाबाद नगर निगम के नारोड़ा वार्ड के क्षेत्र में स्थित है, जहां लगभग 475 आवासीय झुग्गियां और 22 व्यापारिक दुकानें हैं. निगम ने बताया कि हाल ही में, संबंधित क्षेत्र के पुनर्विकास के लिए योजना बनाई गई थी, जिसमें मंदिर के 1,251 वर्ग मीटर क्षेत्र को घटाने का प्रस्ताव था. लेकिन लोगों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए यह निर्णय लिया गया कि उसे जैसे का तैसा ही रहने दिया गया.