इलेक्शन कमिश्नर अरुण गोयल, जो नियुक्ति से लेकर इस्तीफे तक चर्चाओं में रहे, पॉइंट्स में जानिए सबकुछ
Who is Election Commissioner Arun Goyal: चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने आज यानी 9 मार्च को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उनकी नियुक्ति भी काफी चर्चाओं में रही थी. अब उनका इस्तीफा भी चर्चाओं का मुद्दा बन गया है.
Who is Election Commissioner Arun Goyal: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल (Election Commissioner Arun Goyal) ने अपना इस्तीफा दे दिया है. शनिवार को जारी एक गजट अधिसूचना के अनुसार, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अरुण गोयल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया. हालांकि अरुण गोयल के इस्तीफे का कारण अभी पता नहीं चल पाया है.
चुनाव आयोग की ओर से लोकसभा चुनाव की तैयारी चरम पर हैं, इसी बीच अरुण गोयल का इस्तीफा आया है. अरुण गोयल के इस्तीफे के साथ चुनाव आयोग का नेतृत्व अब केवल मुख्य चुनाव आयुक्त (राजीव कुमार) करेंगे और कोई चुनाव आयुक्त नहीं होंगे.
शनिवार को जारी गजट अधिसूचना के अनुसार, मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) अधिनियम, 2023 की धारा 11 के खंड (1) के अनुसरण में, राष्ट्रपति अरुण गोयल चुनाव आयुक्त की ओर से दिए गए इस्तीफे को स्वीकार करते हुए प्रसन्न हैं. ये 9 मार्च, 2024 से प्रभावी है.
यहां जानिए कौन हैं अरुण गोयल?
1. अरुण गोयल ने 21 नवंबर, 2022 को चुनाव आयुक्त का पदभार संभाला था.
2. 1985 बैच के आईएएस अधिकारी, अरुण गोयल पहले भारी उद्योग मंत्रालय में सचिव के रूप में कार्यरत थे.
3. अरुण गोयल ने दिल्ली विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के रूप में भी किया है. इसके अलावा अतिरिक्त सचिव और वित्तीय सलाहकार, श्रम और रोजगार मंत्रालय, संयुक्त सचिव, राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय के पद पर भी रहे हैं.
4. उन्होंने 2022 में चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्ति से पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी. उन्होंने केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय में भी काम किया था.
5. फरवरी 2025 में राजीव कुमार का कार्यकाल समाप्त होने के बाद अरुण गोयल अगले मुख्य चुनाव आयुक्त बनने की कतार में थे. कानून के अनुसार चुनाव आयुक्त या सीईसी पद पर छह साल तक या 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक काम किया जा सकता है.
6. चुनाव आयुक्त के रूप में उनकी नियुक्ति को 2022 में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई.
7. मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा कि न केवल अरुण गोयल को सरकार की ओर से जल्दबाजी में नियुक्त किया गया था, बल्कि उनका कार्यकाल दो साल से कुछ ज्यादा होगा. कानून छह साल का कार्यकाल निर्धारित करता है.
8. अपने फैसले में संविधान पीठ ने यह भी कहा था कि चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्त को अब से संसद तक प्रधान मंत्री, विपक्ष के नेता (एलओपी) और भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के पैनल द्वारा चुना जाएगा.
9. इसके बाद संसद ने मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (सेवा की नियुक्ति शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक, 2023 को मंजूरी दे दी, जिसमें सीईसी को चुनने के लिए चयन पैनल के तीन सदस्यों में से एक के रूप में सीजेआई के स्थान पर एक कैबिनेट मंत्री को नियुक्त करने की मांग की गई थी.
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