Jammu Kashmir Assembly Elections 2024

'मोदी जी से कहना चाहेंगे डरो मत, डराओ मत', जेल से बाहर आते ही पीएम मोदी पर बरस पड़े इंजीनियर राशिद

Engineer Rashid: टेरर फंडिंग मामले में 2016 में गिरफ्ता किए गए इंजीनियर राशिद को 10 सितंबर को को अंतरिम जमानत मिली थी. आज वो जेल से रिहा हो गए हैं. जेल से रिहा होते ही उन्होंने मोदी सरकार समेत कश्मीर के राजनीतिक दलों के प्रमुखों पर निशाना साधा.

@ANI
India Daily Live

Engineer Rashid: कश्मीर की बारामूला सीट से लोकसभा सांसद इंजीनियर राशिद टेरर फंडिंग मामले में तिहाड़ जेल से बाहर आते ही मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. एनआईए की विशेष अदालत ने उन्हें 10 सितंबर को 2 अक्टूबर तक की अंतरिम जमानत दी थी. तिहाड़ जेल से बाहर आते ही इंजीनिय राशिद ने अनुच्छेद 370 और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव को लेकर कई टिप्पणियां की. उन्होंने कहा कि वो पीएम मोदी द्वारा गढ़े गए कश्मीर के नैरेटिव से लड़ेंगे. 

इंजीनियर राशिद को 2016 में जम्मू-कश्मीर में आतंकी फंडिंग के आरोप में UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया था. 2019 से वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद थे. हालांकि, विधानसभा चुनाव में प्रचार प्रसार को लेकर उन्हें एएनआई की विशेष अदालत ने अंतरिम जमानत दी है.

'डरो मत, डराओ मत'

जेल से बाहर आते ही इंजीनियर राशिद ने कहा, "मैं अपने लोगों के लिए काम करने के लिए प्रतिबद्ध हूं. और मैं मोदी जी से कहना चाहेंगे डरो मत, डराओ मत. हम डरने वाले नहीं हैं. "

तिहाड़ जेल से बाहर आते ही इंजीनियर रशीद ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि आम  चुनाव में मुझे जो वोट मिले हैं वह मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ जनता का गुस्सा था. अनुच्छेद 370 के हटाए जाने को लेकर जनता गुस्सा थी. मैं पीएम मोदी जी के कश्मीर के नैरेटिव के खिलाफ लड़ूंगा. उनका कश्मीर का नया नैरेटिव फेल हो गया है. घाटी की जनता ने उनके नैरेटिव को नकार दिया है. 

'मेरी लड़ाई उमर अब्दुल्ला की लड़ाई से बड़ी है'

रिपोर्टर ने उनसे सवाल किया कि विपक्ष मोदी सरकार पर आरोप लगा रही है कि जानबूझकर विधानसभा चुनाव के समय राशिद इंजीनियर को जमानत दी गई है. इस सवाल के जवाब में राशिद ने कहा, "मेरी लड़ाई उमर अब्दुल्ला की बातों से कहीं बड़ी है. उनकी लड़ाई कुर्सी के लिए है, मेरी लड़ाई लोगों के लिए है. मैं भाजपा का शिकार हूं, मैं अपनी आखिरी सांस तक पीएम मोदी की विचारधारा के खिलाफ लड़ूंगा. मैं कश्मीर में अपने लोगों को एकजुट करने आ रहा हूं, उन्हें बांटने नहीं. मैं 5 साल तक जेल में मरता रहा जबकि उमर अब्दुला 5 साल गुलमर्ग की गलियों में लंदन में मुंह छिपाए बैठे रहे. आज वोट के लिए वो बाहर आए हैं. उत्तरी कश्मीर के लोगों ने उन्हें 2 लाख से ज्यादा मतो से हराकर उन्हें जवाब दे दिया है. महबूबा मुफ्ती भी हार गईं."