जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले ने देश को झकझोर दिया। इस हमले में इंदौर के 58 वर्षीय सुशील नाथनियल सहित 28 लोगों की जान चली गई। सुशील, जो भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) में मैनेजर थे, अपने परिवार के साथ छुट्टियां मनाने 'मिनी-स्विट्जरलैंड' के नाम से मशहूर बैसरण मीडोज गए थे। उनके बेटे ऑस्टिन (उर्फ गोल्डी) ने बताया कि उनकी बड़ी बहन अकांक्षा (35) को गोली लगी, जबकि वह और उनकी मां जेनिफर (54) बाल-बाल बच गए।
चश्मदीद का चौंकाने वाला बयान
ऑस्टिन ने PTI को बताया, "आतंकियों में 15 साल के आसपास के नाबालिग लड़के शामिल थे। कम से कम चार हमलावर थे। वे हमले के दौरान सेल्फी ले रहे थे और उनके सिर पर कैमरे लगे थे।" उन्होंने कहा कि आतंकियों ने पर्यटकों की धार्मिक पहचान पूछी और 'कलमा' पढ़ने को कहा ताकि यह जांच सकें कि कोई मुस्लिम है या नहीं। ऑस्टिन ने यह भी दावा किया कि आतंकियों ने लोगों को कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया, भले ही किसी ने 'कलमा' पढ़ा हो।
सुरक्षा की मांग
ऑस्टिन ने सरकार से अपील की, "मैं चाहता हूं कि बैसरण में पुलिस और सेना की भारी तैनाती हो क्योंकि वहां सबसे ज्यादा पर्यटक आते हैं।" सुशील का अंतिम संस्कार इंदौर के जूना कैथोलिक कब्रिस्तान में हुआ, जहां उनकी पत्नी जेनिफर बार-बार बेहोश हो रही थीं। उनकी घायल बेटी व्हीलचेयर पर अंतिम संस्कार में शामिल हुई।
नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने बुधवार को सुशील के घर जाकर शोक व्यक्त किया। यादव ने कहा, "इंदौर के एक निवासी की आतंकी हमले में दुखद मृत्यु हुई। मैं बाबा महाकाल से उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना करता हूं। यह पाकिस्तान का कायरतापूर्ण कृत्य है।" मध्य प्रदेश के मंत्री तुलसीराम सिलावट और कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भी कब्रिस्तान में सुशील को श्रद्धांजलि दी।