अमेरिका में एक भारतीय छात्र का पहचान पत्र चोरी हो गया और उसके दोस्त ने उसका दुरुपयोग कर लिया. पीड़ित छात्र ने इसकी शिकायत की, वीडियो सबूत पेश किए और कानूनी प्रक्रिया के बाद कोर्ट ने उसके दोस्त को निर्दोष करार दिया. फिर भी, अमेरिका ने उसका छात्र वीजा रद्द कर दिया गया. उसका स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर इन्फॉर्मेशन सिस्टम (SEVIS) रिकॉर्ड समाप्त कर दिया गया और अब उसे स्वयं निर्वासन (सेल्फ-डिपोर्ट) करना पड़ सकता है.
बढ़ती सख्ती का शिकार भारतीय छात्र
ट्रम्प की सख्त नीतियों का असर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की कठोर आव्रजन नीतियों के तहत अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर निगरानी बढ़ी है. परवथनेनी ने कहा, "इन सभी छात्रों में एक समानता है कि उन्हें एक बार चिह्नित किया गया- बस इतना ही काफी था." सरकार AI तकनीक का उपयोग कर उन छात्रों की पहचान कर रही है जो हमास जैसे संगठनों का "संभावित समर्थन" करते दिखते हैं, जिसके चलते प्रो-पैलेस्टाइन प्रदर्शनों में शामिल छात्रों को भी निर्वासन का सामना करना पड़ा है.
मामूली गलतियों पर भी कार्रवाई
एक छात्र का लर्नर परमिट के साथ छोटा हादसा हुआ, उसने नियमों का पालन किया और जुर्माना भरा, फिर भी उसका वीजा प्रभावित हुआ. एक अन्य छात्र को बिना लाइसेंसधारी वयस्क के गाड़ी चलाने पर गिरफ्तार किया गया. एक घरेलू हिंसा का मामला वापस लेने और कोर्ट से बरी होने के बावजूद छात्र का वीजा रद्द हुआ. दुकान से चोरी या नशे में गाड़ी चलाने के आरोपों में भी कोर्ट से निर्दोष पाए गए छात्रों का वीजा खतरे में पड़ गया.
क्या कर सकते हैं छात्र?
परवथनेनी ने कहा, "छात्र कानूनी रास्ते से वीजा रद्द करने को चुनौती दे सकते हैं. सेल्फ-डिपोर्टेशन आखिरी विकल्प होना चाहिए." हाल ही में अमेरिकी सिविल लिबर्टीज यूनियन (ACLU) ने एक चीनी पीएचडी छात्र के मामले में मुकदमा दायर किया, जिसका वीजा बिना कारण रद्द कर दिया गया. ACLU के गिल्स बिसोनेट ने कहा, "हमें ट्रम्प प्रशासन की अचानक वीजा रद्द करने की कार्रवाई से चिंता है."