'उग्रवाद और अवैध बांग्लादेशी घुसपैठ', राजनीतिक हित के लिए देश की सुरक्षा को दांव पर लगा रहे हेमंत सोरेन!

झारखंड इस समय दो गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है. पहला राज्य में बढ़ता उग्रवाद और दूसरा अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों का अनियंत्रित प्रवाह.  ये चुनौतियां ना केवल झारखंड के सामाजिक ताने-बाने के और सुरक्षा के लिए खतरा हैं बल्कि राज्य की प्रशासनिक और शासन क्षमताओं के बारे में भी गंभीर चिंताएं पैदा करती हैं.

@HansrajMeena
India Daily Live

झारखंड इस समय दो गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है. पहली राज्य में बढ़ता उग्रवाद और दूसरी अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों का अनियंत्रित प्रवाह. ये चुनौतियां ना केवल झारखंड के सामाजिक ताने-बाने के और सुरक्षा के लिए खतरा हैं बल्कि राज्य की प्रशासनिक और शासन क्षमताओं के बारे में भी गंभीर चिंताएं पैदा करती हैं. सीएम हेमंत सोरेने के नेतृत्व में राज्य सरकार इन परस्पर जुड़ी चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने में अपनी क्षमताओं को लेकर बढ़ती चिंताओं का सामना कर रही है.

झारखंड में अलकायदा की जड़ें
दिल्ली पुलिस, झारखंड, एटीएस और अन्य केंद्रीय एजेंसियों द्वारा हाल ही में चलाए गए एक संयुक्त अभियान में राज्य में अलकायदा के एक महत्वपूर्ण मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया गया.  इस मॉड्यूल द्वारा भारत में खिलाफत की स्थापित करने की कोशिश की जा रही थी. ऑपरेशन के तहत एक डॉक्टर सहित 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया. इस समूह का मास्टरमाइंड डॉ. इश्तियाक अहमद झारखंड से ही MBBS है और कथित तौर पर उसके अंतरराष्ट्रीय संबंध हैं. अहमद ने संगठन में युवाओं को भर्ती करने के लिए रांची के चान्हो में एक मदरसा टीचर मुफ्ती रहमातुल्लाह माझिरी से संपर्क किया था.

इस घटना को लेकर केवल यही बात चिंतित करने वाली नहीं कि डॉ. अहमद जैसे पढ़े लिखे लोग ऐसे आतंकी संगठनों से जुड़ रहे हैं, बल्कि यह बात भी चिंतनीय है कि इस तरह के लोगों का स्थानीय लोगों के साथ गहरे संबंध हैं.

इस अभियान के तहत जिन लोगों की गिरफ्तारियां हुईं उनमें से ज्यादातर लोग आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं. कोई नंबर प्लेट बनाता है तो कोई टायर-पैंचर जोड़ता है जो बताता है कि इस तरह के चरमपंथी संगठन आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को अपने जाल में फांस रहे हैं.

अवैध घुसपैठ
उग्रवाद के अलावा झारखंड के सामने बांग्लादेशियों की अवैध घुसपैठ है. खासकर संथाल परगना क्षेत्र में यह समस्या गंभी है. संथाल परगना का पाकुर इलाका इससे ज्यादा पीड़ित हुहा है. 2011 की जनगणना के अनुसार,  पाकुर में आधिकारिक तौर पर जनसंख्या वृद्धि दर  28% थी. हालांकि, हालिया सत्यापन प्रक्रिया से खुलासा हुआ है कि पाकुर के मुस्लिम बहुल इलाकों में मतदाता वृद्धि दर आश्चर्यजनक रूप से 65% है. इस तरह की विसंगति अवैध प्रवासियों की आमद का संकेत देती है जो क्षेत्र के जनसांख्यिकीय और चुनावी परिदृश्य को प्रभावित कर सकते हैं.

इस तरह की गंभीरता के बावजूद पाकुर जिला प्रशासन लोगों के सत्यापन में बहुत ही लापरवाही बरत रहा है. सत्यापन प्रक्रिया केवल तीन दिन में पूरी कर ली गई. लोगों के आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड का मिलान भी नहीं किया गया, उनके दस्तावेजों को भी ठीक प्रकार से नहीं जांचा गया. इस तेजी के साथ की गई सत्यापन प्रक्रिया को लेकर पाकुर प्रशासन की आलोचना हो रही है.

झारखंड सरकार की भूमिका और जिम्मेदारी
कहा जा रहा है कि झारखंड में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर गंभीर होती चुनौती सोरेन सरकार की उदारता का परिणाम है. आलोचकों का कहना है कि सोरेन सरकार अपने राजनीतिक लाभ के लिए अवैध घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है. वह अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के प्रति सहानुभूति रखने वाले मतदाता आधार को मजबूत करके अपने हित साथ रही है लेकिन देश की सुरक्षा और सांप्रदायिक सद्भाव के साथ होने वाले संभावित दुष्प्रभावों पर आंखें मूंदे हुए है.

इसके अलावा मतदाता सूचियों के सत्यापन के लिए प्रशासन की प्रक्रिया अपर्याप्त रही है. पाकुर-महेशपुर में 263 मतदान केंद्रों में से केवल 9 की मतदाता संख्या में वृद्धि के लिए जांच की गई, जिससे चुनाव में पारदर्शिता को लेकर प्रशासन की प्रतिबद्धता पर चिंता बढ़ गई है.

बढ़ते उग्रवाद और अवैध घुसपैठ का खतरा झारखंड के लिए एक गंभीर चुनौती प्रस्तुत करता है. इन चुनौतियों से निपटने में झारखंड सरकार की लापरवाही राज्य और भारत की आंतरिक, सामाजिक और राजनीतिक सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है. अगर इन चुनौतियों का समाधान नहीं किया गया तो ये चुनौतियां क्षेत्र को अस्थिर कर सकती हैं और कानून व्यवस्था, शासन और प्रशासन को कमजोर बना सकती हैं.