10 मिनट में फूड डिलीवरी ले लेगी जान! जोमैटो, स्वीगी और जेप्टो को डॉक्टर ने लताड़ा, ऑनलाइन खाना मंगाते हैं तो जरूर पढ़ें

डॉ. वोरा ने उपभोक्ताओं से अपील की है कि यदि वे घर का बना खाना नहीं पा रहे हैं और फूड डिलीवरी की जरूरत है, तो उन्हें थोड़ा इंतजार करना चाहिए और ताजे भोजन की डिलीवरी का विकल्प चुनना चाहिए. उन्होंने कहा, "स्वास्थ्य से समझौता न करें. 10 मिनट में डिलीवरी के लिए ये अल्ट्रा-प्रोसेस्ड कचरा हम नहीं चाहते."

भारत में फूड डिलीवरी के क्षेत्र में जो तेजी देखी जा रही है, उसने एक नई बहस को जन्म दिया है. जोमैटो, स्वीगी और जेप्टो जैसे ऐप्स अब 10 मिनट में खाने की डिलीवरी देने का दावा कर रहे हैं, लेकिन इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर विशेषज्ञों के बीच चिंता गहराती जा रही है. डॉक्टरों और पोषण विशेषज्ञों का कहना है कि यह ‘स्पीड-फर्स्ट’ अप्रोच देश के स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक असर डाल सकती है.

10 मिनट फूड डिलीवरी कर सकती है गंभीर रूप से बीमार
ऑर्थोपेडिक सर्जन और न्यूट्रीबाइट वेलनेस के सह-संस्थापक डॉ. मनन वोरा ने इस 10 मिनट में डिलीवरी के ट्रेंड पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. उनका कहना है कि जब फूड को 10 मिनट में डिलीवर किया जाता है, तो इसे बनाने के लिए ज्यादा समय नहीं मिलता. इसके लिए भोजन को 3 मिनट या उससे भी कम समय में तैयार करना पड़ता है और ऐसा केवल अल्ट्रा-प्रोसेस्ड, रेडी-टू-ईट मील्स के जरिए ही संभव है, जो पहले से पका हुआ, फ्रोजन, माइक्रोवेव में गरम किया गया और फिर डिलीवर किया जाता है.

डॉ. वोरा ने अपनी चिंताओं को कई रिसर्च के माध्यम से स्पष्ट किया है, जिसमें अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स से जुड़ी कई स्वास्थ्य समस्याओं का जिक्र किया गया है: 

  • कैंसर का जोखिम: अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स से कैंसर का जोखिम 12% तक बढ़ सकता है.
  • हृदय रोग का खतरा: इन फूड्स के सेवन से हृदय रोग का जोखिम 10% बढ़ जाता है.
  • मोटापे में वृद्धि: भारत में 27.8% वयस्क मोटापे से प्रभावित हैं, और इन खाद्य पदार्थों का सेवन इस समस्या को और बढ़ा सकता है.
  • डायबिटीज का खतरा: शुगर के स्तर में वृद्धि के कारण डायबिटीज का खतरा बढ़ता है.
  • ट्रांस फैट्स: इनमें उच्च मात्रा में ट्रांस फैट्स होते हैं, जो हृदय रोगों से जुड़े होते हैं.

10 मिनट की फूड डिलीवरी ले लेगी जान
डॉ. वोरा ने उपभोक्ताओं से अपील की है कि यदि वे घर का बना खाना नहीं पा रहे हैं और फूड डिलीवरी की जरूरत है, तो उन्हें थोड़ा इंतजार करना चाहिए और ताजे भोजन की डिलीवरी का विकल्प चुनना चाहिए. उन्होंने कहा, "स्वास्थ्य से समझौता न करें. 10 मिनट में डिलीवरी के लिए ये अल्ट्रा-प्रोसेस्ड कचरा हम नहीं चाहते."

उनका यह संदेश सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, और कई लोगों ने इससे सहमति जताई. एक यूज़र ने कहा, "10 मिनट में डिलीवरी सुविधा तो लगती है, लेकिन यह हमारी सेहत के लिए खतरे का संकेत है. अल्ट्रा-प्रोसेस्ड मील्स एक त्वरित समाधान हो सकते हैं, लेकिन इसके दीर्घकालिक प्रभाव गंभीर हो सकते हैं." एक अन्य यूज़र ने कहा, "10 मिनट में डिलीवरी का असर 10 साल बाद दिखेगा, जब हमें और अधिक क्रॉनिक बीमारियों का सामना करना पड़ेगा."

फास्ट फूड की बढ़ती समस्या
बॉम्बे शेविंग कंपनी के सीईओ शंतनु देशपांडे ने भी भारत में फास्ट फूड की बढ़ती लोकप्रियता पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने इसे "सबसे बड़ी महामारी" बताया और कहा कि चीनी और पाम ऑयल से भरपूर सस्ते अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं. उनका कहना है कि इस तरह के फूड्स का अत्यधिक सेवन भारत में बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं का मुख्य कारण बन रहा है.

देशपांडे ने खाद्य डिलीवरी कंपनियों से आग्रह किया कि वे गुणवत्ता को प्राथमिकता दें और केवल सुविधा पर ध्यान न दें. उन्होंने कहा, "हमारे पास जो विकल्प हैं, उनमें से स्वस्थ और गुणवत्ता वाले भोजन को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है, न कि केवल रफ्तार और सस्ती कीमत को."

क्या किया जा सकता है?
इस समय, जबकि भारत में फूड डिलीवरी की स्पीड लगातार बढ़ रही है, यह जरूरी हो जाता है कि सरकार और खाद्य कंपनियां मिलकर इस समस्या का हल निकालें. बेहतर खाद्य सुरक्षा मानक और उपभोक्ताओं को सही विकल्प देने के लिए, खाद्य डिलीवरी कंपनियों को अधिक जिम्मेदारी दिखानी चाहिए. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ तेज़ डिलीवरी से ज्यादा महत्वपूर्ण है  स्वास्थ्यप्रद और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना.