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India Daily

Delhi Riots 2020: अदालत ने ‘घृणा अपराध’ के आरोपी पुलिस अधिकारी के खिलाफ FIR के आदेश पर रोक लगाई

दिल्ली की एक अदालत ने 2020 के सांप्रदायिक दंगों के दौरान एक व्यक्ति पर हमला करने और उसे राष्ट्रगान गाने के लिए मजबूर करने के आरोप में दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के मजिस्ट्रेट के आदेश पर रोक लगा दी है. इस साल 18 जनवरी को न्यायिक अदालत ने ज्योति नगर पुलिस थाने के तत्कालीन प्रभारी सलेंद्र तोमर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिए थे

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Edited By: Anvi Shukla
delhi riots 2020
Courtesy: social media

दिल्ली दंगों के दौरान घृणा अपराध के आरोपी एक पुलिस अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है.अदालत ने यह फैसला उस समय दिया जब पुलिस अधिकारी के खिलाफ दिल्ली दंगे में शामिल होने का आरोप था और उसे घृणा अपराध (Hate Crime) में शामिल किया गया था.इस मामले में अदालत की ओर से यह कदम एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में सामने आया है, क्योंकि इससे पहले कई शिकायतें और आरोप दायर किए गए थे.

यह है पूरा मामला: 18 जनवरी को न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी उद्भव कुमार जैन ने दिल्ली दंगों के दौरान नफरती अपराध और शिकायतकर्ता मोहम्मद वसीम को राष्ट्रगान गाने के लिए मजबूर करने को लेकर ज्योति नगर थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष और अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था. जैन ने निर्देश देते हुए कहा था कि मंजूरी की आड़ में उन्हें संरक्षित नहीं किया जा सकता है.

यह निर्देश पुलिस अधिकारियों और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग को लेकर मोहम्मद वसीम द्वारा दायर एक शिकायत पर पारित किया गया. शिकायतकर्ता वसीम ने आरोप लगाया था कि दंगा क्षेत्र से भागने का प्रयास करते समय वह गिर गया और पुलिसकर्मियों ने उसे गाली देना और पीटना शुरू कर दिया. ज्योति नगर थाने के थानाध्यक्ष ने अपने साथी पुलिसकर्मियों को उन्हें वहीं फेंकने का निर्देश दिया, जहां बाकी लोग जमीन पर पड़े थे. साथ ही आरोप लगाया कि चार पुलिसकर्मियों ने उन्हें पीटना शुरू कर दिया और उनसे राष्ट्रगान गाने व जय श्रीराम तथा वंदे मातरम् के नारे लगाने को कहा.

इस मामले में पुलिस अधिकारी पर आरोप था कि उन्होंने दिल्ली दंगों के दौरान कुछ विवादास्पद और घृणास्पद बयान दिए थे, जो समाज में नफरत फैलाने के उद्देश्य से थे.इन आरोपों के बाद पुलिस अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई थी.हालांकि, दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि इस मामले में तुरंत कोई प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश नहीं दिया जा सकता, और जांच के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.

दिल्ली उच्च न्यायालय का फैसला:

दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मामले में पुलिस अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश पर रोक लगाते हुए यह कहा कि जांच के दौरान सभी तथ्यों को सही तरीके से परखा जाना चाहिए.अदालत ने यह भी कहा कि मामले में किसी भी प्रकार की जल्दबाजी नहीं की जा सकती और हर पहलू पर गौर किया जाएगा.इसके अलावा, अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस अधिकारी को इस मामले में पूरी तरह से कानूनी संरक्षण दिया जाएगा. दिल्ली दंगों के बाद से ही राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है.कुछ विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि पुलिस और प्रशासन ने दंगों को बढ़ावा देने में अपना हाथ दिखाया है.वहीं, सरकार का कहना है कि किसी भी आरोपी को बख्शा नहीं जाएगा और जांच के बाद सही कार्रवाई की जाएगी.