Electoral bonds issue: 'ईडी जांच करे, पीएम इस्तीफा दें' चुनावी बॉन्ड के जरिए खुद को रिवाइव करने की कोशिश में जुटा विपक्ष

Electoral bonds issue: उद्धव ठाकरे शिवसेना गुट और कांग्रेस ने चुनावी बांड योजना पर बीजेपी को घेरा है. बीजेपी से स्पष्टीकरण की मांग करते हुए जांच की मांग की है.

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Electoral bonds issue: उद्धव ठाकरे शिवसेना गुट ने शुक्रवार को मांग की है कि ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) बीजेपी के खाते में पड़े करोड़ों रुपये के काले धन की जांच होनी चाहिए. संजय राउत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि मोदी सरकार की 2018 चुनावी बांड योजना असंवैधानिक थी.

इस योजना के जरिए बीजेपी के खाते में करोड़ों रुपये आए हैं. यह रकम कहां है? इसे किसने जमा किया और इसका उपयोग कैसे किया गया? बीजेपी को जनता के सामने अपनी सफाई देनी चाहिए. अब साफ हो गया है कि बीजेपी के खातों में करोड़ों रुपये आए हैं. ये काला धन है. ये मनी लॉन्ड्रिंग का केस है. प्रवर्तन निदेशालय को इसकी जांच शुरू करनी चाहिए. 

'मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है'

संजय राउत ने आरोप लगाया कि बीजेपी को गैरकानूनी तरीके से अपने खाते में 7,000 करोड़ रुपये मिले हैं. उन्होंने कहा “यह काला धन है और बीजेपी ने इसका इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किया है. इसी काली कमाई से उसने सांसद और विधायक खरीदे हैं. पीएमएलए एक्ट के तहत यह मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है. यह काला धन है जिसे अन्य खातों में भेजा गया है. बीजेपी अध्यक्ष के खिलाफ FIR दर्ज की जानी चाहिए."

'पीएम को इस्तीफा देना चाहिए'

इस बीच महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एमपीसीसी) ने कहा कि पीएम मोदी को इस मामले पर नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए और पद छोड़ना चाहिए. मोदी सरकार 2017-18 में इलेक्टोरल बॉन्ड योजना लेकर आई. अब सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक और मनमाना बताया है और रद्द कर दिया है. अब प्रधानमंत्री को पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है. उन्हें नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे देना चाहिए. 

सच्चाई को छिपाने का प्रयास

कांग्रेस ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को अवैध और असंवैधानिक करार दिया है तो बीजेपी ने इलेक्टोरल बॉन्ड के दम पर जो चुनाव लड़े वो सभी अवैध और असंवैधानिक हैं.

गोपालदादा तिवारी ने कहा, "बिना समय बर्बाद किए, मोदी सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि अब उसे सत्ता में रहने का कोई नैतिक या नैतिक अधिकार नहीं है. बीजेपी सरकार ने चुनावी बांड योजना के संबंध में जो निर्णय लिया था वह भ्रष्टाचार को वैध बनाने और सच्चाई को छिपाने का एक प्रयास था. इस योजना में कंपनियों के लिए यह बताना अनिवार्य नहीं था कि उन्होंने किसे दान दिया है. यह स्पष्ट रूप से नागरिकों के सूचना के अधिकार का उल्लंघन था.”

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने शुक्रवार को मांग की कि प्रवर्तन निदेशालय को "भाजपा खाते में जमा करोड़ों रुपये के काले धन" की जांच करनी चाहिए, जबकि महाराष्ट्र कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को "असंवैधानिक" के लिए नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ देना चाहिए. उनकी सरकार ने जो योजना लागू की थी.