अपहरण और फिरौती मामले में 7 साल की सजा होने के बाद जौनपुर के माफिया धनंजय सिंह को इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिल गई है. जमानत मिलने के बाद धनंजय सिंह को बरेली जेल से रिहा कर दिया गया है. जेल से निकलते ही धनंजय सिंह उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित कैंची धाम पहुंच गया. अपने समर्थकों के साथ नींब करौरी बाबा के धाम पहुंचे धनंजय सिंह ने कहा है कि अब वह सीधे अपने क्षेत्र में जाएगा. बता दें कि धनजंय सिंह को 7 साल की सजा हो जाने के चलते वह अब चुनाव नहीं लड़ पाएगा, ऐसे में बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने धनंजय सिंह की पत्नी को जौनपुर लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी बनाया है.
रिहाई के बाद धनंजय सिंह का कहना है कि उसके खिलाफ फर्जी मुकदमे कराए गए हैं. साथ ही, धनंजय ने यह भी कहा कि अब वह अपनी पत्नी के चुनाव प्रचार में लगेगा. जौनपुर पहुंचने के बाद धनंजय सिंह ने ट्वीट करके कहा, 'मैं अपने शहर जौनपुर में आ गया हूं और आप सभी के अपार प्यार व जनसमर्थन से अभिभूत हूं लेकिन सनद रहे कि वक्त आचार संहिता का है, धारा 144 लागू है. कहीं जाने-अंजाने में कानून का उल्लंघन ना हो जाए. हम आप की भावनाओं की कद्र करते हैं और आपसे दरख्वास्त करते हैं कि चुनाव नियमों का पालन करें.'
नींब करौरी बाबा ही क्यों?
बीते कुछ सालों में देखा गया है कई जानी-मानी हस्तियां नींब करौरी बाबा के आश्रम पहुंची हैं. अब धनंजय सिंह ने भी रिहाई के बाद इसी आश्रम में जाकर मत्था टेका. जून 2023 में भारतीय क्रिकेट स्टार विराट कोहली नींब करौरी बाबा के आश्रम पहुंचे थे. नींब करौरी बाबा को उनके भक्त हनुमान जी का अवतार मानते हैं और उनके बारे में कई चमत्कारों की कहानी भी बताते हैं.
इससे पहले, एपल कंपनी के फाउंडर स्टीव जॉब्स, पीएम नरेंद्र मोदी, हॉलीवुड स्टार जूलिया रॉबर्ट्स और मार्क जुकरबर्ग जैसे लोग भी नींब करौरी बाबा के आश्रम जाकर मत्था टेक चुके हैं. इन हस्तियों के अलावा हर साल लाखों आम लोग भी उत्तराखंड में स्थित इस आश्रम में पहुंचते हैं और दर्शन करते हैं. साल भर में एक बार 15 जून को यहां एक मेला भी लगता है जिसमें देश-विदेश से नींब करौरी बाबा के भक्त आते रहते हैं.
कौन थे नींब करौरी बाबा?
साल नींब करौरी बाबा को नीम करोली बाबा कहा जाता है. यूपी के अकबरपुर में 1900 में जन्मे नींब करौरी बाबा का असली नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था. उन्हें तलईया बाबा, तिकोनिया वाले बाबा, हांडी वाले बाबा और लक्ष्मण दास है. 11 साल में ही विवाहित हो चुके बाबा ने घर छोड़ दिया और दीक्षा ले ली. घूमते-टहलते हुए वह कैंची धाम पहुंचे और 1964 में इसकी स्थापना की. अब उनके आश्रम भारत के अलावा दूसरे देशों में भी हैं.
कहा जाता है कि वह हनुमान जी के अनन्य भक्त थे. साल 1973 में प्राण त्यागने वाले नींब करौरी बाबा की समाधि वृंदावन में है. उनके कई भक्त उन्हें हनुमान जी का अवतार भी मानते हैं.