तेलंगाना सुरंग में फंसे मजदूरों से संपर्क करने की कोशिशें जारी, कीचड़-पानी बन रही बड़ी बाधा

तेलंगाना के श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) परियोजना में सुरंग के एक खंड के ढहने के कारण पिछले 30 घंटों से 8 श्रमिक फंसे हुए हैं. इन श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के प्रयासों में भारतीय सेना भी सक्रिय रूप से शामिल है, जिससे बचाव कार्य में मुश्किलें आ रही हैं.

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Telangana Tunnel Accident: तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) सुरंग में हुए भीषण हादसे के बाद 8 मजदूर अब भी फंसे हुए हैं. शनिवार सुबह हुई इस घटना के बाद बचाव अभियान तेज कर दिया गया है. इस हादसे में सुरंग की छत का तीन मीटर लंबा हिस्सा ढह गया, जिससे वहां काम कर रहे मजदूर मलबे में दब गए. राहत कार्य में 300 से अधिक प्रशिक्षित कर्मी जुटे हुए हैं, लेकिन बचाव अभियान कठिनाइयों से गुजर रहा है.

आपको बता दें कि हादसे के दौरान 50 मजदूर सुरंग के अंदर काम कर रहे थे. अचानक मिट्टी गिरने लगी, जिससे वहां अराजकता फैल गई. किसी तरह 42 मजदूर बाहर निकलने में सफल रहे, लेकिन 8 मजदूर भीतर ही फंसे रह गए. वेल्डर संजय साह, जो उस समय सुरंग में मौजूद थे, ने कहा, ''हमने रिसाव की खबर सुनी थी, लेकिन यह सामान्य घटना थी, इसलिए हमने ध्यान नहीं दिया. अचानक मिट्टी गिरने लगी और हमें बाहर भागना पड़ा.''

बचाव अभियान में बाधाएं, लेकिन उम्मीद बरकरार

बताते चले कि बचाव कार्य में NDRF, SDRF, सेना और सिंगरेनी कोलियरीज के विशेषज्ञ जुटे हुए हैं. हालांकि, भारी कीचड़ और पानी की वजह से बचाव दल फंसे मजदूरों तक नहीं पहुंच पाया है. एनडीआरएफ कमांडेंट प्रसन्ना कुमार ने कहा, "हमने पानी निकाल दिया है और अब कीचड़ हटाने का काम जारी है. हम आवाज़ें निकाल रहे हैं ताकि पता चले कि मजदूर जीवित हैं या नहीं. हमें उम्मीद है कि आज रात तक हम उन्हें ढूंढ लेंगे."

परिवारों की बढ़ती बेचैनी

वहीं फंसे हुए मजदूरों के परिजन लगातार जानकारी के लिए अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, बचाव दल के पास भी अभी तक पक्की सूचना नहीं है. मजदूर जी. गोविंद ने कहा, ''हम खुद भी अनिश्चितता में हैं. हमें कुछ नहीं पता कि अंदर क्या स्थिति है. हमारे साथी अभी भी वहां फंसे हुए हैं और हम कुछ नहीं कर सकते.''

तीन तरीके से चल रहा बचाव कार्य

तेलंगाना के सिंचाई मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा कि बचाव के तीन विकल्प देखे जा रहे हैं:-

  • ऊपर से ड्रिलिंग कर रास्ता बनाना
  • बगल से सुरंग खोदकर मजदूरों तक पहुंचना
  • गाद हटाकर फंसे लोगों के लिए मार्ग बनाना

मजदूरों की दयनीय स्थिति

इसके अलावा, फंसे मजदूरों में उत्तर प्रदेश, झारखंड, जम्मू-कश्मीर और पंजाब के लोग शामिल हैं. इनमें अनुज साहू भी हैं, जिनका चचेरा भाई संजीव साहू हादसे के वक्त बाहर निकलने में सफल रहा. संजीव ने कहा, ''अनुज हमारा परिवार का अकेला कमाने वाला है. मैं चाचा को फोन नहीं कर पा रहा. वह मुझसे उम्मीद लगाए बैठे हैं, लेकिन मेरे पास उन्हें बताने के लिए कुछ भी नहीं है.''

तीन महीने से वेतन नहीं, मजदूरों में रोष

बता दें कि कुछ मजदूरों ने कंपनी पर वेतन न देने का आरोप भी लगाया. संजीव ने कहा, ''हम अपनी जान जोखिम में डालकर काम करते हैं, लेकिन हमें तीन महीने से वेतन नहीं मिला. ठेकेदार हमें पैसे नहीं देता, और अब सुरंग बंद हो गई है. हम अपने घर भी नहीं जा सकते. हमारे पास पैसे नहीं हैं.''

श्रमिक कॉलोनी में पसरा सन्नाटा

हालांकि, सामान्य दिनों में चहल-पहल से भरी रहने वाली श्रमिक कॉलोनी अब सूनी और गमगीन है. राज कुमार, जो 2019 से इस परियोजना पर काम कर रहे हैं, ने कहा, ''हमारे बीच बातचीत बंद हो गई है. आमतौर पर, हम दिनभर की बात साझा करते हैं, लेकिन आज हर कोई अपने कमरे में बंद है.''