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जब लगी संतों की अदालत...और दंडाधिकारी बन गए यूपी के CM योगी आदित्यनाथ

गोरक्षपीठाधीश्वर नाथ पंथ की परंपरा के अनुसार हर वर्ष विजयादशमी के अवसर पर गोरखनाथ मंदिर में पीठाधीश्वर की ओर से संतों के विवाद का निस्तारण किया जाता है. इस दिन सीएम योगी दंडाधिकारी बनते हैं.

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Edited By: Amit Mishra
जब लगी संतों की अदालत...और दंडाधिकारी बन गए यूपी के CM योगी आदित्यनाथ

Gorakshpeeth Vijayadashami: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गोरखपुर (Gorakhpur) में विजयादशमी (Vijayadashmi) के दिन माहौल कुछ ही अलग होता है. योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) इस दिन गोरक्षपीठ में रहते हैं और इस दौरान उनका एक अलग ही रूप देखने को मिलता है. योगी आदित्यनाथ का ये रूप नाथ संप्रदाय की पुरानी पहचान, सभ्यता, संस्कृति और अनोखी पंरपरा से जुड़ा है. इस दिन यहां संतों की अदालत लगती है और योगी दंडाधिकारी की भूमिका में होते हैं.

होता है संतों के विवाद का निस्तारण

गोरक्षपीठाधीश्वर नाथ पंथ की परंपरा के अनुसार हर वर्ष विजयादशमी के अवसर पर गोरखनाथ मंदिर में पीठाधीश्वर की ओर से संतों के विवाद का निस्तारण किया जाता है. ये दिन नाथ संप्रदाय के साधु-संतों के लिए खास होता है. योगी आदित्यनाथ दंडाधिकारी इसलिए बनते हैं क्योंकि वो नाथ पंथ की शीर्ष संस्था अखिल भारतवर्षीय अवधूत भेष बारह पथं योगी महासभा के अध्यक्ष हैं.

yogi adityanath vijyadashmi
 

सुनवाई में कोई झूठ नहीं बोलता

विवादों के निस्तारण से पहले संत पात्र देव के रूप में योगी आदित्यनाथ की पूजा करते हैं. पात्र देवता के सामने सुनवाई में कोई झूठ नहीं बोलता है. पात्र पूजा संत समाज में अनुशासन का पर्याय मानी जाती है. पात्र पूजा के दौरान संतों की अदालत करीब तीन घंटे लगती है. इस दौरान किसी को भी पूजा परिसर से बाहर जाने की अनुमति नहीं होती. पूजा में केवल वही संत और पुजारी हिस्सा लेते हैं, जिन्होंने नाथ पंथ के किसी योगी से दीक्षा ग्रहण की हो. पूजा के दौरान सभी को अपने गुरु का नाम बताना पड़ता है.

पात्र देवता को होता है ये अधिकार

संतों की अदालत में अगर किसी संत के विरुद्ध कोई शिकायत सही पाई जाती है या कोई नाथ परंपरा के खिलाफ किसी गतिविधि में संलिप्त मिलता है तो गोरक्षपीठाधीश्वर संबंधित संत पर कार्रवाई का निर्णय लेते हैं. सजा और माफी दोनों का अधिकार पात्र देवता को होता है. सामाजिक एवं राष्ट्रीय एकता, समरसता के अभियान को राष्ट्रव्यापी फलक देने के लिए महंत दिग्विजयनाथ ने 1939 में अखिल भारतवर्षीय अवधूत भेष बारह पंथ योगी महासभा की स्थापना की थी.

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ये भी जानें

बता दें कि महंत दिग्विजयनाथ अखिल भारतवर्षीय अवधूत भेष बारह पंथ योगी महासभा के आजीवन राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. उनके ब्रह्मलीन होने के बाद 1969 में महंत अवैद्यनाथ राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए. उनके ब्रह्मलीन होने के बाद 25 सितंबर, 2014 को योगी आदित्यनाथ अध्यक्ष बने. नाथ पंथ प्रमुख रूप से सतनाथी, रामनाथी, धर्मनाथी, लक्ष्मननाथी, दरियानाथी, गंगानाथी, बैरागीपंथी, रावलपंथी या नागनाथी, जालंधरनाथी, ओपंथी, कापलती या कपिलपंथी और धज्जा नाथी या महावीर पंथी नाम के 12 उपपंथों में विभाजित है. इसी वजह से इसे बारह पंथ योगी महासभा का नाम दिया गया है.

निकाली जाती है अनूठी शोभायात्रा

यहां ये भी बता दें कि गोरक्षपीठ से हर साल विजयादशमी पर निकलने वाली विजय शोभायात्रा अनूठी होती है. गोरक्षपीठाधीश्वर की अगुवाई वाली परंपरागत शोभायात्रा में हर वर्ग के लोग तो शामिल होते हैं. दशहरे के दिन गोरखनाथ मंदिर की विजयदशमी शोभायात्रा का इंतजार पूरे शहर को होता है. तुरही, नगाड़ों और बैंड बाजे की धुन के बीच की शोभायात्रा की अलग ही शोभा नजर आती है.

 

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