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माथे पर पन्ना, गले में रत्नों से जड़ित कंठा, स्वर्ण से निर्मित हार..., जानें रामलला ने क्या-क्या किया है धारण?

रामलला राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हो गए हैं. दिव्य आभूषणों और वस्त्रों को धारण किए रामलला मनमोहक मुस्कान के साथ मंत्रमुग्‍ध कर रहे हैं. 

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Edited By: Avinash Kumar Singh
Ram Mandir Ramlala

नई दिल्ली: रामलला राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हो गए हैं. पीएम मोदी ने शुभ मुहूर्त में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की. मंत्रोच्चार और शंखनाद के बीच पीएम मोदी ने रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की गई. दिव्य आभूषणों और वस्त्रों को धारण किए रामलला मनमोहक मुस्कान के साथ मंत्रमुग्‍ध कर रहे हैं. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने रामलला को पहनाए गए सभी 17 दिव्य अभूषणोंं की जानताकी दी है.

ट्रस्ट के अनुसार रामलला के इन दिव्य आभूषणों का निर्माण अध्यात्म रामायण, श्रीमद्वाल्मीकि रामायण, श्रीरामचरिमानस तथा आलवन्दार स्तोत्र के अध्ययन और उनमें वर्णित श्रीराम की शास्त्रसम्मत शोभा के अनुरूप शोध और अध्ययन के बाद किया गया है. भगवान बनारसी वस्त्र की पीताम्बर धोती तथा लाल रंग के अंगवस्त्रम में सुशोभित हैं. इन वस्त्रों पर शुद्ध स्वर्ण की ज़री और तारों से काम किया गया है.

रामलला ने पहने ये 17 दिव्य आभूषण, जानिए खासियत

1- शीष पर मुकुट या किरीट
यह उत्तर भारतीय परम्परा में स्वर्ण निर्मित है, जिसमें माणिक्य, पन्ना और हीरों से अलंकरण किया गया है. मुकुट के ठीक मध्य में भगवान सूर्य अंकित हैं. मुकुट के दायीं ओर मोतियों की लड़ियाँ पिरोई गयी हैं. 

2- कुण्डल
मुकुट या किरीट के अनुरूप ही और उसी डिजाईन के क्रम में भगवान के कर्ण-आभूषण बनाये गये हैं, जिनमें मयूर आकृतियाँ बनी हैं और यह भी सोने, हीरे, माणिक्य और पन्ने से सुशोभित है.

3- कण्ठा
गले में अर्द्धचन्द्राकार रत्नों से जड़ित कण्ठा सुशोभित है, जिसमें मंगल का विधान रचते पुष्प अर्पित हैं और मध्य में सूर्य देव बने हैं. सोने से बना हुआ यह कण्ठा हीरे, माणिक्य और पन्नों से जड़ा है. कण्ठे के नीचे पन्ने की लड़ियाँ लगाई गयी हैं.

4- भगवान का हृदय
भगवान के हृदय में कौस्तुभमणि धारण कराया गया है, जिसे एक बड़े माणिक्य और हीरों के अलंकरण से सजाया गया है. यह शास्त्र - विधान है कि भगवान विष्णु तथा उनके अवतार हृदय में कौस्तुभमणि धारण करते हैं इसलिए इसे धारण कराया गया है.

5- पदिक
कण्ठ से नीचे तथा नाभिकमल से ऊपर पहनाया गया हार होता है, जिसका देवता अलंकरण में विशेष महत्त्व है. यह पदिक पांच लड़ियों वाला हीरे और पन्ने का ऐसा पंचलड़ा है, जिसके नीचे एक बड़ा सा अलंकृत पेण्डेंट लगाया गया है.

6- वैजयन्ती या विजयमाल
यह भगवान को पहनाया जाने वाला तीसरा और सबसे लम्बा और स्वर्ण से निर्मित हार है, जिसमें कहीं-कहीं माणिक्य लगाये गये हैं, इसे विजय के प्रतीक के रूप में पहनाया जाता है, जिसमें वैष्णव परम्परा के समस्त मंगल-चिन्ह सुदर्शन चक्र, पद्मपुष्प, शंख और मंगल-कलश दर्शाया गया है. इसमें पाँच प्रकार के देवता को प्रिय पुष्पों का भी अलंकरण किया गया है, जो क्रमशः कमल, चम्पा, पारिजात, कुन्द और तुलसी हैं.

7- कमर में कांची या करधनी
भगवान के कमर में करधनी धारण करायी गयी है, जिसे रत्नजडित बनाया गया है. स्वर्ण पर निर्मित इसमें प्राकृतिक सुषमा का अंकन है, और हीरे, माणिक्य, मोतियों और पन्ने से यह अलंकृत है. पवित्रता का बोध कराने वाली छोटी-छोटी पाँच घण्टियों भी इसमें लगायी गयी है. इन घण्टियों से मोती, माणिक्य और पन्ने की लड़ियों भी लटक रही हैं.

8- भुजबन्ध या अंगद
भगवान की दोनों भुजाओं में स्वर्ण और रत्नों से जड़ित मुजबन्ध पहनाये गये हैं. 

9- कंकण/कंगन
दोनों ही हाथों में रत्नजडित सुन्दर कंगन पहनाये गये हैं.

10- मुद्रिका
बाएँ और दाएँ दोनों हाथों की मुद्रिकाओं में रत्नजडित मुद्रिकाएँ सुशोभित हैं, जिनमें से मोतियाँ लटक रही हैं.

11- पैरों में छड़ा और पैजनियां
पैरों में छड़ा और पैजनियां पहनाये गये हैं. स्वर्ण की पैजनियाँ पहनायी गयी हैं

12- भगवान के बाएं हाथ
भगवान के बाएं हाथ में स्वर्ण का धनुष है, जिनमें मोती, माणिक्य और पन्ने की लटकने लगी हैं, इसी तरह दाहिने हाथ में स्वर्ण का बाण धारण कराया गया है. 

13- भगवान के गले में
भगवान के गले में रंग-बिरंगे फूलों की आकृतियों वाली वनमाला धारण करायी गयी है, जिसका निर्माण हस्तशिल्प के लिए समर्पित शिल्पमंजरी संस्था ने किया है. 

14- भगवान के मस्तक पर
भगवान के मस्तक पर उनके पारम्परिक मंगल-तिलक को हीरे और माणिक्य से रचा गया है. 

15- भगवान के चरणों के नीचे
भगवान के चरणों के नीचे जो कमल सुसज्जित है, उसके नीचे एक स्वर्णमाला सजाई गयी है. 

16- खेलने के लिए खिलैने
पांच वर्ष के बालक-रूप में श्रीरामलला विराजे हैं, इसलिए पारम्परिक ढंग से उनके सम्मुख खेलने के लिए चांदी से निर्मित खिलौने रखे गये हैं। ये हैं झुनझुना, हाथी, घोड़ा, ऊँट, खिलौनागाड़ी तथा लट्टू है. 

17- प्रभा-मण्डल  के ऊपर
भगवान रामलला के प्रभा-मण्डल के ऊपर स्वर्ण का छत्र लगा है.