Delhi Water Crisis: सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो वायरल हैं, जिसमें लोग पानी की टंकी पर चढ़े और पानी की टंकी के पीछे भागते नजर आ रहे हैं. वीडियो दिल्ली का बताया जा रहा है. जहां इन दिनों भीषण गर्मी में लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं. संकट को दूर करने के लिए पानी की टंकी से क्राइसिस वाले इलाकों में पानी की आपूर्ति की जा रही है.
दिल्ली में टेम्प्रेचर 45 डिग्री सेल्सियस के आसपास है. ऐसे में पानी की खपत तो बढ़ी है, लेकिन उसकी आपूर्ति पूरी नहीं हो पा रही है. आपूर्ति को पूरा करने के लिए दिल्ली सरकार ने कई कदम उठाए हैं. साथ ही पानी की बर्बादी पर लगाम लगाने के लिए जुर्माने की भी व्यवस्था की गई है. करीब 200 टीमें दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में घूमकर पानी की फिजूलखर्ची पर लगाम लगाने के लिए गश्त करती रहती है. सवाल ये कि आखिर ऐसी स्थिति क्यों आई? अचानक दिल्ली में पानी की कमी कैसे हो गई?
पानी की कमी वाली स्थिति कैसे पैदा हुई, इस बारे में जानने से पहले थोड़ा वर्तमान के बारे में जान लीजिए. फिलहाल, दिल्ली के कुछ इलाकों की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं, उसे देखकर संकट की स्थिति कितनी गहरी है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. छोटी सी पानी की टंकी के मोहल्ले में आते ही लोग उस पर कब्जा करने के लिए टूट पड़ते हैं. जब तक गाड़ी तय स्थान पर रूकती है, बाल्टी, ड्रम लिए हुए लोगों की भीड़ जुट जाती है.
#WATCH | Delhi: Due to the water crisis, people are facing problems in many areas of the national capital. Water is being supplied to the people through tankers.
— ANI (@ANI) June 2, 2024
(Visuals from Okhla Phase 2 area) pic.twitter.com/uuwQJnooDN
जिन लोगों को पानी मिल जाता है, उनके चेहरे पर मुस्कान तो नहीं, राहत जरूर दिखती है. जिनको पानी नहीं मिलता है, उनके चेहरे पर मायूसी वाले भाव दिखते हैं. ऐसे लोगों का सहज सवाल होता है कि आखिर हम कहां जाएं? मायूसी वाले कुछ लोग पानी की कमी के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं. लेकिन क्या वाकई में सरकार इसके लिए दोषी है?
इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टिट्यूट के वाटर टेक्नोलॉजी सेंटर के एक्स प्रोजेक्ट डायरेक्टर प्रोफेसर मान सिंह के मुताबिक, दिल्ली के ग्राउंड वाटर का अत्यधिक दोहन हुआ है. इसके अलावा, दिल्ली में जिस तरीके से कंक्रीटों का जाल बिछ रहा है, ग्राउंड वाटर रिचार्ज के सोर्स लगभग खत्म हो रहे हैं. प्रोफेसर मान की मानें तो आने वाली समय में स्थिति और खराब हो सकती है. साल 2023 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल धरती के अंदर से 26 फीसदी पानी घरेलू यूज के लिए जबकि 8 फीसदी सिंचाई के लिए यूज होता है. घरेलू यूज का आंकड़ा फ्यूचर में और बढ़ेगा, ऐसे में पानी की किल्लत का सामना और अधिक करना होगा.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के कुल 11 में से 5 जिले ऐसे हैं, जहां 100 फीसदी से अधिक ग्राउंट वाटर का दोहन (Exploitation) होता है. नई दिल्ली में तो ये आंकड़ा 138 फीसदी का है. इस इलाके में पिछले कुछ सालों में कंक्रीटों का जाल बहुत तेजी से बढ़ा है. इसके अलावा, शहादरा इलाके में भूजल दोहन का आंकड़ा 115 फीसदी है. इसके उलट, नॉर्थ-ईस्ट जिले में भूजल दोहन 66 फीसदी हो रहा है.
अब सवाल ये कि बड़े-बड़े सरकारी वादों, बड़े-बड़े होर्डिंग्स पर जागरुकता वाले अभियान का असर नहीं पड़ता क्या? आखिर हर साल गर्मी के मौसम में पानी की संकट से राष्ट्रीय राजधानी क्यों जूझने लगती है. जानकारों की माने तो भूजल दोहन के अलावा भी कुछ कारण ऐसे हैं, जिनकी वजह से दिल्ली को हर साल पानी की संकट की कमी से जूझना पड़ता है.
एक्सपर्ट्स की माने तो दिल्ली के लोगों को गर्मी के मौसम में पानी की कमी से इसलिए भी जूझना पड़ता है, क्योंकि यहां डिमांड के मुकाबले पानी की सप्लाई काफी कम होती है. दिल्ली को आज की तारीख में 129 करोड़ गैलन प्रति दिन पानी की जरूरत होती है, जबकि सप्लाई मात्र 97 करोड़ गैलन ही होती है. इसके अलावा, दिल्ली का कोई अपना वाटर सोर्स भी नहीं है. दिल्ली लैंडलॉक स्टेट यानी हर और जमीन से घिरा हुआ राज्य है. पानी की कमी को पूरा करने के लिए दिल्ली को या तो हरियाणा या फिर उत्तर प्रदेश पर आश्रित रहना पड़ता है. हरियाणा यमुना के जरिए दिल्ली को पानी सप्लाई करता है, जबकि उत्तर प्रदेश गंगा नदी से दिल्ली को पानी भेजता है. इसके अलावा, पंजाब भी भाखरा नांगल से पानी देता है.