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जम्मू-कश्मीर में वोटिंग के दौरान आतंकी हमले की आशंका, जानें क्या है सुरक्षाबलों की तैयारियां?

Jammu and Kashmir Assembly Elections 2024: जम्मू कश्मीर में 18 सितंबर से तीन चरणों में मतदान होना है. जिसके लिए पूरे घाटी में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं. यहां सुरक्षा ग्रिड को कड़ा कर दिया गया है. जिसमें विशेष बलों सहित डिवीजन स्तर की अतिरिक्त ताकत को शामिल और तैनात किया गया है.

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Edited By: India Daily Live
Indian Army
Courtesy: Social Media

जम्मू-कश्मीर में लगभग एक दशक बाद पहली बार विधानसभा चुनाव होने जा रहा है. ऐसे में सभी की निगाहें केंद्रीय और स्थानीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा किए जा रहे सुरक्षा इंतजामों पर टिकी हुई  है. खबरों के मुताबिक रक्षा और सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि उन्हें चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न होने का भरोसा है लेकिन जम्मू क्षेत्र में आतंकी घटनाओं में बढ़ोतरी को लेकर चिंता जताई है.

वहीं केंद्र शासित प्रदेश में विशेष रूप से जम्मू क्षेत्र में सुरक्षा ग्रिड को कड़ा कर दिया गया है. जिसमें विशेष बलों सहित डिवीजन स्तर की अतिरिक्त ताकत को शामिल और तैनात किया गया है. आतंकवाद और उग्रवाद विरोधी अभियानों में अनुभवी कर्मियों के साथ सुरक्षा ग्रिड को और मजबूत करने के लिए असम राइफल्स की दो बटालियों को भी जम्मू क्षेत्र में शामिल किया जा रहा है.

विधानसभा चुनावों में आतंकी हमले का डर?

सूत्रों के मुताबिक कि पीर पंजाल रेंज के ऊपरी इलाकों में नई तैनाती की गई है, साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़ साल में जम्मू क्षेत्र में घुसपैठ करने में कामयाब रहे आतंकवादियों के नए समूह को लेकर चिंता है.बताया जा रहा है कि इनकी संख्या करीब 4-50 है और ये अच्छी तरह प्रशिक्षित हैं और अत्याधुनिक उपकरणों से लैस रहते हैं. बता दें कि साल 2021 से अब तक जम्मू क्षेत्र में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सुरक्षाबलों के करीब 50 से अधिक जवान शहीद हो चुके हैं.

सेना ने चप्पे-चप्पे पर तैनात किए जवान

जम्मू क्षेत्र में आतंकी हमलों के विश्लेषण से पता चलता है कि ये आतंकवादी आसानी से काम करने और आगे बढ़ाने में कामयाब रहे हैं, सैनिकों को घात लगाकर हमला करने के लिए लुभाते हैं या उनके बीच आसान लक्ष्यों पर हमला करते हैं. आमतौर पर तब तक कोई काफिला बिना किसी रोड ओपनिंग पार्टी के आगे बढ़ रहा होता है. काफिलों पर ज्यादा हमले ऐसे इलाकों में हुए हैं जहां आरओपी आसान बात नहीं थी.

इलेक्शन से पहले ये हैं तैयारियां

खुफिया जानकारी का अभाव, घात लगाकर हमला करने की रणनीति का अभाव, राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) इकाइयों की पिछले कुछ वर्षों में कम तैनाती और चीन के साथ लद्दाख गतिरोध के बाद सैनिकों का डायवर्सन, दोहरी कमान के मुद्दे और सामान्य स्थिति बनाए रखने की आवश्यकता, जम्मू क्षेत्र में आतंकवाद के बढ़ने के पीछे मुख्य कारण प्रतीत होते हैं. जम्मू-कश्मीर में 18 सितंबर से तीन चरणों में मतदान होना है.