Visit of President of European Commission to India: यूरोपीय आयोग की प्रेसीडेंट उर्सुला वॉन डेर लेन गुरुवार को अपनी बहुप्रतीक्षित दो दिवसीय भारत यात्रा पर नई दिल्ली पहुंच गईं. उनके साथ यूरोपीय संघ (EU) के 22 देशों के आयुक्त भी भारत आए हैं. यह पहला अवसर है जब 27 सदस्यीय यूरोपीय संघ के इतने बड़े प्रतिनिधिमंडल ने एक साथ किसी देश की यात्रा की है, जिससे भारत और यूरोपीय संघ के बीच मजबूत संबंधों का संकेत मिलता है.
पीएम मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता आज
आपको बता दें कि आज, 28 फरवरी, को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उर्सुला वॉन डेर लेन के बीच द्विपक्षीय शिखर वार्ता होगी. इस बैठक में भारत और ईयू आगामी पांच वर्षों के लिए रणनीतिक संबंधों का रोडमैप जारी करेंगे, जिसे संभवत, ''रोडमैप 2030'' के नाम से जाना जाएगा. इस वार्ता में व्यापार, रक्षा, प्रौद्योगिकी आधारित उद्योगों, मुक्त व्यापार समझौते (FTA) और वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होगी. इसके अलावा, अमेरिका की नई टैरिफ नीति और यूक्रेन संकट पर भी चर्चा संभावित है.
अमेरिका की नीति से ईयू का झुकाव भारत की ओर
वहीं कूटनीतिक विशेषज्ञ इस बैठक को उसी दिन अमेरिका में होने वाली डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदीमीर जेलेंस्की की बैठक से जोड़कर देख रहे हैं. ट्रंप की नई नीति के तहत रूस के प्रति झुकाव और यूरोपीय देशों के लिए मदद कम करने की संभावना जताई जा रही है.
बता दें कि राष्ट्रपति ट्रंप ने 26 फरवरी को घोषणा की कि वे शीघ्र ही यूरोपीय संघ से आयातित उत्पादों पर 25% टैरिफ लगाने जा रहे हैं, जिससे ईयू के निर्यात पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा. यही कारण है कि यूरोपीय संघ भारत के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में अग्रसर हो रहा है.
व्यापार और रणनीतिक साझेदारी पर जोर
बताते चले कि भारत और ईयू के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को फिर से शुरू करने पर बातचीत होगी. हालांकि, इस पर किसी बड़े निर्णय की संभावना कम है क्योंकि दोनों पक्ष अमेरिका की नई टैरिफ नीति का पहले आकलन करना चाहते हैं.
ईयू और भारत की प्रमुख मांगें
ईयू की मांगें:-
भारत की मांगें:-
भारत यात्रा का वैश्विक महत्व
इसके अलावा, स्वीडन के नई दिल्ली स्थित राजदूत जान थेसीफ ने कहा कि ग्लोबल पावर बैलेंस में हो रहे बदलावों को देखते हुए यूरोपीय आयोग की प्रमुख की यह यात्रा अत्यंत महत्वपूर्ण है. उनके अनुसार, यह यात्रा भारत-ईयू संबंधों को नए आयाम देने में मदद करेगी और वैश्विक व्यापार एवं रणनीतिक सहयोग को मजबूत करेगी.
बहरहाल, यूरोपीय आयोग की प्रमुख की यह यात्रा भारत और ईयू के रिश्तों में एक नए अध्याय की शुरुआत कर सकती है. बदलते वैश्विक समीकरणों को देखते हुए, दोनों पक्षों के बीच व्यापारिक, रक्षा और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाने की संभावना है.