किसानों पर मेहरबान, मध्यमवर्ग को राहत, बजट 2024 में ये बड़े ऐलान कर सकती है सरकार

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार 3.0 के पहले आम बजट से इस बार खासी उम्मीदें टिकी हैं, जिसमें निम्न और मध्यवर्ग को सरकार महत्वाकांक्षी योजनाओं के जरिए विशेष लाभ दे सकती है. वहीं नौकरीपेशा लोगों के लिए भी आयकर छूट सीमा बढ़ाए जाने और स्लैब में परिवर्तन किए जाने की चर्चाएं हो रही. बदले हुए इस समीकरणों के बीच सरकार के लिए यह बजट सहयोगी दलों के अपने राज्यों की मांग के चलते चुनौतियों से भरा है.

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Union Budget 2024: नरेंद्र मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ले चुके. उनके दूसरे कार्यकाल की शुरुआत हो चुकी है. इस कार्यकाल में पहला बजट 23 जुलाई 2024 को पेश होगा. यह बजट देश के लिए कितना अच्छा रहेगा और किन-किन क्षेत्र में इस बजट का अधिक लाभ मिलेगा यह देखना होगा. हालांकि केंद्र की मोदी सरकार पर हर वर्ग के झोली में कुछ न कुछ डालने का दबाव है. चूंकि चार राज्यों के चुनाव सामने है, ऐसे में इन राज्यों के लोगों को भी उम्मीदें टिकी है. राजनीतिक रूप से सरकार को मतदाताओं को साधने की कवायद करनी पड़ी है. सरकार की कोशिश होगी कि वह अपने बिखरे हुए जनाधार को समेटने और सहयोगी दलों के साथ तालमेल को बेहतर बनाए.

23 जुलाई को जब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार सातवीं बार जब संसद में वित्त वर्ष 2024-25 का आम बजट प्रस्तुत करेंगी तो उसमें कुछ बड़ी घोषणाएं हो सकती है. इसमें बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए कुछ अहम घोषणाएं हो सकती है. बजट से पूर्व विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों और उनसे जुड़े संगठन प्रमुखों के साथ वित्त मंत्री बैठक कर चुकी है. अब बजट को अंतिम रूप देने की  प्रक्रिया तेजी से चल रही है.

मध्यवर्ग और नौकरीपेशा लोगों को मिल सकता है लाभ

अभी तक की बैठकों के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि सरकार आयकर छूट सीमा में बदलाव करेगी. इससे मध्यवर्ग और नौकरीपेशा लोगों को खासा लाभ होगा. इसके लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की पुरानी और नई व्यवस्था में कुछ अहम बदलाव हो सकते हैं. किसानों के लिए सरकार किसान सम्मान निधि छह हजार रुपये से बढ़ाकर 10-12 हजार रुपये कर सकती है. कृषि उत्पादों पर कर दी दरों को कम करने का फैसला भी हो सकता है.

मनरेगा मजदूरों के लिए बड़ा ऐलान संभव


मनरेगा मजदूरी को 100 से बढ़ाकर 150 दिन किया जा सकता है, साथ ही. मनरेगा मजदूरों को कृषि क्षेत्र के साथ जोड़ने का फैसला भी लिया जा सकता है. इसके साथ ही न्यू पेंशन स्कीम को ज्यादा आकर्षक बनाया जा सकता है, जिसको लेकर अभी तक सरकारी कर्मचारी में नाराजगी देखी जा रही है.

इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर ऊर्जा को बढ़ावा

इस बजट में सरकार के ऊपर सबसे ज्यादा दबाव रोजगार के अवसर पैदा करने का है. इसलिए इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर ऊर्जा को बढ़ावा देने के साथ रोजगार पैदा करने वाले क्षेत्रों का बजट बढ़ाने की पूरी संभावना है. अग्निवीर जैसी योजना में भी सैनिक को ज्यादा वित्तीय लाभ देने का फैसला हो सकता है.

एनडीए सरकार का पहला साझा बजट

इस बार का बजट भले ही मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट हो लेकिन एनडीए सरकार का पहला साझा बजट है ये. इसमें सरकार के सामने जेडीयू और टीडीपी की मांग को पूरा करने की चुनौती है. दोनों ही पार्टियों ने बिहार और आंध्र प्रदेश को लेकर करीब एक लाख करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की मांग रखी है. इसके साथ ही बुनियादी ढांचे वाली परियोजनाओं के लिए उधार लेने की सीमा बढ़ाने की मांग की है. बीजेपी के पास सरकार बनाने को पूर्ण बहुमत न होने के कारण दोनों ही राजनीतिक दल केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की पूरी स्थिति में है, जिसका असर इस बार के बजट में देखने को मिल सकता है. क्योंकि दोनों ही दल अपना मांग पत्र केंद्र की सरकार को सौंप चुके हैं.

बिहार की मांग

इस बजट में बिहार सरकार की ओर से 9 हवाई अड्डे, चार मेट्रो लाइंस और सात मेडिकल कालेज के साथ 200 अरब रुपये का थर्मल पावर प्लांट लगाने के लिए पैसा मांगा गया है. 20,000 किलोमीटर से अधिक लंबाई की सड़कों की मरम्मत के लिए अलग से पैकेज की मांग रखी गई है. साथ ही बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने का मुद्दा भी तेज है. ऐसे में बिहार को लेकर बजट में कुछ बड़ी घोषणाएं हो सकती है.

आंध्र प्रदेश की मांग

बात आंध्र प्रदेश की करें तो यहां विजयवाड़ा, विशाखापट्टनम और अमरावती में मेट्रो रेल परियोजनाओं के साथ विजयवाड़ा से मुंबई और नई दिल्ली तक वंदे भारत ट्रेन चलाने की मांग रखी गई है. वहीं राज्यों के पिछले जिलों में शामिल रामायापत्तनम बंदरगाह और कडप्पा में एक इस्पात संयंत्र की भी मांग है, विशेष राज्य का मुद्दा यहां भी उठाया गया है.