इलेक्शन कैंपेन में बच्चे का इस्तेमाल बना मुसीबत, ECI ने थमा दिया BJP को नोटिस
ECI Notice To BJP: चुनाव आयोग ने हरियाणा बीजेपी के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया है. चुनाव आयोग ने 29 अगस्त की शाम तक जवाब देने का निर्देश दिया है. ईसीआई के दिशा निर्देश चुनाव प्रचार में बच्चों के इस्तेमाल पर रोक लगाते हैं.
ECI Notice To BJP: भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने हरियाणा भाजपा के हैंडल एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट को गंभीरता से लिया है, जिसमें चुनाव प्रचार वीडियो में एक बच्चे को दिखाया गया है. चुनाव आयोग ने बुधवार को जारी कारण बताओ नोटिस में कहा कि यह ईसीआई के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है. यह दिशा निर्देश चुनाव संबंधी गतिविधियों और प्रचार में बच्चों के इस्तेमाल पर रोक लगाते हैं.
हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने हरियाणा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष को कारण बताओ नोटिस जारी कर तत्काल इसे सुधारने का निर्देश दिया है. बीजेपी को 29 अगस्त शाम 6 बजे तक जवाब देने का समय दिया गया है.
चुनाव प्रचार में बच्चों की भागीदारी के नियम क्या हैं?
- बाल श्रम (निषेध एवं विनियमन) अधिनियम पर आधारित ईसीआई के निर्देशों के अनुसार, राजनीतिक दलों को चुनाव संबंधी किसी भी गतिविधि, जैसे रैलियां, नारे लगाने या पोस्टर वितरित करने में बच्चों को शामिल करने पर सख्त बैन लगाया गया है.
- राजनीतिक नेताओं और उम्मीदवारों को किसी भी रूप में अभियान गतिविधियों में बच्चों का उपयोग करने की अनुमति नहीं है. जैसे- बच्चे को गोद में उठाना, वाहन में ले जाना या रैलियों में उन्हें शामिल करना.
- कविताओं, गीतों, बोले गए शब्दों या राजनीतिक प्रतीक चिन्हों के माध्यम से किसी राजनीतिक अभियान की छवि बनाने के लिए बच्चों का उपयोग सख्त वर्जित है.
- राजनीतिक दल की उपलब्धियों का प्रचार करना या विरोधियों की आलोचना करना भी प्रतिबंधित है.
- हालाँकि, यदि कोई बच्चा अपने माता-पिता या अभिभावक के साथ किसी राजनीतिक नेता के पास मौजूद है और किसी भी अभियान गतिविधि में शामिल नहीं है तो इसे चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों का उल्लंघन नहीं माना जाएगा.
एक अक्टूबर को होगा चुनाव
इस महीने की शुरुआत में चुनाव आयोग ने घोषणा की थी कि 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा के लिए चुनाव 1 अक्टूबर को होंगे और नतीजे 4 अक्टूबर को घोषित किये जायेंगे. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जननायक जनता पार्टी (JJP) के साथ गठबंधन सरकार बनाई थी. हालांकि, लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर मतभेद के कारण यह गठबंधन टूट गया था. बीजेपी ने बाद में निर्दलीय विधायकों के समर्थन से अपनी सरकार बनाई.