ED-CBI-Income Tax का था खौफ! 13 नेता NDA में हुए शामिल, 9 हार गए चुनाव

ED-CBI-Income Tax Fear: लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय जांच एजेंसियों की डर की वजह से 13 नेता ऐसे थे, जिन्होंने अपनी पार्टी छोड़कर NDA ज्वाइन कर लिया था. लोकसभा चुनाव के नतीजों में इन 13 नेताओं में से 9 को हार मिली.

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ED-CBI-Income Tax Fear: केंद्रीय एजेंसियों की जांच के दायरे में आए कुछ नेता ऐसे थे, जिन्होंने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अपनी पार्टी छोड़ दी. इसके बाद वे या तो भाजपा में शामिल हो गए या फिर NDA की सहयोगी पार्टी का दामन थाम लिया. लोकसभा चुनाव में वे नई पार्टी के साथ उतरे और चुनाव लड़ा, लेकिन इन दलबदलू नेताओं में से अधिकतर को हार का सामना करना पड़ा. लोकसभा चुनाव से पहले दल बदलने वाले ऐसे नेताओं की संख्या 13 थी, जिनमें से 9 को हार का सामना करना पड़ा है.

हारने वाले दलबदलू नेताओं में राजस्थान के नागौर से ज्योति मिर्धा, उत्तर प्रदेश के जौनपुर से कृपाशंकर सिंह, कोलकाता उत्तर से तपस रॉय, आंध्र प्रदेश के अराकू से कोथापल्ली गीता, पटियाला से परनीत कौर, महाराष्ट्र के मुंबई साउथ से शिवसेना शिंदे गुट की यामिनी जाधव, झारखंड के गोड्डा से कांग्रेस के प्रदीप यादव और झारखंड के सिंहभूम से गीता कोड़ा शामिल हैं. 

दल बदलकर 150 से ज्यादा नेताओं ने लड़ा था लोकसभा चुनाव 

एक जून को खत्म हुए लोकसभा चुनाव में दल बदलकर इलेक्शन लड़ने वाले नेताओं की संख्या 150 से ज्यादा थी. इनमें से 13 प्रत्याशी ऐसे थे, जिन्हें या फिर उनके परिवार के किसी सदस्य को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), आयकर विभाग या प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच का सामना करना पड़ रहा था. इन 13 में से 8 ने भाजपा का दामन थाम लिया था. इन आठ नेताओं में से 7 कांग्रेस के थे, जबकि एक टीएमसी का नेता था. एक नेता ने NDA की सहयोगी शिवसेना एकनाथ शिंदे गुट में शामिल हो गया था. बाकी तीन अन्य नेताओं में से एक वाईएसआरसीपी से टीपीडी और दो झारखंड विकास मोर्चा और पंजाब एकता पार्टी से कांग्रेस में शामिल हुए थे.

किस-किस नेताओं ने चुनाव के पहले छोड़ी पार्टी, क्या थे आरोप?

