दिल्ली-एनसीआर वालों के लिए सोमवार की सुबह एक भयानक सपने से कम नहीं रही. लोग नींद में ही थे सुबह 5.36 मिनट पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लोगों को अचानक तेज भूकंप के झटके महसूस हुए. जो भाग सकते थे वो भागकर नीचे सड़कों,गलियों में पहुंच गए. वहीं ऊंची इमारतों रहने वाले लोगों की हालत भी कम खराब नहीं हुई. दिल्ली नोएडा और गाजियाबाद में इन इमारतों में रहने वाले लोग भूकंप आने के बाद खास तौर पर घबरा गए.
भूकंप आने के बाद भी कई लोग संभावित झटकों और आगे की भूकंपीय गतिविधि की बढ़ती चिंताओं के कारण अपनी सुरक्षा को लेकर काफी चितिंत नजर आए. आप जानते हैं कि दिल्ली-एनसीआर ऊंची इमारतों का हब है. इनमें से कुछ इमारतें तो 29वीं मंजिल से भी ज्यादा ऊंची हैं. ऐसे में हम आपको बताते हैं कि आपको कैसे ऊंची इमारतों में रहने वाले लोगों को अपनी सुरक्षा के लिए सचेत रहना चाहिए.
ऊंची इमारतों में रहने वाले लोग इन बातों का रखें ख्याल
अगर आप ऊंची इमारत में रहने की सोच रहे हैं और इसमें फ्लैट खरीदने की सोच रहे थें तो आप इन इमारतों को डिजाइन करने वाले एक्सपर्ट्स की कुछ सलाहों पर गौर कर सकते हैं. वैसे तो ऐसी ज्यादातर इमारतों को बनाने में उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है. इसके बावजूद आप ये पता कर सकते हैं कि इमारत को जोन 5 या जोन 4 मानकों के अनुसार डिजाइन किया गया है. इसके साथ ये जान लें कि क्या वो भ्रमित तो नहीं कर रहे हैं.
बिल्डरों के बारे में जुटा लें जानकारी
ब्रोशर में भले ही आपसे कहा जाए कि ये इमारत भूकंपरोधी है. लेकिन आप ये पु्ष्टि कर लें कि क्या वास्तव में इन्होंने जोन 4 या जोन 5 के खतरे को देखते हुए भूकंपरोधी इमारत बनाने में सारे मानक नियमों का पालन किया है कि नहीं. हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत करते हुए स्केलेटन कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अभय गुप्ता का कहना है कि आदर्श रूप से, किसी परियोजना को भूकंप-रोधी बताने वाले विज्ञापनों में संरचनात्मक डिजाइनर का नाम, आईएस कोड नंबर और यह घोषित किया जाना चाहिए कि इमारत को भूकंप क्षेत्र 4 के लिए डिज़ाइन किया गया है.
कितने प्रकार की होती हैं भूकंपरोधी इमारतें
भूकंपरोधी इमारतें चार प्रकार की होती हैं. टाइप ए चालू हालत में होती है. मतलब वो रहने वाली स्थिति में होती है. टाइप बी तत्काल रहने के लिए होती है. टाइप सी जीवन सुरक्षा के लिए होती है और टाइप डी बिल्डिंग के ढहने से बचाव के लिए होती है. इसमें टाइप ए सबसे अच्छी होती है और टाइप डी सबसे कम बेहतर होती है. आपको पता होना चाहिए कि आप किस तरह की टाइप वाली इमारतों में रहते हैं.
भूकंप आने पर क्या होगा?
भूकंप की स्थिति में कैटेगरी ए की इमारतों को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं हो सकता है. कैटेगरी बी में हल्की क्षति हो सकती है लेकिन उसके स्ट्रक्टर को कोई नुकसान नहीं होता है. कैटेगरी सी की इमारतों को भूकंप के झटकों से नुकसान हो सकता है, लेकिन नुकसान की मरम्मत की जा सकती है. वहीं श्रेणी डी की इमारतों की मरम्मत नहीं की जा सकती है और उन्हें गिराना पड़ सकता है.