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Delhi Metro: जब रात में सो जाती है पूरी दिल्ली, तब दिल्ली मेट्रो में क्या होता है, कभी सोचा है?

What Is Mega Block Time: दिल्ली मेट्रो के कर्मचारी आधी रात को मिशन पर निकलते हैं. आइये जानते हैं क्या होता है मेगा ब्लॉक टाइमिंग?

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Edited By: Srishti Srivastava
Delhi Metro: जब रात में सो जाती है पूरी दिल्ली, तब दिल्ली मेट्रो में क्या होता है, कभी सोचा है?

नई दिल्ली: क्या आपने कभी सोचा है कि जब हम घर पर आकर सो जाते हैं तो दिल्ली मेट्रो में क्या होता है? दरअसल, रात में 11 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक का समय मेट्रो के लिए कुछ खास होता है. जी हां, DMRC इस टाइम के लिए पहले से तैयारी रखती है. इस दौरान तमाम विभागों के सहयोग से मेंटेनेंस का बड़ा काम किया जाता है. यह उस काम से अलग होता है जो मेट्रो मेंटेनेंस का काम आए दिन होता है. इस टाइम पीरियड को मेगा ब्लॉक कहते हैं और इस समय मेट्रो रेल नेटवर्क पूरी तरह से बंद होता है. 

आधी रात का समय इसलिए चुना जाता है कि जिससे यात्रियों की आवाजाही पर इस काम का कोई असर न हो. सुबह मेट्रो उसी फुर्ती में दौड़ने के लिए तैयार हो जाती है. कुछ समय पहले रात में भी मेट्रो चलाने की मांग उठी थी तब हाउसिंग मिनिस्टर ने कहा था कि DMRC का साफ कहना है कि रात में मेट्रो चलाने की कोई योजना नहीं है क्योंकि ट्रेनों और ट्रैक का मेंटेनेंस रात में ही होता है.

क्या है मेगा ब्लॉक टाइमिंग

DMRC के प्रिंसिपल एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर (कॉर्पोरेट कम्यूनिकेशंस) ने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में बताया, 'इस सात घंटे के समय में जब आम तौर पर इंसान के काम करने की क्षमता कम हो जाती है या कम मानी जाती है तो मेट्रो की टीम असली काम करने उतरती है. इसमें भी केवल 60 प्रतिशत समय मिलता है क्योंकि 40 प्रतिशत वक्त मैनपावर, टूल्स आदि के साथ आने-जाने में बीत जाता है. इस वक्त के भीतर गलती की शून्य आशंका के साथ साइट पर काम को अंजाम दिया जाता है.' इस मेगा ब्लॉक टाइमिंग के लिए 7-10 दिन पहले ही तैयारी हो जाती है. एडवांस में मटैरियल आदि पहुंचा दिए जाते हैं. दूसरे विभागों के साथ भी तालमेल मिलाया जाता है. इस दौरान सेफ्टी, कार्य क्षमता और मेट्रो सिस्टम की विश्वसनीयता को सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी रहती है. ध्यान रहे कि यह काम रोजाना मेंटेनेंस से अलग और बड़ा होता है.

रात में ट्रैक पर क्या ठीक किया जाता है

अब आपके मन में होगा कि रात में ट्रैक पर क्या ठीक किया जाता है. दरअसल, लगातार एक के बाद एक मेट्रो दौड़ने से मोड़ और अन्य जगहों पर मरम्मत की जरूरत होती है. यह घर्षण से घिस जाता है. कुछ साल के बाद ट्रैक को भी बाएं से दाएं और दाएं से बाएं किया जाता है. इसके बाद जरूरत पड़ने पर ट्रैक को बदला जाता है. पॉइंट्स और क्रॉसिंग पर जरूरत के हिसाब से मरम्मत की जाती है. ट्रैक की डिस्ट्रेसिंग एक्सरसाइज भी की जाती है खासतौर से यमुना बैंक, शास्त्री पार्क जैसे स्टेशनों पर.