नई दिल्ली: विपक्ष के भारी हंगामे के बीच लोकसभा में दिल्ली सेवा बिल पास हो गया. वहीं, सदन में हंगामा करने के लिए आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद सुशील कुमार रिंकू को मॉनसून सत्र से निलंबित कर दिया गया. बिल पर वोटिंग के दौरान विपक्षी सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया. नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि जब हमें सदन में अपनी बात रखने का मौका ही नहीं दिया जाएगा तो हम सदन से वॉकआउट करते हैं.
इस बिल को मंगलवार को लोकसभा में पेश किया गया था. हालांकि विपक्ष ने सरकार के इस कदम का विरोध किया था.
केंद्र सरकार ने 19 मई को यह अध्यादेश जारी किया था इस अध्यादेश के तहत दिल्ली में ग्रुप-A के अधिकारियों की पोस्टिंग और उनके ट्रांसफर पर अंतिम फैसला लेने का अधिकार उपराज्यपाल को दिया गया है.
केंद्र सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद यह अध्यादेश जारी किया था जिसमें कोर्ट ने कहा था कि कानून व्यवस्था, पुलिस और जमीन को छोड़कर शेष सभी मामलों में फैसला लेने का अधिकार दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास होना चाहिए.
जनता की सेवा करनी है तो इस मुद्दे पर बहस क्यों- अमित शाह
'लोकसभा में बिल पर बहस के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सेवाएं हमेशा केंद्र सरकार के पास रही हैं. सुप्रीम कोर्ट ने व्याख्या दी...इस मुद्दे पर 1993 से 2015 के बीच किसी भी मुख्यमंत्री ने कोई लड़ाई नहीं लड़ी. किसी ने कोई लड़ाई नहीं लड़ी क्योंकि जो भी सरकारें बनीं उनका उद्देश्य जनता की सेवा करना था. यदि आप जनता की सेवा करना चाहेत हैं तो इस मुद्दे पर लड़ाई लड़ने की कोई जरूरत ही नहीं है. लेकिन यदि उन्हें पावर चाहिए तो वे लड़ेंगे...'
आज इन लोगों ने दिल्ली की पीठ में छुरा घोंपा- केजरीवाल
इसके बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र को लताड़ते हुए एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने कहा, 'बीजेपी ने बार-बार दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का वादा किया है. 2014 में मोदी जी ने कहा था कि पीएम बनने के बाद वह दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान करेंगे. आज इन लोगों ने दिल्ली के पीठ में छुरा घोंपा है. भविष्य में मोदी जी की बातों पर कभी भरोसा न करें.'
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