JNU की पूर्व छात्र नेता शेहला राशिद को बड़ी राहत मिली है. दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 2019 के देशद्रोह मामले में शेहला राशिद के खिलाफ मुकदमा वापस लेने की दिल्ली पुलिस की अर्जी स्वीकार कर ली है. समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली की एक अदालत ने शेहला राशिद के खिलाफ 2019 के देशद्रोह मामले में मुकदमा वापस लेने की अनुमति दे दी. शेहला राशिद पर भारतीय सेना के बारे में उनके ट्वीट को लेकर मुकदमा चलाया जा रहा है. राशिद को 18 अगस्त, 2019 को पोस्ट किए गए कई ट्वीट्स को लेकर कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ा था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि सेना के जवानों ने जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में चार लोगों को प्रताड़ित किया था और उनके बगल में एक माइक्रोफोन रखा था ताकि पूरा इलाका उनकी चीखें सुन सके और आतंकित हो जाए.
ये आरोप उन व्यक्तियों के बयानों पर आधारित थे, जो 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद घाटी में लॉकडाउन लगने के बाद कश्मीर छोड़ कर चले गए थे. दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के वकील अलख आलोक श्रीवास्तव की शिकायत के आधार पर सितंबर 2019 में राशिद के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया था. समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, यह मामला “विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने” और “सद्भाव बनाए रखने के लिए हानिकारक कार्य के आरोपों के तहत दर्ज किया गया था.
भारतीय सेना ने रशीद के दावों का पुरजोर खंडन करते हुए उन्हें निराधार और असत्यापित बताया था. दिल्ली के उपराज्यपाल के कार्यालय ने कहा था कि उनके ट्वीट का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में "धार्मिक मतभेद पैदा करना" था. 2023 में, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली पुलिस द्वारा भेजे गए प्रस्ताव और गृह विभाग द्वारा समर्थित राशिद के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी.
द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, गृह विभाग ने तर्क दिया था कि मामले की प्रकृति, जिस स्थान का ट्वीट संदर्भित करता है और सेना के खिलाफ झूठे आरोप लगाना इसे एक गंभीर मुद्दा बनाता है. विभाग ने यह भी दावा किया था कि राशिद की टिप्पणी भारतीय न्याय संहिता (पूर्व में आईपीसी) की धारा 153 ए के तहत मुकदमा चलाने की मांग करती है, जो सार्वजनिक व्यवस्था के खिलाफ अपराधों से संबंधित है.