मणिपुर के राज्यपाल अजय भल्ला ने गुरुवार को सभी समुदायों के लोगों से लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियार सात दिनों के भीतर सौंपने को कहा और आश्वासन दिया कि इस अल्टीमेटम का पालन करने वालों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी. अपनी अपील में राज्यपाल अजय भल्ला ने कहा कि मणिपुर के लोगों को, घाटी और पहाड़ी दोनों जगहों पर सांप्रदायिक सद्भाव को प्रभावित करने वाली दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं की एक श्रृंखला के कारण 20 महीने से अधिक समय तक भारी कठिनाई सहन करनी पड़ी है.
राज्यपाल ने कहा कि इस संबंध में मैं सभी समुदायों के लोगों, विशेषकर घाटी और पहाड़ियों के युवाओं से ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि वे स्वेच्छा से आगे आएं और लूटे गए तथा अवैध रूप से रखे गए हथियार और गोला-बारूद को निकटतम पुलिस स्टेशन में जमा कर दें.
युवाओं से किया अनुरोध
बयान में कहा गया है कि इस संबंध में मैं सभी समुदायों के लोगों विशेष रूप से घाटी और पहाड़ियों के युवाओं से ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि वे स्वेच्छा से आगे आएं और लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियारों और गोला-बारूद को आज से अगले सात दिनों के भीतर निकटतम पुलिस स्टेशन, चौकी, सुरक्षा बलों के शिविर में जमा करें. इन हथियारों को वापस करने का आपका एक कार्य शांति सुनिश्चित करने की दिशा में एक शक्तिशाली कदम हो सकता है. मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि यदि ऐसे हथियार निर्धारित समय के भीतर वापस कर दिए जाते हैं तो कोई दंडात्मक कार्रवाई शुरू नहीं की जाएगी. इसके बाद, ऐसे हथियार रखने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
राज्य में लगाया गया राष्ट्रपति शासन
मणिपुर में गुरुवार को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया और राज्य विधानसभा को निलंबित कर दिया गया. कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दिया था. पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा शुरू होने के लगभग दो साल बाद बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
मणिपुर में हिंसा मई 2023 में शुरू हुई और इम्फाल घाटी में बहुसंख्यक मैतेई समुदाय और आसपास की पहाड़ियों में कुकी-जो आदिवासी समूहों के बीच क्रूर झड़पें हुईं, जिसके परिणामस्वरूप 250 से अधिक लोगों की मौत हो गई और हजारों लोग विस्थापित हो गए.