Year Ender 2024 Year Ender Sports 2024

कर्मकूटि पूजन से लेकर प्राण प्रतिष्‍ठा तक, जानें रामलला प्राण-प्रतिष्ठा से पहले कौन-कौन से होने है अनुष्‍ठान?

अयोध्या में रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह की आज से शुरूआत हो जाएगी. एक सप्ताह तक चलने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में आज यानी 16 जनवरी को प्रायश्चित्त और कर्मकूटि पूजन की शुरूआत होगी.

Avinash Kumar Singh

नई दिल्ली: अयोध्या में रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह की आज से शुरूआत हो जाएगी. एक सप्ताह तक चलने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में आज यानी 16 जनवरी को प्रायश्चित्त और कर्मकूटि पूजन, 17 जनवरी को मूर्ति का परिसर प्रवेश, 18 जनवरी सायं तीर्थ पूजन, जल यात्रा, जलाधिवास और गंधाधिवास, 19 जनवरी प्रातः औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास, 19 जनवरी सायं धान्याधिवास, 20 जनवरी प्रातः शर्कराधिवास, फलाधिवास, 20 जनवरी सायं पुष्पाधिवास, 21 जनवरी प्रातः मध्याधिवास, 21 जनवरी सायं शय्याधिवास उसके बाद अगले दिन रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा योग का शुभ मुहूर्त, पौष शुक्ल कूर्म द्वादशी, विक्रम संवत 2080, यानी सोमवार, 22 जनवरी, 2024 को है.

22 जनवरी को रामलला की होगी प्राण प्रतिष्ठा

सभी शास्त्रीय परंपराओं  का पालन करते हुए प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम अभिजीत मुहूर्त में संपन्न किया जाएगा. प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व शुभ संस्कारों का प्रारंभ 16 जनवरी 2024 से होगा, जो 21 जनवरी, 2024 तक चलेगा. 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के दिन प्रधानमंत्री मोदी, RSS सरसंघचालक मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की मौजूदगी रहेगी. रामलला प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में भारतीय आध्यात्मिकता, धर्म, संप्रदाय, पूजा पद्धति, परंपरा के सभी विद्यालयों के आचार्य, 150 से अधिक परंपराओं के संत, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत, नागा सहित 50 से अधिक आदिवासी, गिरिवासी, तातवासी, द्वीपवासी आदिवासी परंपराओं के प्रमुख व्यक्तियों की कार्यक्रम में उपस्थिति रहेगी. 

सभी मेहमानों को कराया जाएगा रामलला का दर्शन 

प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में सात अधिवास होते हैं और न्यूनतम तीन अधिवास अभ्यास में होते हैं. समारोह के अनुष्ठान की सभी प्रक्रियाओं का समन्वय, समर्थन और मार्गदर्शन करने वाले 121 आचार्य होंगे. श्री गणेशवर शास्त्री द्रविड़ सभी प्रक्रियाओं की निगरानी, समन्वय और दिशा-निर्देशन करेंगे, तथा काशी के श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित मुख्य आचार्य होंगे. गर्भ-गृह में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के पूर्ण होने के बाद सभी मेहमानों को दर्शन कराया जाएगा. समारोह के पूर्व विभिन्न राज्यों के लोग लगातार जल, मिट्टी, सोना, चांदी, मणियां, कपड़े, आभूषण, विशाल घंटे, ढोल, सुगंध इत्यादि के साथ आ रहे हैं. उनमें से सबसे उल्लेखनीय मां जानकी के मायके द्वारा भेजे गए भार (एक बेटी के घर स्थापना के समय भेजे जाने वाले उपहार) जो जनकपुर (नेपाल) और सीतामढ़ी (बिहार) के ननिहाल से अयोध्या लाए गए. रायपुर, दंडकारण्य क्षेत्र स्थित प्रभु के ननिहाल से भी विभिन्न प्रकार के आभूषणों आदि के उपहार भेजे गए हैं.