menu-icon
India Daily

'मैं बार-बार कोर्ट नहीं आ पाऊंगी...', कोर्ट से ही परेशान हो गई महिला, वापस ले लिया केस

महिला ने वापस लिया केस, हाई कोर्ट, दिल्ली हाई कोर्ट, दिल्ली न्यूज, महिला ने वापस लिया अपना केस, बार बार कोर्ट की सुनवाई से तंग आकर महिला ने वापस लिया अपना केस

auth-image
Edited By: India Daily Live
Woman
Courtesy: freepik

Delhi News: आपने अक्सर अपने बड़े-बुजुर्गों से सुना होगा कि जाहे जीवन में कुछ भी कर लेना लेकिन कोर्ट कचहरी के चक्करों में मत पड़ना. क्योंकि वे जानते हैं कि भारत की न्याय व्यवस्था का हाल क्या है. यहां फैसला आने में दस-दस, बीस-बीस साल लग जाते हैं. कई-कई मामलों में तो आरोपी परलोक सिधार जाता है और फैसला उसकी मौत के बाद आता है. तारीख पे तारीख से तंग आकर एक महिला ने अपना केस वापस ले लिया.

'मी लॉड, मैं बार-बार काम छोड़कर अदालत नहीं आ सकती.'

न्याय व्यवस्था से तंग आकर एक महिला अपना केस वापस ले लिया. शिकायतकर्ता महिला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंची और उसने कोर्ट से कहा कि वह अपना काम छोड़कर बार-बार कोर्ट की सुनवाई में शामिल होने से थक गई है और इसलिए वह अपना केस वापस लेना चाहती है. महिला ने कहा, 'मी लॉड, मैं बार-बार काम छोड़कर अदालत नहीं आ सकती.'

कोर्ट ने दी इजाजत

महिला की गुहार पर कोर्ट ने उसे अपना केस वापस लेने की इजाजत दे दी, लेकिन कोर्ट ने शर्त रखी कि याचिकाकर्ता (आरोपी)  को कोर्ट का खर्च वहन करेगा. जब याचिकाकर्ता के वकील ने खर्च की वसूली न करने की गुजारिश की तो हाई कोर्ट ने साफ कह दिया कि अगर कोर्ट का खर्च जमा नहीं किया तो केस चलता रहेगा.

ट्रायल कोर्ट में चल रहा था केस
केस ट्रायल कोर्ट में चल रहा था. शिकायतकर्ता महिला ने दूसरे पक्ष के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज कराया था. ट्रायल कोर्ट में केस चल ही रहा था कि शिकायतकर्ता और आरोपी (याचिकाकर्ता) दोनों पक्ष मामले को सुलझाने की अनुमति के लिए हाई कोर्ट पहुंचे. शिकायतकर्ता ने कोर्ट से कहा, 'मैं बार-बार काम छोड़कर कोर्ट नहीं आ सकती, मेरा केस वापस कर दीजिए.'

10 में से 7 मामले हो रहे वापस- कोर्ट
इस पूरे मामले पर जस्टिस अनूप भंभानी ने कहा कि यह मुकदमेबाजी की थकान का नतीजा है. उन्होंने कहा, 'अब यही असली वजह है कि 10 में से 7 मामलों में केस वापस लिए जा रहे हैं. इसी को मुकदमेबाजी की थकान कहते हैं कि आप केस को आगे बढ़ाने के लिए बार-बार कोर्ट नहीं जा सकते.' उन्होंने आगे कहा, 'ऐसा नहीं लगता कि केस वापस लेने का यही एकमात्र कारण है. वह (महिला) जिरह के चरण में  FIR भी इसलिए वापस ले रही है क्योंकि वह जानती है आप (याचिकाकर्ता) उसे और शर्मिंदा करेंगे.'

 

सम्बंधित खबर