Electoral Bonds Case: सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद SBI की ओर से चुनावी बॉन्ड का डेटा इलेक्शन कमीशन को भेजा गया, जिसके बाद EC ने डेटा को सार्वजनिक कर दिया है. EC ने एक लिस्ट जारी की है, जिसमें इस बात का जिक्र है कि 2019 से 2024 तक किसने कितने चुनावी बॉन्ड खरीदे. जिन्होंने राजनीतिक चंदे के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे, उनमें टॉप 5 कंपनियों के नाम चौंकाने वाले हैं, क्योंकि इनमें न तो अडाणी की कंपनी है, न अंबानी की. एक चौंकाने वाली जानकारी ये भी टॉप 5 में से 3 ऐसी कंपनियां हैं, जिनके ठिकानों पर पिछले 5 सालों में ED और IT यानी प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग की कार्रवाई हुई है. कार्रवाई के बीच ही इन कंपनियों ने करोड़ों रुपये के बॉन्ड खरीदे.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ED और IT की कार्रवाई के बीच जिन कंपनियों ने करोड़ों रुपये के बॉन्ड खरीदे, उनमें लॉटरी कंपनी फ्यूचर गेमिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर फर्म मेघा इंजीनियरिंग और खनन कंपनी वेदांता शामिल है. चुनाव आयोग की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों में नंबर वन डोनर सैंटियागो मार्टिन हैं, जो 'फ्यूचर गेमिंग एंड होटल्स प्राइवेट लिमिटेड' के मालिक हैं. लॉटरी कंपनी ने 2019 से 2024 के बीच 1,300 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं.
ED ने 2019 की शुरुआत में फ्यूचर गेमिंग के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की थी. 2019 जुलाई तक ED ने फ्यूचर गेमिंग कंपनी से संबंधित 250 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त कर ली थी. 2 अप्रैल 2022 को ED ने मामले में 409.92 करोड़ रुपये की चल संपत्ति कुर्क की थी. इन संपत्तियों की कुर्की के पांच दिन बाद 7 अप्रैल को फ्यूचर गेमिंग ने 100 करोड़ का चुनावी बॉन्ड खरीदा.
ED ने सैंटियागो मार्टिन और उनकी कंपनी मेसर्स फ्यूचर गेमिंग सॉल्यूशंस (प्राइवेट) लिमिटेड (वर्तमान में मेसर्स फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज (प्राइवेट) लिमिटेड और पूर्व में मार्टिन लॉटरी एजेंसीज लिमिटेड के खिलाफ PMLA के प्रावधानों के तहत जांच शुरू की गई. ED के अनुसार, मार्टिन और अन्य ने लॉटरी विनियमन अधिनियम, 1998 के प्रावधानों का उल्लंघन करने और सिक्किम सरकार को धोखा देकर गलत लाभ प्राप्त करने के लिए एक आपराधिक साजिश रची.
ED ने 22 जुलाई, 2019 को एक बयान में कहा कि मार्टिन और उनके सहयोगियों ने एक अप्रैल 2009 से 31 अगस्त 2010 के बीच 910.3 करोड़ रुपये का अवैध कमाई की. 2019-2024 के बीच कंपनी ने 21 अक्टूबर, 2020 को चुनावी बॉन्ड की पहली किश्त खरीदी थी.
पॉलिटिकल पार्टिज को दान देने वालों में दूसरी सबसे बड़ी कंपनी हैदराबाद स्थित मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEIL) है, जिसने 2019 और 2024 के बीच 1000 करोड़ रुपये के बांड खरीदे हैं. कृष्णा रेड्डी की ओर से संचालित मेघा इंजीनियरिंग, वर्तमान में तेलंगाना में चल रहे कई सरकारी प्रोजेक्ट्स में शामिल है. इनमें कालेश्वरम बांध परियोजना भी है. इसके अलावा, जोजिला सुरंग और पोलावरम बांध का भी निर्माण मेघा इंजीनियरिंग कर रही है.
अक्टूबर 2019 में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने मेघा इंजीनियरिंग कंपनी की दफ्तरों पर छापेमारी की थी. इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय यानी ED की ओर से भी जांच शुरू की गई. संयोग से, 2019 में ही 12 अप्रैल को MEIL ने 50 करोड़ रुपये के पोल बांड खरीदे.
