Farmers Protest Latest Updates: किसानों के आंदोलन से पहले केंद्र सरकार की ओर से बड़ी कार्रवाई की गई है. कई किसान संगठनों और किसान नेताओं के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर रोक लगा दी गई है. कहा जा रहा है कि ये कदम इसलिए उठाया गया है ताकि किसान संगठन या फिर किसान नेता अपनी बातों को सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक न पहुंचा सके. जिन किसान नेताओं के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' अकाउंट पर रोक लगाई गई है, उनमें किसान नेता रमनदीप सिंह मान, सरवन सिंह पंढेर, सुरजीत सिंह फूल शामिल हैं. इसके अलावा, भारतीय किसान यूनियन (सिद्धपुर) समेत कई अन्य किसान संगठनों के भी X अकाउंट पर रोक लगाई गई है.
किसान आंदोलन को लेकर दिल्ली पुलिस ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था भी की है. किसानों के ट्रैक्टर मार्च को दिल्ली में घुसने से रोकने के लिए हरियाणा, पंजाब से लगने वाली सीमाओं को सील कर दिया गया है. साथ ही कटीले तार, लोहे की कील आदि भी लगाई गई है. इसके अलावा, गाजीपुर और सिंघु बॉर्डर पर सीमेंट के बोल्डर, पुलिस की गाड़ियों की मदद से बैरिकेडिंग भी की गई है. इसके अलावा, दिल्ली-मेरठ हाइवे से लगने वाली सीमा पर भी खास इंतजाम किए गए हैं.
किसान नेता रमनदीप सिंह ने 2022 में हुए किसान आंदोलन में भी मुख्य भूमिका निभाई थी. वे पिछले कई दिनों से किसान नेताओं और संगठनों के साथ मिलकर किसान आंदोलन 2.0 की रूपरेखा तैयार करने में जुटे हैं. सोमवार रात चंडीगढ़ में केंद्रीय मंत्रियों के साथ हुई बैठक में भी वे शामिल थे. रमनदीप सिंह मान ने किसान संगठनों और किसानों से भारी संख्या में आंदोलन में शामिल होने का आह्वान किया है.
किसान नेता सरवन सिंह पंढेर के सोशल मीडिया अकाउंट पर भी रोक लगाई गई है. सरवन सिंह पंढेर, पंजाब किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव हैं. पंजाब किसान मजदूर संघर्ष समिति का गठन साल 2000 में सतनाम सिंह पन्नू ने किया था. कहा जाता है कि इस संगठन का प्रभाव मालवा और दोआब के 10 जिलों में है.
एक अन्य नेता जिनके अकाउंट पर रोक लगाई गई है, उनका नाम सुरजीत सिंह फूल है. भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी संगठन के अध्यक्ष सुरजीत सिंह फूल पिछली बार हुए आंदोलन में भी एक्टिव थे. सुरजीत सिंह फूल के संगठन ने पंजाब में पीएम मोदी के काफिले को रोकने की जिम्मेदारी ली थी. पहली बार 2004 में ये संगठन सामने आया था. सुरजीत सिंह के खिलाफ 2009 में पंजाब सरकार ने UAPA के तहत केस दर्ज किया था. फूल के नक्सलियों से संबंध की भी बातें सामने आती रहीं हैं.
किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP के लिए कानून की मांग की है. किसान संगठनों और किसान नेताओं की ओर से स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की भी मांग की गई है. किसान अपने आंदोलन के जरिए कर्जमाफी की भी मांग कर रहे हैं. एक अन्य प्रमुख मांगों में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ित किसानों को न्याय दिलाना है. इसके अलावा, किसानों ने खेती से जुड़े मजदूरों के लिए पेंशन योजना की मांग की है. साथ ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार की भी मांग की गई है.
फिलहाल, आज के दिल्ली चलो मार्च में किसान संगठन, ऑल इंडिया किसान सभा शामिल नहीं है. ऑल इंडिया किसान सभा ने 16 फरवरी को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के बैनर तले भारत बंद का आह्नान किया है. कहा गया है कि शुक्रवार दोपहर 12 बजे से लेकर के शाम 4 बजे तक किसान संगठन के कार्यकर्ता देश के सभी नेशनल हाइवे का घेराव करेंगे. ऑल इंडिया किसान सभा ने भी स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग की है.