नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री नारायण राणे शिंदे सरकार की ओर से मराठा समुदाय के लिए आरक्षण के फैसले से सहमत नहीं हैं, क्योंकि उनका मानना है कि इससे राज्य में अन्य पिछड़े समुदायों में असंतोष पैदा हो सकता है. राणे ने कहा कि इस कदम से राज्य में अशांति फैल जाएगी और अन्य पिछड़े समुदायों पर अतिक्रमण होगा.
एक्स पर मराठी में लिखे एक पोस्ट में राणे ने लिखा "मैं मराठा समुदाय के आरक्षण के संबंध में राज्य सरकार द्वारा लिए गए निर्णय से सहमत नहीं हूं. मराठा समुदाय की ऐतिहासिक परंपराएं हैं और अन्य पिछड़े समुदायों पर अतिक्रमण से राज्य में असंतोष पैदा हो सकता है."
मराठा समाज आरक्षणासंबंधी राज्य सरकारने घेतलेल्या निर्णयाशी आणि दिलेल्या आश्वासनाशी मी सहमत नाही. यामध्ये ऐतिहासिक परंपरा असलेल्या मराठा समाजाचे खच्चीकरण आणि इतर मागास समाजावर अतिक्रमण होणार असल्याने राज्यात असंतोष निर्माण होऊ शकतो. उद्या सोमवार दि. 29 जानेवारी रोजी मी…
— Narayan Rane (@MeNarayanRane) January 28, 2024
27 जनवरी को महाराष्ट्र सरकार द्वारा उनकी मांगें स्वीकार किए जाने के बाद कार्यकर्ता मनोज जारांगे ने मराठा आरक्षण के लिए अपना अनिश्चितकालीन अनशन समाप्त कर दिया. अनशन पर बैठे कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल ने शिंदे से जूस का गिलास लेकर अपना अनशन तोड़ा, सरकार ने उनकी सभी मांगें मानने का वादा किया. शिंदे और पाटिल ने मिलकर नवी मुंबई में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा पर माला चढ़ाई.
शिंदे ने कार्यकर्ता मनोज जारांगे की मांगों पर अधिकारियों के साथ बैठक की थी और शुक्रवार रात एक मसौदा अध्यादेश के साथ एक प्रतिनिधिमंडल भेजा था, जिसके बाद पाटिल ने कहा कि वह अपना विरोध समाप्त कर रहे हैं. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने घोषणा की थी कि जब तक मराठों को आरक्षण नहीं मिल जाता, तब तक उन्हें ओबीसी को मिलने वाले सभी लाभ दिए जाएंगे.