ED on Supreme Court why Kejriwal should not get bail: दिल्ली शराब नीति मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. ईडी ने अरविंद केजरीवाल की बेल का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है. ईडी के इस हलफनामें से अब अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं. क्योंकि ईडी ने हलफनामे में मौलिक अधिकारों का जिक्र कर दिया है.
आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत अर्जी को लेकर ईडी ने कहा है कि ऐसा कोई सिद्धांत नहीं है जो किसी किसान या अपना व्यवसाय आगे बढ़ाने की इच्छा रखने वाले बिजनेसमैन के मुकाबले प्रचार करने वाले राजनेता को अलग व्यवहार देने को उचित ठहराता हो.
Delhi excise policy case: ED says there is absolutely no principle that justifies giving a differential treatment to a politician for campaigning over a farmer or a businessman who wishes to pursue his vocation.
— ANI (@ANI) May 9, 2024
ED in its affidavit says that grant of interim bail merely for…
ईडी इस बात से यह कहना चाहती है कि अगर अरविंद केजरीवाल को जमानत दी गई तो यह कहीं न कहीं अन्य कैदियों के साथ भेदभाव होगा.ईडी ने हलफनामे के जरिए कहा कि चुनाव प्रचार करना मौलिक अधिकार नहीं है. न ही यह संवैधानिक और न ही यह कानूनी अधिकार है. अगर अरविंद केजरीवाल को जमानत दी गई तो यह कहीं न कहीं गलत परंपरा की शुरुआत होगी.
ईडी ने अपने हलफनामें में कहा कि केवल राजनीतिक प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देना समानता के नियम के खिलाफ होगा. राजनीतिक व्यक्ति को प्रचार के लिए जमानत देना भेदभावपूर्ण होगा क्योंकि प्रत्येक नागरिक का काम/व्यवसाय/पेशा या गतिविधि उसके लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है.
ईडी के इस हलफनामे के बाद अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ सकती है. क्योंकि ईडी ने हलफनाम दायर कर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का जिक्र कर दिया है. जो कहता है कि कानून के सामने सभी बराबर है. आर्टिकल 14 कहता है कि 'कानून के समक्ष समानता' एवं 'कानून का समान संरक्षण'.
10 मई को सुप्रीम कोर्ट अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर अपना फैसला सुना सकता है. ईडी के हलफनामे के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिर सुप्रीम कोर्ट केजरीवाल को बेल देता है कि नहीं.
बीते 21 मार्च से ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल में बंद हैं. हाई कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को वैध ठहराया था. जिसके बाद अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी गिरफ्तारी को लेकर चुनौती दी. पिछली सुनवाई में अदालत ने फैसला सुरक्षित रखते हुए ईडी से कई सवाल पूछे था. कोर्ट ने पूछा था कि शराब घोटाले जांच को दो साल हो रहे आखिर अब इतना समय क्यों लग रहा है. जांच पूरी क्यों नहीं हो पा रही है?