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'अब तक सब कुछ ठीक, लेकिन...', चंद्रयान-3 को लेकर ISRO चीफ का बड़ा बयान

Chandrayaan-3: इसरो के सामने चंद्रयान-3 को चांद की सतह पर सफलतापूर्वक उतारने की सबसे बड़ी चुनौती होगी. विक्रम लैंडर को 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतारा जा सकता है.

नई दिल्ली: भारत के महत्वपूर्ण अंतरिक्ष अभियान चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) मिशन पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं.
शनिवार को चंद्रयान-3 पृथ्वी की कक्षा ने निकलकर चांद की कक्षा में स्थापित हो गया.

इस बीच इसरो (ISRO) चीफ एस सोमनाथ ने सोमवार को कहा कि जब चंद्रयान-3 100 किमी की गोलाकार कक्षा से चंद्रमा के करीब जाने लगेगा तब इसका सबसे मुश्किल चरण शुरू होगा.  

चंद्रयान-3 को 100 किमी की कक्षा में स्थापित करने के लिए इसकी कक्षा निर्धारण प्रक्रिया की योजना 9 अगस्त से 17 अगस्त के बीच बनाई जाएगी. इसरो चीफ ने कहा कि फिलहाल सब कुछ सही दिशा में घट रहा है.

23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतारा जा सकता है विक्रम लैंडर

14 जुलाई को लॉन्च किया गया चंद्रयान-3 अंतरिक्षयान चंद्रमा के चारों ओर 170 किमी गुणा 4313 किमी की अंडाकार कक्षा में स्थापित हो गया है.

अब इसरो के सामने चंद्रयान-3 को चांद की सतह पर सफलतापूर्वक उतारने की सबसे बड़ी चुनौती होगी. विक्रम लैंडर को 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतारा जा सकता है.

इसरो चीफ बोले- अभी तक सब कुछ ठीक

इसरो चीफ सोमनाथ ने एक मीडिया चैनल से बातचीत में कहा, '100 किलोमीटर तक हमें कोई परेशानी नजर नहीं आती. समस्याएं केवल पृथ्वी से लैंडर की सही स्थिति का अनुमान लगाने में हैं. यह बहुत ही कठिन स्थिति है और हम इसे कक्षा निर्धारण प्रक्रिया कहते हैं. यदि यह ठीक तरीके से हो गई तो बाकी सब कुछ सही हो जाएगा.'

उन्होंने कहा, 'अभी हम इसे नीचे लाने में समर्थ हैं. कक्षाएं हमारी योजना के अनुसार बदल रही हैं, किसी प्रकार का भटकाव नहीं है. अभी तक के परिणाम अच्छे हैं, हम उम्मीद कर रहे हैं कि सब कुछ अच्छा होगा.'

'चंद्रयान-2 से मिल रही काफी मदद'
उन्होंने कहा कि हम इस मिशन की सफलता के लिए 2019 के चंद्रयान-2 की आंशिक सफलता से काफी कुछ समझने की कोशिश कर रहे हैं.

इसरो चेयरमैन ने कहा कि चंद्रयान 2 मिशन से हमें काफी मदद मिल रही है. हम विस्तार से अध्ययन कर रहे हैं कि क्या कुछ गलत हो सकता है. चंद्रयान 2 से सबक लेते हुए हमने चंद्रयान-3 में कई बदलाव किये हैं.

उन्होंने कहा कि चंद्रयान 3 की स्थिति और इसकी लैंडिंग की मांप बढ़ाने के लिए हमने चंद्रयान 2 से चांद की ली गई तस्वीरों का इस्तेमाल किया है.

हमने संभावित असफलता को लेकर काफी कुछ जानकारी जुटाई है, इनकी वैधता के लिए हमने एक विस्तृत टैस्टिंग प्रोग्राम भी किया था.

रविवार को इसरो ने चंद्रयान-3 से ली गईं चांद की पहली तस्वीर जारी की थी. चांद की कक्षा में प्रवेश करने के बाद चंद्रयान-3 ने ये शानदार तस्वीरें खींची थीं.

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