पिछले साल, केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हिकल मैनुफैक्चरिंग प्लांट लगाने के लिए करने के लिए चीनी इलेक्ट्रिक कार निर्माता BYD और उसके हैदराबाद स्थित भागीदार MEIL के 1 बिलियन डॉलर के निवेश प्रस्ताव को खारिज कर दिया था.
अनिल अग्रवाल का वेदांत ग्रुप राजनीतिक चंदा देने के मामले में पांचवीं सबसे बड़ी कंपनी है, जिसने 376 करोड़ रुपये के बांड खरीदे हैं. कंपनी ने चुनावी बॉन्ड की पहली किश्त अप्रैल 2019 में खरीदी थी. 2018 में जून-जुलाई में ED ने दावा किया था कि उसके पास वीज़ा के लिए रिश्वत मामले में वेदांत ग्रुप की कथित संलिप्तता से संबंधित सबूत हैं, जहां कुछ चीनी नागरिकों को नियमों को कथित रूप से तोड़कर वीजा दिया गया था.
ED की ओर से CBI को भेजे गए एक संदर्भ में 2022 में भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया, जिसके बाद ED ने मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की. 16 अप्रैल, 2019 को वेदांता लिमिटेड ने 39 करोड़ रुपये से अधिक के बांड खरीदे. अगले चार वर्षों में, कोरोनाकाल (2020) को छोड़कर नवंबर 2023 तक वेदांता ग्रुप ने 337 करोड़ रुपये से अधिक के बॉन्ड खरीदे, जिससे वेदांता की ओर से खरीदे गए कुल बॉन्ड की वेल्यू 376 करोड़ रुपये से अधिक पहुंच गई.
जिंदल स्टील एंड पावर, टॉप 15 डोनर्स में से एक है. कंपनी ने 2019 से 2024 के बीच 123 करोड़ रुपये का दान दिया है, जबकि इसी दौरान कंपनी को कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में ED जांच का सामना करना पड़ा है. ED ने अप्रैल 2022 में विदेशी मुद्रा उल्लंघन के एक ताजा मामले के संबंध में कंपनी और उसके प्रमोटर नवीन जिंदल के परिसरों पर छापा मारा था. कंपनी ने 2019 और 2024 के बीच 7 अक्टूबर, 2022 को चुनावी बॉन्ड की पहली किश्त खरीदी थी.
इसके अलावा, रित्विक प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड ने इस अवधि में 45 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं. ऋत्विक प्रोजेक्ट्स का स्वामित्व टीडीपी नेता सीएम रमेश के पास है. अक्टूबर 2018 में, आयकर विभाग ने कंपनी से जुड़े परिसरों पर छापा मारा था. आईटी विभाग ने आरोप लगाया कि कंपनी ने 100 करोड़ रुपये की हेराफेरी की है. कुछ महीनों बाद रमेश भाजपा में शामिल हो गए.
दिल्ली शराब मामले में फंसी अरबिंदो फार्मा ने भी 2019-24 के बीच 49 करोड़ रुपये का दान दिया है. ED ने मामले में कंपनी के निदेशक पी सरथ रेड्डी को नवंबर 2022 में गिरफ्तार किया था. जबकि कंपनी ने 2021 में लगभग 2.5 करोड़ रुपये का दान दिया, इसकी अधिकांश चुनावी बॉन्ड खरीद 2022 और 2023 में की गई थी.
राजनीतिक दलों को 64 करोड़ रुपये का चंदा देने वाली रश्मि सीमेंट 2022 से ED की जांच के दायरे में है. 13 जुलाई, 2022 को ED ने रश्मि ग्रुप ऑफ कंपनीज से जुड़े पश्चिम बंगाल में तीन स्थानों पर तलाशी ली थी. रश्मि ग्रुप ऑफ कंपनिज पर सरकारी खजाने को 73.40 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने का आरोप है.
इसी तरह, इस साल जनवरी में 40 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदने वाली शिरडी साईं इलेक्ट्रिकल्स पर पिछले साल आईटी डिपार्टमेंट ने छापा मारा था.
