रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व प्रमुख एएस दुलत की नई किताब द चीफ मिनिस्टर एंड द स्पाई में किए गए खुलासे से कश्मीर में राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है. अपनी किताब में दुलत ने लिखा है कि 2019 में जब दिल्ली ने अनुच्छेद 370 के तहत कश्मीर की स्वायत्तता को रद्द कर दिया तो फारूक अब्दुल्ला ने सार्वजनिक रूप से इस कदम की निंदा करते हुए इसे "विश्वासघात" बताया था, लेकिन निजी तौर पर उन्होंने इस कदम का समर्थन किया था.
"उनकी कल्पना की उपज"
नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) ने बुधवार को दुलत के दावों को "उनकी कल्पना की उपज" बताकर खारिज कर दिया. फारूक ने एनसी द्वारा सोशल मीडिया अकाउंट पर जारी किए गए एक बयान में कहा, वह (दुलत) अपनी किताब की बिक्री बढ़ाने के लिए घटिया हथकंडे अपना रहे हैं. यह किताब गलतियों से भरी है. यह दुखद है, अगर वह मुझे अपना दोस्त मानते हैं और ऐसी गलत बातें लिखते हैं.
उन्होंने कहा कि किताब में पहली गलती यह है कि जब मैंने 1996 में सरकार बनाई थी, तो मैंने मंत्रिमंडल गठन पर उनकी सलाह मांगी थी. मैंने 25 मंत्रियों का एक बड़ा मंत्रिमंडल बनाया था और किताब के अनुसार, उन्होंने मुझे एक छोटा मंत्रिमंडल बनाने की सलाह दी थी, जिसका मैंने पालन किया. यह पहली गलती है. मुझे उनसे सलाह क्यों लेनी चाहिए थी, क्योंकि मुझे सरकार चलानी थी.
फारूक अब्दुल्ला का बयान
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि दुलत ने किताब में यह भी लिखा है कि सीएम हर मामले में उनसे सलाह लेते थे. सीएम कैबिनेट के अलावा किसी और से सलाह नहीं लेते. यह मंत्रियों और मुख्यमंत्री के बीच एक गुप्त बैठक होती है. इसे किसी को नहीं बताया जा सकता. यह मैंने तब भी देखा था जब मैं मनमोहन सिंह कैबिनेट में मंत्री था. फारूक ने इस बात से भी इनकार किया कि वे भाजपा के साथ जाने के लिए तैयार थे. उन्होंने (दुलत) अपनी किताब में लिखा है कि हम भाजपा के साथ जाने के लिए तैयार थे, जो तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है. जब अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया, तो हम जेल में थे, जबकि संसद में केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि हम आज़ाद हैं. फिर मैंने प्रेस से बात की और उसी शाम हम पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया गया.
विपक्ष ने कहा-सच्चाई सामने आ गई
हालांकि, इस किताब ने विपक्ष को एनसी पर निशाना साधने का एक नया मौका दे दिया है. पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद लोन ने कहा कि दुलत साहब ने अपनी आने वाली किताब में खुलासा किया है कि फारूक साहब ने निजी तौर पर अनुच्छेद 370 को हटाने का समर्थन किया था. उनके द्वारा किया गया यह खुलासा बहुत विश्वसनीय है. व्यक्तिगत रूप से, मैं इस खुलासे से हैरान नहीं हूं. 4 अगस्त, 2019 को सीएम साहब (उमर अब्दुल्ला) और फारूक साहब की पीएम से मुलाकात मेरे लिए कभी रहस्य नहीं रही.