  • हारने वाले नेताओं में ज्योति मिर्धा गहलोत शामिल हैं, जो कांग्रेस छोड़कर सितंबर 2023 में भाजपा में शामिल हुई थीं. लोकसभा चुनाव के शुरू होने से पहले प्रवर्तन निदेशालय ने शिप्रा समूह की शिकायत पर इंडियाबुल्स बीआरडी के खिलाफ जांच शुरू की थी. इंडियाबुल्स का संचालन ज्योति मिर्धा के ससुराल वाले करते हैं. इंडियाबुल्स के प्रमोटर समीर गहलोत मिर्धा, ज्योति मिर्धा के पति नरेंद्र के भाई हैं.
  • मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कृपाशंकर सिंह आय से अधिक संपत्ति के मामले में जांच का सामना कर रहे थे. 2012 में महाराष्ट्र एंटी करप्शन ब्यूरो ने एसीबी मामले की जांच शुरू की. फरवरी 2018 में कोर्ट ने बरी कर दिया. 2019 में उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और 2021 में बीजेपी में शामिल हो गए.
  • प्रवर्तन निदेशालय ने तृणमूल कांग्रेस के नेता तपस रॉय के घर पर छापा मारा. मामला पश्चिम बंगाल में नगर निकाय भर्तियों में कथित अनियमितताओं से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा था. इस साल मार्च की शुरुआत में तपस रॉय भाजपा में शामिल हो गए थे. इसके बाद भाजपा ने उन्हें कोलकाता उत्तर से मैदान में उतारा था. लेकिन टीएमसी के सुदीप बंदोपाध्याय से उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
  • 2019 के चुनावों में झारखंड के पूर्व सीएम मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा राज्य से जीतने वाली एकमात्र कांग्रेस उम्मीदवार थीं. चूंकि उनके पति सीबीआई और ईडी की ओर से उनके खिलाफ दर्ज कई मामलों में से एक में दोषी ठहराए गए हैं और अन्य मामलों में जांच जारी है, इसलिए वे इस साल फरवरी में भाजपा में शामिल हो गईं. भाजपा ने गीता कोड़ा के गढ़ सिंहभूम से उन्हें चुनावी मैदान में उतार दिया, लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रत्याशी से उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
  • आंध्र प्रदेश में, पूर्व वाईएसआरसीपी सांसद कोथापल्ली गीता और उनके पति पी रामकोटेश्वर राव पर 2015 में सीबीआई की ओर से मामला दर्ज किया गया था और आरोप पत्र दाखिल किया गया था. आरोप था कि दंपत्ति ने पंजाब नेशनल बैंक से 42 करोड़ रुपये का लोन गलत तथ्यों के आधार पर लिया था और उसे नहीं चुकाया. जुलाई 2019 में गीता भाजपा में शामिल हो गईं. लेकिन सितंबर 2022 में उन्हें ट्रायल कोर्ट ने दोषी करार दिया और उनके पति के साथ पांच साल की सजा सुनाई. दोनों को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया. हालांकि, दंपत्ति को जल्द ही तेलंगाना हाई कोर्ट ने जमानत दे दी और उनकी सज़ा भी निलंबित कर दी. हालांकि, दोष सिद्धि बरकरार रही, इसलिए गीता मुकदमा नहीं लड़ सकी. 12 मार्च को तेलंगाना हाईकोर्ट ने भी सजा पर रोक लगाकर रास्ता साफ कर दिया. 28 मार्च को बीजेपी ने घोषणा की कि गीता, अराकू लोकसभा सीट से पार्टी की उम्मीदवार होंगी. हालांकि, वे वाईएसआरसीपी की गुम्मा रानी से चुनाव हार गईं.
  • पूर्व कांग्रेस नेता और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर को भाजपा ने पटियाला से मैदान में उतारा था. उनके बेटे रणिंदर सिंह 2020 में विदेशी मुद्रा उल्लंघन के एक मामले में ईडी की जांच के घेरे में आए थे. नवंबर 2021 में अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी. अगले ही साल वे भाजपा में शामिल हो गए. लोकसभा चुनाव के नतीजों में परनीत कौर कांग्रेस के धर्मवीर गांधी और आप के बलबीर सिंह के बाद तीसरे स्थान पर रहीं.
  • महाराष्ट्र में शिवसेना की यामिनी जाधव ने जून 2022 में बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे गुट वाले शिवसेना को ज्वाइन किया था. यामिनी और उनके पति यशवंत जाधव कई मामलों में ईडी की जांच का सामना कर रहे थे. यामिनी को इन चुनावों में एनडीए ने मुंबई दक्षिण से मैदान में उतारा था, लेकिन वह शिवसेना यूबीटी के अरविंद सावंत से हार गईं.
  • शिवसेना के दिग्गज नेता रवींद्र वायकर जून 2022 में महाराष्ट्र में राजनीतिक उथल-पुथल के दौरान उद्धव ठाकरे के साथ रहे. हालांकि, महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली नई एनडीए सरकार ने जल्द ही उनके खिलाफ मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा की ओर से जांच शुरू कर दी, जिसके बाद ईडी ने भी जांच शुरू कर दी. इस मार्च में, वायकर एकनाथ शिंदे गुट में चले गए और कहा कि उन्हें जेल जाने या पार्टी बदलने के बीच चुनाव करना होगा. उन्हें मुंबई उत्तर पश्चिम से मैदान में उतारा गया और वे बमुश्किल 48 वोटों से जीत पाए.
  • झारखंड से चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस के प्रदीप यादव के ठिकानों पर पिछले साल ईडी ने छापा मारा था. वे झारखंड विकास मोर्चा (बाबूलाल मरांडी की पूर्व पार्टी) से कांग्रेस में आए थे. उन्हें लोकसभा चुनाव में भाजपा के निशिकांत दुबे से गोड्डा लोकसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा. 
  • पंजाब के संगरूर से कांग्रेस उम्मीदवार सुखपाल सिंह खैरा पहले पंजाब एकता पार्टी के सदस्य थे. उनके खिलाफ भी ईडी की जांच चल रही थी. इसी बीच उन्होंने अपनी पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए. हालांकि, उन्हें संगरूर सीट से हार का सामना करना पड़ा.

दल बदलने वाले इन नेताओं को मिली जीत

महाराष्ट्र में मात्र 48 वोट से जीत हासिल करने वाले वायकर जैसे कई अन्य नेता भी ऐसे थे, जो अपनी पार्टी बदलने के बावजूद जीते. इनमें एक नाम नवीन जिंदल का भी है. नवीन जिंदल चुनाव से कुछ महीने पहले कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए और कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से चुनाव जीते. कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में चार्जशीट किए गए जिंदल पर भाजपा में शामिल होने से कुछ महीने पहले ही ईडी ने एक नए मामले में छापेमारी की थी.

टीडीपी के पूर्व राज्यसभा सांसद सीएम रमेश के खिलाफ भी आयकर विभाग ने जांच शुरू की थी. मामला 2019 का बताया जा रहा था. कंपनी में छापेमारी के बाद सीएम रमेश ने छापेमारी के बाद भाजपा में शामिल हो गए थे. भाजपा ने उन्हें आंध्र प्रदेश के अनकापल्ले से अपना उम्मीदवार बनाया. नतीजे जब आए तो सीएम रमेश को जीत भी हासिल हुई. इसी तरह टीडीपी के मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी, जिनके बेटे को दिल्ली आबकारी नीति मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया था, लेकिन बाद में सरकारी गवाह बन गए, उन्होंने ओंगोल लोकसभा सीट से जीत हासिल की.