Nirmala Sitharaman: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में संविधान को लेकर हो रही चर्चा पर भाषण देते हुए कांग्रेस पर जबर हमला बोला. उन्होंने कांग्रेस के शासनकाल के दौरान स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने के कई उदाहरण प्रस्तुत किए. उन्होंने इतिहास की उन घटनाओं को याद किया, जब कांग्रेस ने आलोचनाओं को स्वीकार नहीं किया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने के लिए कड़े कदम उठाए थे.
निर्मला सीतारमण ने भारतीय संविधान के स्थायित्व का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 50 से अधिक देशों ने संविधान बनाए, लेकिन उनमें से कई देशों ने अपने संविधान में बदलाव किए थे. इसके विपरीत, भारतीय संविधान ने समय के साथ खुद को सही किया है, लेकिन उसकी मूल संरचना और सिद्धांत आज भी समान हैं. उन्होंने यह भी कहा कि कई संशोधन किए गए हैं, लेकिन संविधान ने हर दौर में खुद को सही साबित किया है.
निर्मला सीतारमण ने 1949 की घटना का जिक्र किया, जब मशहूर शायर मजरूह सुलतानपुरी को पंडित नेहरू के खिलाफ कविता लिखने के आरोप में जेल भेज दिया गया था. वह एक सभा में मिल श्रमिकों से बात कर रहे थे, जब उन्होंने यह कविता सुनाई थी. सुलतानपुरी ने इस कविता के लिए माफी मांगने से इनकार कर दिया और उन्हें जेल भेज दिया गया. सीतारमण ने यह उदाहरण दिया, यह बताने के लिए कि कांग्रेस के शासनकाल में स्वतंत्र अभिव्यक्ति को किस तरह से दबाया गया.
#WATCH | Constitution Debate | In Rajya Sabha, Union Finance Minister Nirmala Sitharaman says, "...Majrooh Sultanpuri and Balraj Sahni were both jailed in 1949. During one of the meetings organized for the mill workers in 1949, Majrooh Sultanpuri recited a poem that was written… pic.twitter.com/jwqZaAJwl5
— ANI (@ANI) December 16, 2024
निर्मला सीतारमण ने यह भी बताया कि कैसे कांग्रेस ने आलोचना को अस्वीकार किया और अभिव्यक्ति के अधिकार को दमन करने के लिए किताबों और फिल्मों पर बैन लगाए. उन्होंने कहा, "नेहरू, जो एक राजनीतिक जीवनी थी और 1975 में माइकल एडवर्ड्स द्वारा लिखी गई थी, उसे कांग्रेस सरकार ने बैन कर दिया. इसके अलावा, ‘किस्सा कुर्सी का’ नामक फिल्म को सिर्फ इसलिए बैन किया गया, क्योंकि उसने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी पर सवाल उठाए थे."
निर्मला सीतारमण ने अपने बयान में यह भी कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अपनी राजनीतिक कुर्सी बचाने के लिए संसद में एक संशोधन करने की योजना बनाई थी, इससे पहले कि अदालत का कोई फैसला आए. उन्होंने कहा, "कुर्सी बचाने के लिए हम कोर्ट के निर्णय से पहले ही संसद में संशोधन करेंगे." यह कथन इस बात का उदाहरण था कि कैसे कांग्रेस अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए संवैधानिक प्रक्रियाओं का दुरुपयोग करने से भी नहीं चूकती थी.