खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार मक्का, दालों और कपास के लिए 5 साल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देगी, जिसका उद्देश्य किसानों को अपना विरोध प्रदर्शन बंद करने के लिये राजी करना है. उन्होंने कहा, 'किसानों के कल्याण और गिरते जल स्तर को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है.'
मंत्री गोयल ने कहा, 'इस फैसले से उन किसानों को फायदा होगा जो अपनी फसलों में विविधता ला रहे हैं और जो कम पानी की खपत वाली फसलें जैसे मसूर, मक्का की खेती करते हैं, उन्हें एमएसपी गारंटी का फायदा मिलेगा और यह फैसला देश भर में लागू किया जाएगा.'
MSP पाने के लिए रजिस्ट्रेशन करना होगा
इस फैसले को लागू करने के लिए सरकार ने एक प्रोसेस को अंतिम रूप दे दिया है और इसके लिए एक पोर्टल विकसित किया है, जहां किसानों को रजिस्ट्रेशन करना होगा और एक शपथ पत्र देना होगा कि उन्होंने अपनी फसलों में विविधता ला दी है.
सेटेलाइट इमेज से होगी जांच
पीयूष गोयल ने कहा कि पोर्टल पर रजिस्टर्ड किसान अपनी फसल को NCCF, NAFED और CCI को भी बेच सकते हैं. किसानों ने अपनी फसल में विविधता लाई है इसकी जांच करने के लिए सरकार सेटेलाइट इमेज और फसल बीमा डाटा का इस्तेमाल करेगी.
क्या है सरकार का उद्देश्य
ऐसा कर सरकार का उद्देश्य दालों का बफर स्टॉक तैयार करना है ताकि बाद में दालों की कीमतों को कंट्रोल किया जा सके.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार का मानना है कि यह फैसला किसानों के हित में है और इसलिए इसे लागू किया जाएगा.
घटते भूजल स्तर से सरकार चिंतित
बता दें कि गन्ना और चावल की खेती में भारी मात्रा में पानी का इस्तेमाल होता है और सरकार घटते भूजल के स्तर से चिंतित है. गेहूं की फसल में पानी का इस्तेमाल ज्यादा नहीं होता लेकिन उसमें उर्वरकों को असीमित उपयोग किया जाता है जिससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता दिनों दिन घट रही है, इसलिए सरकार ऐसी फसलों की ओर किसानों को ले जाना चाहती है जिन्हें उगाने में कम पानी और कम उर्वरकों का इस्तेमाल हो.
डायनेमिक ग्राउंडवॉटर रिसोर्सेज असेसमेंट ऑफ इंडिया-2017 की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब के 138 ब्लॉकों में से 109 ब्लॉकों की हालत बिल्कुल खराब हो गई है. अब केवल 22 ब्लॉक ही सुरक्षित बचे हैं.
इथेनॉल ब्लेंडिंग में होगा मक्के का इस्तेमाल
सरकार का मानना है कि मक्के का इस्तेमाल इथेनॉल ब्लेंडिंग में किया जाएगा. सरकार का लक्ष्य 2025 तक 20% इथेनॉल ब्लेंडिंग करना है ताकि कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम की जा सके और रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ाया जा सके औ वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सके. इसके अलावा दालों की फसल में बढ़ोतरी से दालों का आयात घटाया जा सकेगा.