दिल्ली में कुटी कांग्रेस की भद्द, 70 में से 67 उम्मीदवारों की जमानत जब्त, 3 ने बचा ली लाज
कांग्रेस ने अपनी लुटिया तो डुबाई ही आम आदमी पार्टी का भी भारी नुकसान किया. नतीजतन, AAP का वोट शेयर 10 प्रतिशत घटकर 43.19 प्रतिशत रह गया, जो कि 2020 में 53.6 प्रतिशत था. इस बदलाव का फायदा भाजपा को मिला, जो कांग्रेस और AAP के बीच हुई कड़ी टक्कर का लाभ उठाने में सफल रही.
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा. 70 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 67 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई, जबकि केवल तीन उम्मीदवार अपनी जमानत बचा पाए. यह लगातार तीसरी बार था जब कांग्रेस दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपना खाता खोलने में नाकाम रही. हालांकि, कांग्रेस के वोट शेयर में 2.1 प्रतिशत का मामूली सुधार हुआ है, लेकिन पार्टी को इस चुनाव में सीटों की कमी का सामना करना पड़ा. आइए जानते हैं कि इस हार के पीछे क्या कारण थे और कांग्रेस के लिए आगे क्या राह है.
कांग्रेस का खराब प्रदर्शन
दिल्ली विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन शर्मनाक रहा. पार्टी के अधिकांश उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे, और कई सीटों पर तो कांग्रेस के उम्मीदवार एआईएमआईएम के उम्मीदवारों से भी पीछे चले गए. कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से कुछ को तो हार का सामना करना ही पड़ा, जो पहले अपने गढ़ में मजबूती से खड़े थे. इनमें से बादली सीट से देवेंद्र यादव, कालकाजी से अलका लांबा और बल्लीमारान से हारून यूसुफ का नाम शामिल है.
केवल तीन उम्मीदवारों ने बचाई अपनी जमानत
इस चुनाव में कांग्रेस के सिर्फ तीन उम्मीदवार अपनी जमानत बचा पाए. कस्तूरबा नगर से अभिषेक दत्त, नांगलोई जाट से रोहित चौधरी और बादली से देवेंद्र यादव ऐसे नाम थे जिन्होंने इस मुश्किल दौर में अपनी जमानत बचाई. अभिषेक दत्त को छोड़कर, बाकी दो उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे और वे भी अपनी जीत की उम्मीदों को कायम नहीं रख सके.
कांग्रेस ने आप का खेल बिगाड़ा
कांग्रेस के वोट शेयर में मामूली सुधार ने आम आदमी पार्टी (AAP) को गंभीर नुकसान पहुंचाया. खासकर अनुसूचित जाति और मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में कांग्रेस ने AAP की बढ़त को चुनौती दी और कुछ सीटों पर कांग्रेस ने आप की कीमत पर मामूली बढ़त हासिल की. नतीजतन, AAP का वोट शेयर 10 प्रतिशत घटकर 43.19 प्रतिशत रह गया, जो कि 2020 में 53.6 प्रतिशत था. इस बदलाव का फायदा भाजपा को मिला, जो कांग्रेस और AAP के बीच हुई कड़ी टक्कर का लाभ उठाने में सफल रही.
पार्टी के भीतर आत्ममंथन और आगे की रणनीति
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने पार्टी की हार को स्वीकार करते हुए कहा, "हमने जो खोया था, उसका कुछ हिस्सा वापस पा लिया है. यह लंबी लड़ाई है, और हम इससे पीछे नहीं हटेंगे." कांग्रेस के लिए यह स्पष्ट है कि उन्हें अपनी खोई हुई जमीन को फिर से प्राप्त करने के लिए कठिन मेहनत करनी होगी. इस बार पार्टी ने लगभग 5.8 लाख वोट हासिल किए हैं, जो 2020 में 3.95 लाख वोट से अधिक है, लेकिन यह 2015 में प्राप्त 8.67 लाख वोट और 2013 में मिले 1.93 करोड़ वोट से बहुत दूर है.
कांग्रेस का पतन और विपक्ष की एकता
दिल्ली में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन का असर विपक्षी गठबंधन 'इंडिया ब्लॉक' पर भी पड़ा है. कांग्रेस की कमजोर स्थिति ने विपक्षी एकता को प्रभावित किया है. बिहार, हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस का खराब प्रदर्शन विपक्षी दलों के बीच की दूरी को और बढ़ा सकता है. दिल्ली में कांग्रेस का प्रदर्शन एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है, खासकर जब कांग्रेस और AAP ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए गठबंधन किया था, लेकिन दिल्ली में कांग्रेस ने अकेले ही चुनाव लड़ने का निर्णय लिया था.