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India Daily

हवा में ही दुश्मन को खाक कर देगा 'HEAT', जानें कितना घातक है DRDO का अभ्यास

हाई-स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (HEAT) 'अभ्यास' जमीन से हवा में मार करने के लिए पूरी तरह से सक्षम है. डीआरडीओ की ओर से इसके चार सफल परीक्षण किए गए हैं.

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Edited By: Naresh Chaudhary
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नई दिल्लीः भारत रक्षा क्षेत्र में रोजाना नए आयाम स्थापित कर रहा है. हाल ही में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की ओर से 30 जनवरी से 2 फरवरी 2024 तक ओडिशा के चांदीपुर में सेंटलाइज्ड टेस्टिंग रेंज से हाई-स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (HEAT) अभ्यास के चार उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक किए गए हैं. लॉन्चिंग के लिए काफी कम जगह लेने वाले डिफेंस सिस्टम को एडवांस्ड सिस्टम्स लेबोरेटरी, हैदराबाद ने डिजाइन किया है. सिंगल बूस्टर का उपयोग करके संशोधित मजबूत कॉन्फिगरेशन में चार अलग-अलग मिशन के साथ इस टेस्टिंग को किया गया है. 

बूस्टर की सुरक्षित रिहाई, लॉन्चर क्लीयरेंस और जरूरी स्पीड हासिल करने जैसे उद्देश्य पार किए हैं. उड़ान परीक्षणों के दौरान आवश्यक सहनशक्ति, स्पीड, गतिशीलता, ऊंचाई और सीमा जैसे अलग-अलग मापदंडों को सफलतापूर्वक टारगेट किया गया है. डीआरडीओ के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (एडीई) की ओर से डिजाइन किया गया ये अभ्यास किसी भी खतरे से निपटने में सक्षम है. इसे ADE की ओर से स्वदेशी रूप से बने ऑटोपायलट की मदद से स्वतंत्र उड़ान के लिए डिजाइन किया गया है. इसमें हथियार अभ्यास के लिए जरूरी रडार क्रॉस-सेक्शन, विजुअल और इन्फ्रारेड वाली प्रणाली भी है.

काफी कम लागत की सुरक्षा प्रणाली है ये

इसमें एक लैपटॉप बेस्ड ग्राउंड कंट्रोल सिस्टम है, जिसके साथ विमान को सेंट्रलाइज्ड किया जा सकता है. उड़ान से पहले जांच, उड़ान के दौरान डेटा रिकॉर्डिंग, उड़ान के बाद रीप्ले और विश्लेषण किया जा सकता है. अभ्यास के लिए न्यूनतम लॉजिस्टिक्स की जरूरत होती है. यह अपने  समकक्ष हथियारों की तुलना में काफी कम लागत वाला है. हाल ही में परीक्षण की गई इस प्रणालियों को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) डिफेंस के जरिए साकार किया गया है. भविष्य में इस प्रणाली को निर्यात के लिए मित्र देशों के सामने पेश किया जा सकता है.

रक्षामंत्री और डीआरडीओ चीफ ने टीम को दी बधाई

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ABHYAS के सफल उड़ान परीक्षण के लिए DRDO, सशस्त्र बलों और उद्योग को बधाई दी है. उन्होंने कहा है कि इस प्रणाली का विकास सशस्त्र बलों के लिए हवाई लक्ष्यों की जरूरतों को पूरा करेगा. रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने प्रणाली के डिजाइन, विकास और परीक्षण से जुड़ी टीमों के प्रयासों की सराहना की.