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India Daily

Kutch Land Scam: काल कोठरी में कटेंगे पूर्व IAS प्रदीप शर्मा के दिन, भूमि आवंटन मामले में गुजरात कोर्ट ने सुनाई पांच साल की सजा

शर्मा ने राज्य सरकार के नियमों का उल्लंघन करते हुए सॉ पाइप्स प्राइवेट लिमिटेड को औद्योगिक इकाई स्थापित करने के लिए जमीन आवंटित की, जिससे सरकारी खजाने को वित्तीय नुकसान हुआ. जमीन का आवंटन 2 हेक्टेयर की सीमा से अधिक था, जो 6 जून, 2003 के गुजरात सरकार के राजस्व विभाग के प्रस्ताव का उल्लंघन था.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
 EX IAS officer Pradeep Sharma

गुजरात के कच्छ जिले की एक अदालत ने शनिवार को पूर्व आईएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा को 2011 के एक मामले में पांच साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई. यह मामला सरकारी जमीन को एक निजी कंपनी को अनियमित रूप से आवंटित करने से संबंधित है, जिसके कारण सरकारी खजाने को नुकसान हुआ. उस समय शर्मा कच्छ जिले के कलेक्टर थे. भुज की अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जेवी बुद्धा की अदालत ने शर्मा के साथ-साथ शहरी योजनाकार नटुभाई देसाई, तत्कालीन ममलतदार नरेंद्र प्रजापति और तत्कालीन निवासी उप कलेक्टर अजितसिंह जाला को भी पांच साल की सजा सुनाई. प्रत्येक पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया.

2004 में हुआ था अनियमित आवंटन
यह मामला 2004 में सॉ पाइप्स प्राइवेट लिमिटेड को सरकारी जमीन के अनियमित आवंटन से जुड़ा है, जब शर्मा कच्छ के कलेक्टर थे. अदालत ने कहा कि शर्मा की यह सजा अहमदाबाद की सत्र अदालत द्वारा 20 जनवरी को 2004 के एक अन्य भ्रष्टाचार मामले में दी गई पांच साल की सजा पूरी होने के बाद शुरू होगी. 2011 में शर्मा और तीन अन्य के खिलाफ सीआईडी क्राइम राजकोट जोन पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 120बी और 217 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. शर्मा को 4 मार्च, 2011 को गिरफ्तार किया गया था.

अभियोजन के सबूत और गवाह
विशेष लोक अभियोजक एच बी जडेजा ने बताया कि अदालत ने 52 दस्तावेजी साक्ष्यों और 18 अभियोजन गवाहों के बयानों को ध्यान में रखा. अभियोजन के अनुसार, शर्मा ने राज्य सरकार के नियमों का उल्लंघन करते हुए सॉ पाइप्स प्राइवेट लिमिटेड को औद्योगिक इकाई स्थापित करने के लिए जमीन आवंटित की, जिससे सरकारी खजाने को वित्तीय नुकसान हुआ. जमीन का आवंटन 2 हेक्टेयर की सीमा से अधिक था, जो 6 जून, 2003 के गुजरात सरकार के राजस्व विभाग के प्रस्ताव का उल्लंघन था.

षड्यंत्र और वित्तीय नुकसान
अभियोजन ने तर्क दिया कि शर्मा ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए और राज्य सरकार के आदेशों की अनदेखी कर कंपनी को वित्तीय लाभ पहुंचाने के इरादे से यह अपराध किया. अन्य तीन आरोपियों ने जिला भूमि मूल्यांकन समिति की बैठक के दौरान मुख्य आरोपी के साथ मिलकर षड्यंत्र रचा और सांठगांठ में काम किया.