पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमाओं पर पिछले एक साल से अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे किसानों को बुधवार शाम पुलिस ने हटा दिया. ये सीमाएं किसान आंदोलन के कारण सामान्य यातायात के लिए बंद थीं. यह कार्रवाई तब हुई, जब पंजाब पुलिस ने किसान मजदूर मोर्चा (KMM) और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेताओं सरवन सिंह पंढेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल को हिरासत में ले लिया. ये नेता चंडीगढ़ से शंभू और खनौरी सीमाओं की ओर जा रहे थे, क्योंकि केंद्र सरकार के साथ उनकी सातवें दौर की बातचीत बेनतीजा रही थी. डल्लेवाल पिछले नवंबर से भूख हड़ताल पर हैं.
हिरासत और पुलिस कार्रवाई
#WATCH | Punjab Police demolished the tents erected by farmers at the Punjab-Haryana Shambhu Border, where they were sitting on a protest over various demands.
— ANI (@ANI) March 19, 2025
The farmers are also being removed from the Punjab-Haryana Shambhu Border. pic.twitter.com/TzRZKEjvXD
इसके बाद भारी पुलिस बल दोनों सीमाओं पर पहुंचा और वहां बैठे किसानों को हिरासत में लिया. खनौरी में कुछ बल प्रयोग के साथ किसानों को पुलिस वाहनों में बिठाया गया. फिर जेसीबी मशीनों की मदद से अस्थायी मंच, टेंट और अन्य संरचनाओं को तोड़ा गया और ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को हटा दिया गया. खनौरी से करीब 200 और शंभू से लगभग 40 किसानों को हिरासत में लिया गया. शंभू सीमा के आसपास कई इलाकों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं और नजदीकी गांवों में भारी पुलिस तैनात की गई.
कार्रवाई का फैसला कब और क्यों?
सूत्रों के मुताबिक, प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के खिलाफ कार्रवाई का फैसला मंगलवार रात लिया गया. यह निर्णय आम आदमी पार्टी (AAP) के शीर्ष नेताओं और उद्योगपतियों की बैठक के बाद आया, जिसमें उद्योगपतियों ने आंदोलन से होने वाले आर्थिक नुकसान की शिकायत की थी. पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि यह कदम राज्य के आर्थिक विकास के लिए जरूरी था.
पटियाला रेंज के डिप्टी इंस्पेक्टर ऑफ पुलिस मंदीप सिंह सिद्धू (खनौरी में मौजूद) और पटियाला के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नानक सिंह (शंभू में मौजूद) ने कहा कि किसानों से सहयोग करने और सड़क खाली करने की अपील की गई. नानक सिंह ने बताया, "जो किसान अपने घरों को लौटना चाहते थे, उन्हें भेज दिया गया. सड़क को जल्द खाली कराया जाएगा और हरियाणा पुलिस से संपर्क कर दूसरी तरफ से भी यातायात बहाल करने की कोशिश की जा रही है." सिद्धू ने कहा, "हम सभी किसानों के बच्चे हैं और हमने उनसे सहयोग मांगा."
आंदोलन की शुरुआत
किसान पिछले साल 13 फरवरी से शंभू (शंभू-अंबाला) और खनौरी (संगरूर-जिंद) सीमाओं पर डेरा डाले हुए थे. उनकी दिल्ली कूच को सुरक्षा बलों ने रोक दिया था. हरियाणा की ओर से इन सीमाओं पर कंक्रीट और अन्य बैरिकेड्स लगाए गए थे, जो अभी भी मौजूद हैं.
विपक्ष का हमला
कई विपक्षी नेताओं ने AAP सरकार पर इस पुलिस कार्रवाई के लिए निशाना साधा. केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत बिट्टू ने इसकी कड़ी निंदा की. पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि AAP सरकार ने बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के दबाव में आकर किसानों पर कार्रवाई की. पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने केंद्र की बीजेपी सरकार और राज्य की AAP सरकार दोनों पर किसानों के साथ विश्वासघात का आरोप लगाया. उन्होंने सवाल उठाया कि जब केंद्र और किसानों के बीच बातचीत चल रही थी, तो पंजाब पुलिस को नेताओं को गिरफ्तार करने की क्या जरूरत थी?
सवाल बरकरार
यह कार्रवाई केंद्र सरकार के कहने पर हुई या AAP सरकार ने खुद फैसला लिया, यह सवाल अब भी अनुत्तरित है. कुछ का मानना है कि यह केंद्र और राज्य सरकार की साझा रणनीति थी, जबकि अन्य इसे AAP की स्वतंत्र पहल मानते हैं. लेकिन इस बीच किसानों का आंदोलन दब गया और सीमाएं खाली हो गईं. अब सबकी नजर इस बात पर है कि क्या यह शांति स्थायी होगी या भविष्य में फिर तनाव बढ़ेगा.