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India Daily

हफ्ते में 90 घंटे काम करने से इंसानों पर पड़ेगा भयानक असर, WHO की पूर्व चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन ने दी ये चेतावनी

लंबे समय तक काम करने के व्यक्ति के हेल्थ पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की पूर्व महानिदेशक ने कहा, 'मैं बहुत से ऐसे लोगों को जानती हूं जो बहुत मेहनत करते हैं.'

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Edited By: Princy Sharma
Ex-WHO Chief Scientist
Courtesy: Twitter

Ex-WHO Chief Scientist: WHO के पूर्व मुख्य वैज्ञानिक और स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाहकार सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि लोगों को अपने शरीर की बात सुननी चाहिए और पहचानना चाहिए कि उन्हें कब आराम की जरूरत है , क्योंकि लंबे समय तक काम करने से थकान और कार्यक्षमता में कमी आ सकती है.

उन्होंने मीडिया रिपोर्ट्स से बात करते हुए कहा कि कोविड-19 के दौरान देखा गया कि थोड़े समय के लिए गहन काम संभव है, लेकिन लंबे समय को लेकर नजर में रखते हुए ठीक नहीं है.  स्वामीनाथन ने इस बात पर जोर दिया कि काम किए गए घंटों की तुलना में काम की क्वालिटी ज्यादा निर्भर करती है. 

ICMR के पूर्व महानिदेशक ने क्या कहा?

लंबे समय तक काम करने के व्यक्ति के हेल्थ पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की पूर्व महानिदेशक ने कहा, 'मैं बहुत से ऐसे लोगों को जानती हूं जो बहुत मेहनत करते हैं. इसलिए, मुझे लगता है कि यह एक व्यक्तिगत बात है और आपका शरीर आपको बताता है कि आप कब थके हुए हैं, इसलिए आपको अपने शरीर की भी बात सुननी होगी. आप वास्तव में कड़ी मेहनत कर सकते हैं, मान लीजिए कुछ महीनों के लिए कोविड के दौरान, हम सभी ने ऐसा किया, है न? मुझे यकीन नहीं है.' 

'...हमने ऐसा किया'

सौम्या स्वामीनाथन ने आगे कहा, 'उन दो-तीन सालों में, हमने ऐसा किया. हम ज्यादा नहीं सोए. हम ज्यादातर  समय तनाव में रहते थे, चीजो के बारे में चिंता करते रहते थे, खास  तौर पर स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं (Healthcare providers) के बारे में. वे चौबीसों घंटे काम कर रहे थे. कुछ बर्नआउट भी था.  उसके बाद कई लोगों ने इस पेशे को छोड़ दिया.  लेकिन इसे थोड़े समय के लिए किया जा सकता है, (लेकिन) यह वास्तव में टिकाऊ नहीं.' 

'...मेज पर 12 घंटे बैठ'

फेमस ग्लोबल हेल्थ एक्सपर्ट्स ने इस बात पर जोर दिया कि मानसिक स्वास्थ्य और आराम निरंतर प्रदर्शन के लिए महत्वपूर्ण हैं.  WHO की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक आगे कहती हैं, 'आप अपनी मेज पर 12 घंटे बैठ सकते हैं, लेकिन हो सकता है कि आठ घंटे के बाद, आप उतनी अच्छी गुणवत्ता वाला काम न कर पाएं. इसलिए मुझे लगता है कि उन सभी चीजों पर भी ध्यान देना होगा.' इस साल की शुरुआत में लार्सन एंड टूब्रो (एलएंडटी) के चेयरमैन एस एन सुब्रह्मण्यन ने यह कहकर बहस छेड़ दी थी कि कर्मचारियों को घर पर रहने के बजाय रविवार सहित सप्ताह में 90 घंटे काम करना चाहिए.