Deputy CM in States: बिहार में कुछ दिन पहले ही बड़ी सियासी हवचल देखने को मिली. महागठबंधन की सरकार गिर गई और एनडीए (NDA) गठबंधन वाली नई सरकार बनी. भारतीय जनता पार्टी के 2 नेता सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली. ऐसे में देखने वाली बात ये है कि अब भारत के 14 राज्यों में कुल 26 उपमुख्यमंत्री हैं जिनमें सबसे ज्यादा संख्या आंध्र प्रदेश में है. यहां 5 नेताओं को उपमुख्यमंत्री का पद दिया गया है. इसके अलावा किसी राज्य में 2-2 उपमुख्यमंत्री हैं तो कहीं एक डिप्टी सीएम हैं. तो चलिए ऐसे में समझते हैं कि उपमुख्यमंत्री पद है क्या और ये कितना महत्वपूर्ण है.
गौर करने वाली बात ये है कि संविधान में कहीं भी ये नहीं कहा गया है कि किसी भी राज्य में उपमुख्यमंत्री या उपप्रधानमंत्री का पद होना अनिवार्य है. इतना ही नहीं संविधान में तो इन पदों के बारे में ही कुछ नहीं कहा गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि जब संविधान में इस पद का कोई जिक्र नहीं है तो सभी राज्यों में डिप्टी सीएम बनाने की होड़ क्यों लगी है. तो इस सवाल का जवाब ये है कि ये होड़ इस वजह से लगी है क्योंकि राजनीतिक दलों को कई बार अपने सियासी मतलब साधने होते हैं. इसतके पीछे कई अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे जनता के बीच सियासी पार्टी क्या संदेश देना चाहती है.
दरअसल, किसी भी राज्य में उपमुख्यमंत्री के जिम्मे कोई ऐसा काम नहीं होता जो सिर्फ उन्हें ही करना है. राज्य सरकार का नेतृत्व मुख्यमंत्री के हाथों में होता है. उपमुख्यमंत्री का पद सिर्फ एक प्रतीकात्मक पद है, जो इसलिए बनाया गया है ताकि सबको पता चल सके कि इस पद के नेता उस राज्य में नंबर 2 की हैसियत रखते हैं. इसके अलावा कई बार जातीय समीकरणों को साधने के लिए भी एक या दो उपमुख्यमंत्री बनाए जाते हैं. कई राज्यों में तो केवल किसी नेता को संतुष्ट करने के लिए उन्हें उपमुख्यमंत्री का पद दे दिया जाता है. आसान भाषा में समझे तो किसी भी राज्य के उपमुख्यमंत्री का पद उस पार्टी के लिए तो अहमियत रख सकता है, लेकिन इस पद का किसी राज्य में होने या नहीं होने से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है.
संविधान विशेषज्ञों के मुताबिक देश के संविधान में राज्यों के मुख्यमंत्री और मंत्रियों के बारे में अनुच्छेद 164 में प्रावधान है. लेकिन उपमुख्यमंत्री के बारे में कुछ नहीं बताया गया है. यहां तक की इस पद का भी कहीं जिक्र नहीं है. किसी राज्य के उपमुख्यमंत्री सिर्फ सीएम की तरफ से दिए गए विभाग या मंत्रालय को ही देख सकते हैं. इतना ही नहीं उपमुख्यमंत्री की सैलरी, अन्य भत्ते और सुविधाएं कैबिनेट मंत्री के बराबर ही होती हैं.
वैसे तो राज्य सरकार में उपमुख्यमंत्री की पावर कैबिनेट मंत्री जितनी ही होती है लेकिन किसी भी राज्य का डिप्टी सीएम होने का मतलब है कि वो व्यक्ति मुख्यमंत्री के बाद दूसरे नंबर पर है. संविधान के अनुच्छेद 164 के अनुसार हर राज्य का एक मुख्यमंत्री होगा. संविधान में डिप्टी सीएम के पद का कोई जिक्र नहीं है. ऐसे में पार्टी इस पद पर जितने चाहें उतने नेताओं को रख सकती है.