Earthquake: गुजरात में महसूस किए गए भूकंप के झटके, रिक्टर पैमाने पर 3.8 रही तीव्रता
इन भूकंपीय घटनाओं के बावजूद, राहत की बात यह है कि न तो गुजरात और न ही उत्तराखंड में किसी प्रकार की जानमाल की हानि हुई है. अधिकारियों का कहना है कि भूकंप के इन हल्के झटकों से घबराने की कोई जरूरत नहीं है और स्थिति सामान्य बनी हुई है.
गुजरात में गुरुवार (13 फरवरी) की शाम को करीब 4 बजे भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए. वहीं, रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 3.8 मापी गई है. हालांकि, इससे जान-माल के नुकसान की कोई खबर नहीं है. बता दें कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी में भी कल एक बार फिर भूकंप का झटका महसूस किए गए, जिससे लोगों में दहशत फैल गई. भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 2.5 मैग्नीट्यूड थी.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात में भूकंप के झटके महसूस किए गए, तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.8 मापी गई है. जबकि, भूकंप का केंद्र उत्तरकाशी में ही जसपुर व मांडो के बीच वन क्षेत्र में भूमि की सतह से 5 किमी नीचे था. हालांकि अब तक किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं आई है. उत्तरकाशी पहाड़ी इलाका होने के कारण भूकंप की घटनाएं यहां पहले भी हो चुकी हैं. फिलहाल, प्रशासन ने स्थिति पर नजर बनाए रखने की बात कही है.
भूकंप के झटकों से क्या हुआ?
गुजरात के विभिन्न हिस्सों में इस भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए, जिससे स्थानीय निवासियों में कुछ समय के लिए भय का माहौल बन गया. भूकंप के बाद इलाके में कोई भी बड़ा नुकसान होने की सूचना नहीं मिली. यह भूकंप लगभग 4 बजे के आसपास आया, लेकिन इसके बावजूद राहत की बात यह रही कि कोई बड़ी घटना या जनहानि नहीं हुई.
उत्तराखंड में भी महसूस हुए भूकंप के झटके
गुजरात में भूकंप के झटकों के बाद, उत्तराखंड के उत्तरकाशी में भी 12 फरवरी को एक हल्का भूकंप महसूस हुआ था. उत्तरकाशी में भूकंप की तीव्रता 2.5 रिक्टर स्केल मापी गई थी. इस भूकंप के झटकों से भी किसी प्रकार के नुकसान की जानकारी नहीं मिली, लेकिन इस घटना के कारण स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल बन गया था.
भुज में 19 साल पहले भूकंप ने मचाई थी तबाही
बता दें कि, गुजरात में 26 जनवरी 2001 को 7.7 तीव्रता का भूकंप आया था. जिसमें भुज और कच्छ में इस दौरान भारी तबाही हुई थी. जहां 10 हजार लोग इस भूकंप के कारण मारे गए थे. जबकि, 2 हजार शव तो 26 जनवरी को ही निकाले गए थे. इनमें भुज के एक स्कूल के 400 बच्चे भी शामिल थे. इसके अलावा कई अस्पतालों को भी नुकसान पहुंचा था. इसके कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कत आई थी.