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India Daily

नौसेना कमांडर्स सम्मेलन 2025 का पहला संस्करण सम्पन्न: समुद्री सुरक्षा और नौसेना की तैयारियों पर हुई चर्चा

सम्मेलन में नौसेना कमांडरों ने रक्षा स्टाफ प्रमुख, थल सेना प्रमुख और वायु सेना प्रमुख के साथ विचार-विमर्श किया, जिन्होंने सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए त्रि-सेवा सहयोग पर जोर दिया.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
First edition of Naval Commanders Conference 2025 concluded Maritime security and naval preparedness

नौसेना कमांडर्स सम्मेलन 2025 का पहला संस्करण आज नई दिल्ली में सम्पन्न हुआ. 5 से 11 अप्रैल तक कारवार और नई दिल्ली में दो चरणों में आयोजित इस सप्ताह भर के शीर्ष-स्तरीय सम्मेलन में समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा चुनौतियों और भारतीय नौसेना की परिचालन तैयारियों की समीक्षा की गई. सम्मेलन के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कारवार में माननीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की, जिसमें रक्षा स्टाफ प्रमुख, रक्षा सचिव, रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और नौसेना कमांडर उपस्थित थे.

कारवार में पहला चरण

कारवार में पहले चरण के दौरान राजनाथ सिंह ने आईओएस सागर की ऐतिहासिक यात्रा को हरी झंडी दिखाई. रक्षा मंत्री ने कहा, "आईओएस सागर की यात्रा हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) के देशों के साथ सहयोग और भारत सरकार की सागर से महासागर (म्यूचुअल एंड होलिस्टिक एडवांसमेंट फॉर सिक्योरिटी एक्रॉस द रीजन) की दृष्टि को दर्शाती है." उन्होंने प्रोजेक्ट सीबर्ड के तहत नौ अत्याधुनिक समुद्री घाटों, आठ आवासीय भवनों और अन्य सुविधाओं का उद्घाटन भी किया. इस चरण में नौसेना की परिचालन तत्परता और आधुनिकीकरण योजनाओं की समीक्षा हुई.

नई दिल्ली में दूसरा चरण
7 अप्रैल से नौसेना भवन, नई दिल्ली में नौसेना स्टाफ प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी की अध्यक्षता में दूसरा चरण शुरू हुआ. इसमें परिचालन, सामग्री, रसद, मानव संसाधन, प्रशिक्षण और प्रशासनिक पहलुओं का व्यापक मूल्यांकन किया गया. इस अवसर पर नौसेना की अंतरिक्ष दृष्टि, नौसेना वायु प्रकाशन, परिचालन डेटा ढांचा और पूर्व सैनिकों के लिए 'नेवी फॉर लाइफ एंड बियॉन्ड' संकलन जैसे प्रकाशन जारी किए गए.

त्रि-सेवा सहयोग और विशेषज्ञों से संवाद
सम्मेलन में नौसेना कमांडरों ने रक्षा स्टाफ प्रमुख, थल सेना प्रमुख और वायु सेना प्रमुख के साथ विचार-विमर्श किया, जिन्होंने सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए त्रि-सेवा सहयोग पर जोर दिया. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने वैश्विक व्यवस्था के बदलाव और समुद्री सुरक्षा पर इसके प्रभावों पर प्रकाश डाला, जबकि भारत के जी20 शेरपा अमिताभ कांत ने नौसेना की राष्ट्रीय विकास और क्षेत्र में 'पसंदीदा सुरक्षा साझेदार' की भूमिका को रेखांकित किया.

सागर मंथन और रणनीतिक चर्चा
7 अप्रैल को 'सागर मंथन' कार्यक्रम में कमांडरों ने विशेषज्ञों और रणनीतिक विचारकों के साथ भारत की महासागर दृष्टि और समुद्री विकास में नौसेना की भूमिका पर चर्चा की.