दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली की शराब नीति केस में राउज एवेन्यू कोर्ट ने 20 जून को जमानत दे दी थी. जमानत के फैसले पर हाई कोर्ट ने स्टे लगा दिया था. इस स्टे के खिलाफ अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. अरविंद केजरीवाल मांग कर रहे हैं कि हाई कोर्ट के स्टे वाले फैसले पर रोक लगे और उन्हें जमानत दे दी जाए. जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने केस की सुनवाई की और कहा है कि अब इस केस की सुनवाई 26 जून को होगी.
20 जून को ट्रायल कोर्ट के जज ने अरविंद केजरीवाल को जमानत दी थी. शराब नीति केस में कोर्ट ने कहा है कि प्रथम दृष्टया यह नजर आता है कि अरविंद केजरीवाल दोषी नहीं हैं, उनके खिलाफ पक्षपातपूर्ण रवैया अपानाया जाता है. अगले ही दिन ईडी ने जमानत याचिका पर स्टे लेने के लिए हाई कोर्ट का रुख किया. ईडी की याचिका पर हाई कोर्ट ने रिहाई पर स्टे लगा दिया.
हाई कोर्ट के सिंगल जज के बेंच ने इस केस की सुनवाई की. दोनों पक्षों को सुनने के बाद ईडी की याचिका पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया. अब हाई कोर्ट के खिलाफ अरविंद केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की सुनवाई टाल दी है. आइए जानते हैं कोर्ट में केस की सुनवाई के दौरान क्या-क्या दोनों पक्षों ने तर्क रखे.
लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा अगर फैसला सुरक्षित रखा गया है तो इस पर स्टे नहीं लगाया जा सकता है. जस्टिस मनोज मिश्रा ने कहा कि एसवी राजू जी, हम यह जानना चाहेंगे कि बेल को लेकर पीएमएलए की धारा 45 की दोनों शर्तें पूरी हुई हैं या नहीं, क्या बेल ऑर्डर में ये रिकॉर्ड है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि नहीं.
अरविंद केजरीवाल के वकील विक्रम चौधरी ने कोर्ट में कहा, 'ईडी की अपील, बिना आदेश की ही फाइल हुई है. कैसे वे कह सकते हैं कि आदेश में कोई बहस नहीं हुई है. दोनों शर्तों को लेकर 5 पैरा में बहस का जिक्र है.' अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कोर्ट के पास सारे विवादों का रिकॉर्ड है.
जस्टिस मिश्रा ने कहा, 'सिंघवी जी, क्या हम कहना चाहते हैं कि एक तारीख हम तय करते हैं. अगले सप्ताह. कोर्ट के आदेश को रिकॉर्ड के तौर पर आने दीजिए. बिना ऑर्डर ऑन रिकॉर्ड के हम नहीं कुछ कहेंगे.'
अभिषेक मनु सिंघवी ने बेंच से कहा, 'हाई कोर्ट ने ऑर्डर का इंतजार नहीं किया और फैसला सुना दिया. अगर हाई कोर्ट स्टे लगा सकता है, बिना आदेश पढ़े, आप क्यों नहीं हाई कोर्ट के आदेश पर स्टे लगा सकते हैं.?' जस्टिस मनोज मिश्रा ने इसके जवाब में कहा कि अगर हाई कोर्ट ने गलती की है तो हमें उसे क्यों दोहराना चाहिए.