Farmers Protest 2024: किसान हमारे अन्नदाता हैं और उनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार नहीं किया जा सकता है. ये बातें एग्रीकल्चर साइंटिस्ट एमएस स्वामीनाथन की बेटी मधुरा स्वामीनाथन ने कही है. मंगलवार को एक कार्यक्रम में उन्होंने ये भी कहा कि किसानों के लिए सोचने वाले और उनका भला चाहने वाले एमएस स्वामीनाथन को अगर भारत रत्न मिलता है, तो फिर किसानों की भी बात सुनी जानी चाहिए. हमें उन्हें भी साथ लेकर चलना ही होगा.
इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टिट्यूट (IARI) में एक कार्यक्रम के दौरान मधुरा स्वामीनाथन ने कहा कि पंजाब के किसान दिल्ली कूच कर रहे हैं. हरियाणा में उनके लिए जेलें तैयार की जा रही हैं, बैरिकेडिंग की जा रही है, उन्हें रोकने के लिए हर तरह की चीजें की जा रही हैं. मेरा मानना है कि ये किसान हैं, अपराधी नहीं हैं. मैं आप सभी से, भारत के प्रमुख वैज्ञानिकों से अनुरोध करती हूं कि हमें अपने अन्नदाताओं से बात करनी होगी, हम उनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार नहीं कर सकते. हमें समाधान ढूंढना होगा. ये मेरा अनुरोध है.
MS स्वामीनाथन की दूसरी बेटी और WHO की पूर्व चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि वे उन पहले लोगों में से एक थे, जिन्होंने 60 के दशक के अंत और 70 के दशक की शुरुआत में क्लाइमेंट चेंज के बारे में बात की, जब बहुत से लोग इस बारे में नहीं सोच रहे थे. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि मेरे पिता की नीति खुले दरवाजे वाली थी, जहां कोई भी उनसे बात करने के लिए उनके ऑफिस या घर में आ सकता था.
उन्होंने कहा कि मेरे पिता को छात्रों के साथ बातचीत करना पसंद था क्योंकि उनका मानना था कि छात्र ही भविष्य में समस्याओं का समाधान करेंगे. उन्होंने कहा कि मेरे पिता कृषि और किसानों के कल्याण, विशेष रूप से छोटे किसानों और मछुआरों के साथ-साथ हाशिए पर रहने वाले आदिवासी समुदायों के लिए समर्पित थे. उन्हें हमेशा चिंता होती थी कि जो लोग हमारे लिए भोजन उगाते हैं, वे वास्तव में बहुत स्वस्थ या समृद्ध जीवन नहीं जी रहे हैं.
इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टिट्यूट के पूर्व डायरेक्टर आरबी सिंह ने कहा कि एमएस स्वामीनाथन ने MSP का फॉर्मूला तैयार किया था और इसे लागू करने की जोरदार सिफारिश की थी. उन्होंने राष्ट्रीय किसान आयोग में हरित क्रांति का नेतृत्व करने वाले एमएस स्वामीनाथन के बारे में बात करते हुए आरबी सिंह ने कहा कि उन्होंने किसानों पर पहली बार नीति भी बनाई थी. किसानी पर कई नीतियां हैं, लेकिन हल चलाने वाले व्यक्ति, किसानों पर नीति कहीं नहीं थी.
IARI के पूर्व डायरेक्टर आरबी सिंह के मुताबिक, स्वामीनाथन आयोग ने न्यूनतम समर्थन मूल्य को अपनाने का दृढ़ता से सुझाव दिया था. उनका मानना था कि अगर हमारे किसानों को प्रस्तावित तर्ज पर सहायता दी जाती है, तो वे कृषि, खाद्य और पोषण सुरक्षा में एक शानदार भविष्य सुनिश्चित करेंगे.