'साइकिल खरीदी, गांव में 4 दिनों तक डेरा डाला', हत्यारोपी को 'पाताल' से ढूंढ लाया कॉन्स्टेबल

Delhi Police: दिल्ली में हुई एक हत्या के आरोपी को कुछ दिन के लिए पैरोल मिलता है. जिस दिन उसे सरेंडर करना होता है, वो फरार हो जाता है. इसके बाद पुलिस उसकी तलाश में जुटती है, लेकिन कोई सफलता नहीं मिलती. आरोपी के फरार होने के करीब 3 साल बाद दिल्ली पुलिस के एक कॉन्स्टेबल ने आरोपी को 'पाताल' से ढूंढ निकाला है.

India Daily Live

Delhi Police: नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के खजूरी खास में 22 मार्च 2017 को चाकूबाजी की घटना सामने आई थी. एक शख्स ने एक व्यक्ति को चाकू मार दिया. वारदात के बाद घायल को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया. हत्या के आरोपी की पुलिस ने मुनीश यादव के रूप में पहचान की. वो पिछले तीन साल से पुलिस से बच रहा था. पुलिस के सामने सवाल था कि फरार आरोपी को 'जमीन निगल गई या आसमान खा गया'? लेकिन दिल्ली पुलिस के एक कॉन्स्टेबल ने उसे 'पाताल' से ढूंढ निकाला.

पुलिस के मुताबिक, हत्या के आरोपी मुनीश को वारदात के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था. इस बीच, कोरोनाकाल आया तो मुनीश को 2020 में आपातकालीन पैरोल दिया गया. उसे 14 मार्च 2021 को सरेंडर करना था, लेकिन वो सरेंडर करने के बजाए फरार हो गया. कई पुलिस टीमों ने फरार मुनीश के ठिकाने का पता लगाने के लिए उसके परिवार के सदस्यों से कॉन्टैक्ट किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. मुनीश की तलाश में दो महीने पहले उस वक्त तेजी आईष जब इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया के निर्देशों के बाद दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के सब इंस्पेक्टर रितेश कुमार, जय कुमार, विकास सोलंकी और हेड कांस्टेबल बिजेंदर की एक टीम का गठन किया गया. कहा गया कि वांटेड या फरार आरोपियों और पैरोल से बाहर आए आरोपियों का पता लगाया जाए.

मुखबीर से मिली मुनीश की सूचना

मुनीश हत्या के मामले में फरार था. उसकी एक बार फिर तलाश शुरू की गई. एक अधिकारी के मुताबिक, मुखबिर से सूचना मिली कि मुनीश यादव यूपी के संभल में अपने गांव में कहीं रह रहा है. सूचना के बाद हेड कॉन्स्टेबल बिजेंदर को गांव में रहकर मुनीश के बारे में जानकारी जुटाने का काम सौंपा गया. सीनियर अफसरों के निर्देश के बाद बिजेंदर, मुनीश के गांव पहुंचे. जांच पड़ताल की तो मुनीश का कहीं कुछ पता नहीं चला. घर पर सिर्फ उसकी मां, पत्नी और पिता मौजूद थे. 

इस बीच बिजेंदर को जानकारी मिली कि हत्या का आरोपी मुनीश गांव में ही कहीं छिपा हुआ है. बिजेंदर ने जब ये जानकारी सीनियर अधिकारियों को दी, तो निर्देश मिला कि आपको गांववाला बनकर वहीं रहना है और फरार आरोपी का पता लगाना है. निर्देश के बाद बिजेंदर काम में जुट गया. चार दिन तक बिजेंदर ने गांव में डेरा डाला. सादे कपड़े पहने और साइकिल भी खरीदी. चार दिनों में ही बिजेंदर ने गांव के लोगों से अच्छे संबंध बना लिए. फिर बिजेंदर ने मुनीश के परिजन की गतिविधियों पर नजर रखना शुरू किया. 

नजर रखने के दौरान बिजेंदर ने नोटिस किया कि मुनीश की मां और पत्नी घर से निकलते वक्त अपने पास एक बैग रखती थीं. बैग में टिफिन बॉक्स जैसा बर्तन होता था. एक दिन बिजेंदर ने साइकिल से मुनीश की मां और उसकी पत्नी का पीछा किया. गांव से लगभग एक किलोमीटर दूर एक जंगल आया, जिसके अंदर दोनों महिलाएं चलीं गईं. पीछे-पीछे बिजेंदर भी गया, उसने देखा कि जंगल के अंदर फूस की छत वाली झोपड़ी बनाई है, जहां मुनीश छिपा हुआ था. उसके परिवार के सदस्य हर दिन खाना और पानी पहुंचाते थे. इसके बाद सीनियर अधिकारियों को जानकारी दी गई, फिर छापेमारी वाली टीम ने जंगल पहुंचकर मुनीश को धर दबोचा. 

मुनीश ने क्यों की थी शख्स की चाकू मारकर हत्या

डीसीपी (क्राइम) अमित गोयल ने बताया कि मृतक के साथ मुनीश का कुछ फाइनेंशियल डिस्प्यूट था. वारदात वाले दिन दोनों के बीच तीखी बहस हुई थी. इस दौरान मुनीश गुस्सा हो गया और चाकू से ताबड़तोड़ हमला कर दिया. पुलिस से बचते हुए मुनीश ने महरौली, खानपुर, देवली और सराय काले खां में छिपता रहा और मजदूरी करता रहा.