menu-icon
India Daily

Farmers Protest: 2020 में 32 से अब 50 तक, जानें आंदोलन 2.0 के पीछे किन किसान संगठनों का हाथ

Farmers Protest: 2020-21 में जब किसान आंदोलन हुआ था, तब पंजाब के किसानों की एकता सामने आई थी और वे बड़ी संख्या में आंदोलन को समर्थन देने के लिए दिल्ली पहुंचे थे. किसानों के आंदोलन के बाद मोदी सरकार को तीन कृषि कानूनों को रद्द करना पड़ा था. हालांकि, अब किसान आंदोलन 2.0 के आगाज तक किसान संगठनों में काफी बदलाव आया है. कई गुट अलग-अलग हो चुके हैं और नए गुट का गठन किया है.

auth-image
Edited By: India Daily Live
Farmers Protest, delhi chalo protest, kisan andolan

Farmers Protest: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर जब 2020-21 में किसान आंदोलन ने सुर्खियां बटोरी थीं, तब पंजाब के कई गुट इस आंदोलन में शामिल हुए थे. उस दौरान पंजाब समेत अन्य राज्यों के किसान संगठनों में एकता देखने को मिली थी. किसानों की एकता और आंदोलन का परिणाम था कि केंद्र की मोदी सरकार को तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करना पड़ा था.

अब दो साल बाद एक बार फिर अलग-अलग किसान संगठनों की अपील पर भारी संख्या में किसान दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं. हालांकि, अब किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाला गुट अलग है. 2020-2021 में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने दिल्‍ली की सीमाओं पर 13 महीने तक किसान आंदोलन का नेतृत्‍व किया था. संयुक्त किसान मोर्चा कई किसान संगठनों का संयुक्‍त संगठन था. 

32 से बढ़कर 50 हुई किसान संगठनों की संख्या

रिपोर्ट्स के मुताबिक, तीन कृषि कानूनों के रद्द किए जाने के बाद किसान संगठनों ने आंदोलन खत्म कर दिया और घर लौट गए थे. लेकिन पिछले दो सालों में संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल कई किसान संगठनों में टूट की खबर सामने आईं और अलग-अलग गुट बन गए. 2020-21 में हुए किसान आंदोलन में जहां किसान संगठनों की संख्या 32 थी, तो वहीं इस बार हो रहे आंदोलन में किसान संगठनों की संख्या बढ़कर 50 हो गई है. हालांकि, संगठनों के अलग-अलग और कई गुटों में बंटने के बावजूद उनकी मुख्य मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानून बनाना है.

तीन गुटों में बंट गया संयुक्त किसान मोर्चा

संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) अब तीन गुटों में बंट गया है, जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा (पंजाब), संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (KMM) शामिल है. 

दरअसल, किसान संगठनों में टूट का कारण राजनीति बताया जा रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, संयुक्त किसान मोर्चा के तहत 22 यूनियनों ने पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के इरादे से 25 दिसंबर, 2021 को संयुक्त समाज मोर्चा (SSM) का गठन किया था. किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने SSM का नेतृत्व किया था. चुनाव लड़ने के इरादे से SSM बनने के बाद पंजाब के तीन प्रमुख किसान संगठन, भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्राहन), भारतीय किसान यूनियन (एकता सिधुपुर) और भारतीय किसान (एकता दकौंडा) ने SSM से खुद को अलग कर लिया.

तीन किसान संगठनों के हटने के बाद और भी गुट होने लगे अलग

पंजाब के तीन प्रमुख किसान संगठनों के SSM से अलग होने के बाद कई अन्य गुटों ने भी अलग रास्ता अपना लिया. हालांकि, जैसे ही चुनाव लड़ने का निर्णय उल्टा पड़ा, SSM पांच किसान समूहों तक सिमट कर रह गया. राजेवाल के नेतृत्व वाले इस गुट का 15 जनवरी, 2024 को संयुक्त किसान मोर्चा में विलय हो गया. इसी तरह, हरियाणा में किसान नेता गुरनाम चढ़नी ने एक और पार्टी (संयुक्त संघर्ष पार्टी) की स्थापना की, जिसे असफलताओं का सामना करना पड़ा.

किसान आंदोलन 2.0 का कौन कर रहा है नेतृत्व?

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक)
➤ जगजीत सिंह डल्लेवाल के नेतृत्व में किसान संगठन, भारतीय किसान यूनियन (एकता सिधुपुर) ने छोटे संगठनों को साथ लिया और एक नया किसान संगठन, संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) का गठन किया. इसमें हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश के किसान संगठन भी शामिल हैं.
➤ संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) ने किसान मजदूर मोर्चा के साथ हाथ मिलाया और 'दिल्ली चलो 2.0' के आह्वान के साथ अमृतसर और बरनाला में रैलियां कीं.

किसान मजदूर मोर्चा
➤ आंदोलन की अगुवाई में शामिल दूसरे किसान संगठन का नाम किसान मजदूर मोर्चा है, जो 18 किसान संगठनों का समूह है. एक साथ भारी संख्या में किसान संगठनों के आने के कारण इस गुट का नाम बदलकर 'किसान मजदूर मोर्चा संयोजक' कर दिया गया. पंजाब स्थित किसान मजदूर संघर्ष समिति के नेता सरवन सिंह पंढेर इस गुट के मुखिया हैं. 

दिल्ली चलो आंदोलन 2.0 में ये गुट शामिल नहीं

संयुक्त किसान मोर्चा (SKM)

➤ संयुक्त किसान मोर्चा में पहले शामिल कई गुट समय-समय पर अलग हो गए. इस गुट में शामिल बलबीर सिंह राजेवाल और जगजीत सिंह डल्लेवाल ने अलग गुट बनाया. हालांकि, बलबीर सिंह राजेवाल चार अन्य संगठनों के साथ 15 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा में लौट आए.
➤ संयुक्त किसान मोर्चा ने पंजाब में 26 जनवरी को हुए मार्च का नेतृत्व किया. संयुक्त किसान मोर्चा ने 16 फरवरी को ग्रामीण भारत बंद का आह्वान किया है.
➤ भारतीय किसान मोर्चा (राजेवाल), अखिल भारतीय किसान महासंघ, किसान संघर्ष समिति पंजाब, भारतीय किसान मोर्चा (मनसा) और आजाद किसान संघर्ष समिति ने 2022 के चुनावों के बाद एक नया यूनिट बनाया और संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल हो गए.

किसान आंदोलन 2.0 के प्रमुख चेहरे कौन हैं?

किसान आंदोलन 2.0 का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनैतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के प्रमुख चेहराें में जगजीत सिंह डल्लेवाल, सरवन सिंह पंढेर, अभिमन्यु कोहाड़, अमरजीत सिंह मोहड़ी, दिलबाग सिंह हरिगढ़, शिवकुमार शर्मा कक्‍का जी, राजिंदर सिंह चाहल, सुरजीत सिंह फूल आदि शामिल हैं.