चुनाव आयोग की ओर से अपलोड किए गए आंकड़ों के अनुसार, लॉटरी से लेकर खनन तक, थर्मल पावर से लेकर मोबाइल नेटवर्क तक की कंपनियों ने 2019 से 2024 तक चुनावी बॉन्ड खरीदे. आइए, जानते हैं चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली टॉप 20 कंपनियों के नाम, उन्होंने कितने के बॉन्ड खरीदे और कंपनी क्या करती है?
1- फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने 1,368 करोड़ के चुनावी बॉन्ड खरीदे. ये कंपनी लॉटरी कारोबार में शामिल है, जिसका मुख्यालय कोयंबटूर में है. कंपनी की स्थापना 1991 में हुई थी.
2- मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने 966 करोड़ के चुनावी बॉन्ड खरीदे. ये कंपनी बांध और बिजली परियोजनाओं में शामिल है. इसका मुख्यालय तेलंगाना में है. कंपनी की स्थापना 1989 में हुई.
3- क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड ने 410 करोड़ के चुनावी बॉन्ड खरीदे. ये कंपनी रसद और आपूर्ति श्रृंखला में शामिल है. कंपनी की स्थापना साल 2000 में हुई थी.
4- हल्दिया एनर्जी लिमिटेड ने 377 करोड़ के बॉन्ड खरीदा. ये कंपनी पश्चिम बंगाल के हल्दिया में स्थित थर्मल पावर प्लांट चलाती है. कंपनी की स्थापना 2015 में हुई.
5- वेदांता लिमिटेड ने 376 करोड़ के बॉन्ड खरीदे. ये कंपनी खनन में शामिल है, जो भारत में एल्यूमीनियम की सबसे बड़ी उत्पादक है. इस कंपनी की स्थापना 1965 में हुई.
6- एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने 225 करोड़ का बॉन्ड खरीदा. ये कंपनी लौह अयस्क खनन में शामिल है, जिसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है. कंपनी की स्थापना 1950 में हुई.
7- वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने 220 करोड़ का बॉन्ड खरीदा. ये कंपनी बिजली उत्पादन में एक्टिव है. इसकी स्थापना 2009 में हुई.
8- भारती एयरटेल लिमिटेड ने 198 करोड़ के बॉन्ड खरीदे. ये कंपनी मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटर है, जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में है. कंपनी की स्थापना 1995 में हुई.
9- केवेंटर फूड पार्क इंफ्रा लिमिटेड ने 195 करोड़ के बॉन्ड खरीदे. ये कंपनी डेयरी और एफएमसीजी में एक्टिव है. इसका मुख्यालय कोलकाता, पश्चिम बंगाल में है.
10- एमकेजे एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने 192 करोड़ के बॉन्ड खरीदे. ये कंपनी स्टेनलेस स्टील बिजनेस में एक्टिव है. इसका मुख्यालय कोलकाता में है.
11- मदनलाल लिमिटेड ने 186 करोड़ का बॉन्ड खरीदा.
12- यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने 162 करोड़ का बॉन्ड खरीदा.
13- उत्कल एलुमिना इंटरनेशनल लिमिटेड ने 145 करोड़ के बॉन्ड खरीदे.
14- डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स लिमिटेड ने 130 करोड़ के बॉन्ड खरीदे.
15- जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड ने 123 करोड़ के बॉन्ड खरीदे.
16- बीजी शिर्के कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड ने 119 करोड़ के बॉन्ड खरीदे.
17- धारीवाल इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने 115 करोड़ के बॉन्ड खरीदे.
18- अवीस ट्रेडिंग फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड ने 113 करोड़ के बॉन्ड खरीदे.
19- टोरेंट पावर लिमिटेड ने 107 करोड़ के बॉन्ड खरीदे.
20- बिड़ला कार्बन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने 105 करोड़ के बॉन्ड खरीदे.
भाजपा | 6,060.51 करोड़ रुपये |
तृणमूल कांग्रेस | 1,609.53 करोड़ रुपये |
कांग्रेस | 1,421.87 करोड़ रुपये |
भारत राष्ट्र समिति | 1,214.71 करोड़ रुपये |
बीजू जनता दल | 775.50 करोड़ रुपये |